DwonloadDownload Point responsive WP Theme for FREE!

पत्नी के साथ आपसी बातचीत से मामला हल करने का प्रयत्न करें।

alimonyसमस्या-

राजकुमार ने कुल्लू/नग्गर, हिमाचल प्रदेश से हिमाचल प्रदेश राज्य की समस्या भेजी है कि-

मेरी पत्नी ने मेरे खिलाफ IPC125 का केस किया है। जिस में उस ने मेरी महीने की कमाई 30000/- बताई है जो की सरासर झूठ है। मैं एक प्राइवेट कम्पनी में नौकरी करता हूँ जहाँ मुझे सिर्फ 6000/-महिना मिलता है। मेरे पिताजी का सेब का बाग है उस ने उसे भी मेरी कमाई में जोड़ दिया है। मैं उस के साथ शादी के बाद तकरीबन एक साल साथ रहा हूँ। उस के बाद वो अपने मायके चली गयी और मुझ पर खर्चे का केस लगा दिया। मगर मैंने उसके साथ समझौता कर लिया और उसके साथ ही उसके मायके में रहने लगा। 2005 दिस.को शादी हुई। 2006-07 तक वो मेरे साथ साथ रही, 2007 से मैं उसके साथ उसके मायके में रहा फिर कुछ दिन के बाद हम किराय के कमरे में रहे। मैंने भुंतर में जो कि उस का मायका है एक दुकान में काम करना शुरू किया। उसी दौरान हमारी दो बेटियां हुई। एक की उम्र आज 7 व दूसरी की 8 साल है। एक साल जैसे कैसे गुजर गया। इस तरह साथ मैं 2007 से 2014 मई तक उस के साथ रहा। 2011 में उस ने और मेरी सास ने जबरदस्ती लड़ लड़ कर मेरा नसबंदी का आपरेशन करवा लिया। 2012 में करवा चौथ के दिन मैं ने उसे फोन पर किसी आदमी के साथ बात करते हुए पकड़ लिया और जब मैंने फ़ोन माँगा तो मुझे गलियां देने लगी और मेरा हाथ उठ गया। जिस के बाद उस ने और उसकी माँ ने मुझे कमरे में बंद कर दिया और पुलिस में जा कर मारपीट की क्म्प्लेंट करवा दी। मुझे पुलिस वाले रात को 12 बजे ले गये दूसरे दिन मेरी जमानत मेरे मामाजी ने करवाई। ये केस SDM कोर्ट में तकरीबन एक साल चला और उस एक साल में भी मैं उसके साथ ही रहा। मगर वो कभी भी समझौता करने को तैयार नहीं हुई एक साल के बाद बड़ी मुश्किल से उस ने समझौता किया। इस तरह तकरीबन तीन-चार बार मैं थाने और कोर्ट के चक्कर लगता रहा। उस दौरान भी मैं उसको हर महीने 5000/- देता था। फिर 2011 में मैंने उसे ब्यूटीपार्लर का काम सीखने के लिए 7000/- दिए और कुछ पैसा उधार लेकर उसे एक ब्यूटी पार्लर खोल कर दिया। मगर उस ने जो कमाया वो अपने ही पास रखा और मेरे पैसे से ही घर का खर्च चलाया। फिर कुछ समय के बाद मेरे ससुर ने आत्महत्या कर ली और मुझे न चाहते हुए भी ससुराल में रहना पड़ा। वहीं से मेरे बुरे दिन शुरू हो गये। आये दिन लड़ाई झगड़ा गाली ताने और न जाने क्या क्या। एक दिन मैंने उसे किसी गैर आदमी के साथ रात में बाँहों में बाहें डाले आते हुए देखा। मैं ने उस आदमी की और घर वाली की धुनाई कर दी और पुलिस को फ़ोन किया कि ऐसी बात हो गयी है तो आप लोग जल्दी आओ। मगर कोई भी नहीं आया। उस के बाद मैं दो दिन वहाँ रहा और फिर अपने दोस्तों के ही कमरे में भुंतर में रहा। अब उसने तकरीबन 6-7 महीने के बाद खर्चे का केस कर दिया है। मैं ने अपना सामान भी वहीं छोड़ दिया है और उस का जो भी सामान मेरे पास था वो भी उसे दे दिया है। अब मेरा आप से ये सवाल है कि क्या वो खर्चे की हकदार है क्योंकि इन सात सालों में मैंने जो कमाया वो तो मैंने उसे उस की माँ और अपने बच्चों पर ही खर्च किया मगर मेरे पास कोई सबूत नहीं है उसके खिलाफ, और उसके पास पुलिस के और दूसरे कागजात हैं जिन्हें वो मेरे खिलाफ इस्तेमाल कर रही है। क्या मुझे अपने बच्चों की कस्टडी मिल सकती है। मुझे उसे खर्चा कितना देना पड़ेगा। मैं बहुत गरीब आदमी हूँ उसकी कमाई तो दुकान से अच्छी हो जाती है। कृपया मार्ग दर्शन करें. मैं बहुत दुविधा में हूँ मेरे पास ज़हर खाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

