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पत्नी को ससुर के मकान में पति के हिस्से से उत्तराधिकार प्राप्त होगा।

young widowसमस्या-
श्रीमती ईश्वर ने गोरखपुर, उत्तर प्रदेश से पूछा है-

मेरे पति के देहान्त के बाद मैं किराए के मकान में रह रही हूँ, क्यों कि मेरी ननद ने मकान पर कब्जा कर लिया है। वह तीन विवाह कर चुकी है और तीनों पति से अलग हो गई। 1968 के बयनामे पर मेरे ससुर का नाम है, उन की मृत्यु के उपरान्त मेरे पति राजकुमार का नाम दर्ज हुआ। नगर निगम में मैं टेक्स जमा करवा रही हूँ। क्या मेरी ननद का हक है उस मकान पर? क्या ये मकान मुझे नहीं मिलेगा। बिजली का बिल, नगर निगम में मेरा नाम दर्ज है। मेरे पति के देहान्त के बाद से उस मकान के एक कमरे में मेरा ताला लगा है। मेरी ननद 45 वर्ष से उसी में है। क्या मेरे पति की संपत्ति में मेरा हिस्सा नहीं है? पुलिस कहती है कि कोर्ट से आदेश लाएँ तो हम खाली करवा पाएंगे।

समाधान-

गर निगम में या बिजली के दफ्तर में किस का नाम दर्ज है इस से किसी संपत्ति का मालिक होना साबित नहीं होता है। वहाँ टैक्स जमा करने या फिर बिजली का बिल वसूल करने के संदर्भ में नाम दर्ज होते हैं। यदि मालिक कोई और हो और नगर निगम किसी और का नाम दर्ज कर दे तो वह तो अवैध ही होगा। किसी संपत्ति पर मालिकाना हक किस का है इसे तय करने का अधिकार तो सिर्फ न्यायालय का ही है। पुलिस का जहाँ तक प्रश्न है उन्हों ने आप को टाल दिया है। आम तौर पर न्यायालय से आदेश लाने में समय लगता है। इसी लिए पुलिस वालों ने आप को न्यायालय से आदेश लाने के लिए कह दिया है।

कान जब खरीदा गया था तो बयनामे (विक्रयपत्र) में आप के ससुर का नाम दर्ज है। इस प्रकार वह संपत्ति आप के ससुर की हुई। यदि आप के ससुर के दो ही संतानें आप के पति और आप की ननद ही थीं तो उन दोनों का बराबर का अधिकार उस संपति पर हुआ।  आप को आप के पति के देहान्त के उपरान्त उन का अधिकार उत्तराधिकार में प्राप्त हुआ है। यदि आप के कोई संतान नहीं है तो आप का आधे मकान पर अधिकार है। लेकिन आप के संन्तानें हैं तो आप को व आप की सभी संतानों को उस मकान के आधे अधिकार में से बराबर का अधिकार है।

प को इस विवाद को हल कराने के लिए न्यायालय में उक्त मकान का बँटवारा कराने के लिए दीवानी वाद दाय्रर करना चाहिए। साथ ही आप को यह मांग भी करनी चाहिए कि आप के पति के देहान्त के बाद से ही जो भी खर्चा आप म्युनिसिपल टैक्स व बिजली के बिल वगैरा पर खर्च कर रही हैं। वह भी दूसरे भागीदारों से समान अनुपात में दिलाया जाए। आप को बेदखल किए जाने की शंका हो तो इसी वाद में आवेदन दे कर अस्थाई निषेधाज्ञा प्राप्त कर सकती हैं तथा मकान में आने जाने में बाधा पहुँचाने से दूसरे भागीदारों को रोकने का आदेश न्यायालय से प्रापत कर सकती हैं। यदि मकान का कोई हिस्सा आप की ननद द्वारा किराए आदि पर दे कर लाभ कमाने की आशंका हो तो आप मकान को रिसीवर के कब्जे में रखे जाने के लिए भी न्यायालय को आवेदन कर सकती हैं।

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