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पति के मकान में निवास में बाधा हो तो घरेलू हिंसा अधिनियम में आवेदन करे

समस्या-

एम्पी ने श्रीगंगानगर, राजस्थान से पूछा है –

एक बूढ़ी विधवा औरत अपने पति के बनाए हुए घर में रह रही थी। उसके चार बेटे हैं।  उसके पति के रिटायरमेंट के बाद जो पैसे आए वह अपने बेटों में बांट दिए।  अब वह बेटे उस बूढ़ी  विधवा औरत को वह घर खाली करने को कह रहे हैं और उस घर के ताला लगा रहे हैं।  वह राजस्थान गंगानगर से हैं।  उस विधवा औरत के नाम जमीन है वे उस जमीन के बँटवारे की मांग कर रहे हैं कि उस जमीन का भी बंटवारा कर दिया जाए। बेटे से कहते हैं कि  आपको पेंशन आ रही है पेंशन खाएं और घर हमारे बाप का है खाली करके जाएँ।  अब इसके खिलाफ क्या कार्रवाई हो सकती हैं? प्लीज हमें हेल्प करें और सुझाव देने की कृपया करें? वह बूढ़ी औरत अपने छोटे बेटे के साथ रह रही है उसको भी मारने की धमकी दे रहे हैं।  बूढ़ी औरत को कार्यवाही कहां पर करनी चाहिए कलेक्टर ऑफिस में जाकर करनी चाहिए या पुलिस चौकी में।


समाधान-

उस वृद्धा के पति ने उसे नौकरी के कारण रिटायरमेंट पर मिला हुआ धन उसने पुत्रों में बाँट दिया, यह उसका अधिकार था। लेकिन  उस के छोड़े हुए मकान और जमीन में उसका हिस्सा है।  बेटे यदि कह रहे हैं कि बँटवारा कर दिया जाए तो खुद विधवा को बँटवारे का वाद दीवानी न्यायालय में संस्थित कर देना चाहिए।  इस बँटवारे में मकान और जमीन का 1/5 वाँ भाग सभी को मिल जाएगा, क भाग विधवा को भी मिलेगा।

यदि पुत्र मकान से जाने को कहते हैं तो जब तक बँटवारा नहीं होता तब तक वह मकान में रह सकती है इसके लिए जिस अदालत में वह बँटवारे का वाद संस्थित करेगी उसी के साथ उस मकान में रहने में बाधा न डालने के लिए अस्थायी निषेधाज्ञा का आदेश पारित करने हेतु आवेदन कर सकती है।  कृषि भूमि के मामले में बँटवारे का वाद राजस्व न्यायालय में जाएगा वहाँ से भूमि पर रिसीवर नियुक्त करवाया जा सकता है।

विधवा तुरन्त घरेलू हिंसा अधिनियम में संबंधित थाने पर अधिकारिता रखने वाले मजिस्ट्रेट के समक्ष आवेदन कर आदेश जारी करवा सकती है कि उसके पुत्र उसके उस मकान में रहने में बाधा उत्पन्न नहीं करें।  आदेश जारी होने के बाद यदि वे बाधा डालते हैं तो उन्हें दंडित किया जा सकता है।