समाधान-

ह जीवन बहुत कीमती है, पदार्थ का सर्वश्रेष्ठ रूप है यह। जीवन चले जाने के बाद क्या है? कुछ तत्व हैं जो जल, गल कर इस प्रकृति में विलीन हो जाएंगे। प्रकृति के इस जीवन रूप ने ही आप का निर्माण किया है। जो संयोग से बनता है। प्रकृति के इस संयोग को आप यूँ ही नष्ट कर देना चाहते हैं? बहुत बुरी बात है। कृपया निराशाजनक बातें न सोचें। मान लीजिए आप के विरुद्ध खर्चा तय हो जाता है, आप नहीं दे पाते हैं। न्यायालय आप को जेल भेज देता है। वहाँ आप को कपड़ा, खाना सब मिलता है। बस कुछ काम करना पड़ता है। यह उतना निराशाजनक नहीं है जितना आत्महत्या कर के खुद को एक मृत पदार्थ में परिवर्तित कर देना। यदि यही करना है तो यहाँ तीसरा खंबा पर अपनी समस्या के समाधान की कोई आवश्यकता नहीं थी। हम ने अपने जीवन में अनेक लोग इस तरह से कहते दिखे हैं। लेकिन समय रहते उन की समस्याएँ हल हुई हैं और आज वे मजे में हैं। आप ने एक जीवन को स्वीकार किया था जो आप के ससुराल में था। वहाँ आप के सास ससुर थे, पत्नी थी आप की बच्चियाँ थीं। उस जीवन की अपनी समस्याएँ भी थीं और उन के हल भी थे। अब उस में कुछ समस्याएँ और हो गयी हैं, उन का हल भी निकलेगा।

प ने अपनी पत्नी को किसी से फोन पर बात करते देखा फोन मांगा, नहीं देने पर लड़ गए। पत्नी और उस की माँ ने आप को बंद कर दिया। पुलिस को शिकायत की पुलिस ने शान्ति भंग के मामले में बन्द कर दिया। साल भर में मुकदमा खत्म हो गया। आप लड़ने के बजाए बात करते, समझते। बात से भी तो हल निकल सकता है। आप की पत्नी आप से दूर जा रही थी आप ने उसे खुद दूर धकेल दिया। वह फिर भी आप के साथ रही। फिर आप ने उसे किसी गैर मर्द के साथ बाहें डाल कर आते देखा और आपे से बाहर हो गए उन्हें पीट डाला। पुलिस को फोन किया तो पुलिस नहीं आई। क्यों आती? उस के पास किसी की किसी अपराध की शिकायत ही नहीं थी। आप ने उन्हें पीटने का जो अपराध किया था वह संज्ञेय नहीं था। होता तो पुलिस आप को ही गिरफ्तार करती। वे दोनों फिर भी बाहर रहते।

कानून स्त्री और पुरूष को समान मानता है। स्त्रियाँ पुरुष की संपत्ति नहीं हैं। आप की शिकायत यह तो नहीं कि पत्नी ने किसी दूसरे पुरुष के साथ शारीरिक संबंध बना लिए हैं। यदि ऐसा होता और आप साबित कर सकते होते तो आप उस से विवाह विच्छेद कर सकते थे, इस से अधिक कुछ नहीं। आखिर आप की पत्नी ने अपराध क्या किया है जिस के कारण आप ने उसे और उस के मित्र को सड़क पर पीट दिया। गलती तो आप की ही है न। इस कारण आप को भुगतना पड़ेगा। लड़कियाँ तो आप की हैं। उन के भरण पोषण की जिम्मेदारी तो आप को उठानी पड़ेगी। उन की कस्टड़ी भी आप को नहीं मिल सकती। कस्ट़डी केवल उस स्थिति में मिल सकती है जब कि बेटियों का माँ के पास रहना असुरक्षित और उन के हितों के विपरीत हो जाए। आप अपनी आमदनी 6000 प्रतिमाह बताते हैं तो आप उन्हें पालेंगे कैसे?

त्नी ने आप के पिता के बाग की आय को आप के खाते में जोड़ा है उसे अदालत न मानेगी। आप को सिद्ध करना होगा कि आप की आय सिर्फ 6000/- है। पत्नी की आय को भी साबित करना पड़ेगा और साबित करना पड़ेगा कि वह आत्मनिर्भर है और उसे भरण पोषण की कोई आवश्यकता नहीं है। आप की आमदनी चाहे छह हजार से भी कम की हो। लेकिन बेटियों का खर्चा तो आप को देना पड़ेगा। क्यों कि आप की बेटियाँ आप के साथ हों तो आप के खाने के पहले उन का पेट भरना आप का दायित्व है।

रण पोषण की राशि कितनी होगी यह इस बात पर निर्भर करेगा कि आप की और आप की पत्नी की आय कितनी प्रमाणित होती है। बच्चों की कस्टड़ी आप को प्राप्त होना दुष्कर है। बेहतर हो कि आप अपना अहम् त्याग दें। पत्नी और सास से मिलें। पहले उन की सुनें, बात करें, फिर अपनी कहें और आपसी बातचीत से समाधान निकालें।

Print Friendly, PDF & Email
One Comment