“पत्नी पति को न समझे तो घर कभी नहीं बसता”
|गुरप्रीत सिंह ने जलालाबाद, पंजाब से समस्या भेजी है कि-
मेरी शादी 18 जनवरी 2013 को मेरे सिटी फ़िरोज़पुर में डिंपल हुई है। उसका शहर गिदडरबहा जिला मुक्तसर से है। हमने मिल कर शादी का फंक्शन किया था। मेरी और मेरी पत्नी की शादी से पहले से ही फोन पर ही नहीं बनी पर हम दोनो की बदक़िस्मती से हमारी शादी हो गई। अब हमारी एक 10 महीने की लड़की भी है। मेरे घर में मेरी सास की दखलंदाजी बहुत रही है। पत्नी उसी हिसाब से चलती है उस की प्रकृति गुस्से वाली और जिद्दी है। मैं भी जिद्दी हूँ। पर अगर मेरी ग़लती हो तो मैं ग़लती मान लेता हूँ। पर उस के घर वाले और वो ना तो ग़लती मानती है, बल्की झूठ व ग़लत बोलते हैं। मेरी सास के कहने से मेरी पत्नी घर में लड़ाई करती थी तथा घर का काम करने से भी मना करते थे जिस की रेकॉर्डिंग मेरे पास है। घर में कोई बात होती तो वो एक फोन पर ही भागे भागे आते और हमें ग़लत सलत तथा बदतिमीजी से बोलते और लड़की को लेकर जाने की धमकी देते। कई बार लेकर भी गए हैं। हम वहाँ जाकर समझा कर मिन्नतें कर ले कर आते। ऐसा ३-४ बार हो चुका है। पत्नी एक बार १ महीना और एक बार ३ महीने मायके में रह चुकी है। मेरी लड़की के जन्म क बाद उन्हों ने हमारे कोई रीति रिवाज पूरे नहीं करने दिए। 23 दिन बाद ही मेरी पत्नी को लेकर जाने की ज़िद की। हम ने लड़की की 23 दिन पर ही चौहला सेरेमनी की और वो उसी दिन लड़की को ले गए। एक महीने बाद मेरे साले की शादी थी। उन्हों ने मुझे सही तरीके से बुलाया भी नहीं। लेकिन मैं ने फिर भी अपनी सारी ज़िम्मेवारी निभाई। मैं एक हफ़्ता वहाँ रहा। वो फिर भी मेरी पत्नी को नहीं भेज रहे थे। मेरे बहुत समझाने के बाद मैं लड़की को लेकर आया। वो भी इस वादे के साथ कि मैं लड़की को ६ -५-२०१४ की फिर छोड़ जाउंगा १०-१५ दिनों के लिए। ।लेकिन ३० एप्रिल को वोटों वाले दिन मैं ने नॉर्मल ड्रिंक की थी। मेरे ससुर ने भी हमें शादी में पिलाई थी लेकिन मेरी पत्नी इस बात पर मेरे से लड़ाई करने लग गई। मैं ने उसे कुछ नहीं कहा और अपनी बच्ची को प्यार करने लगा तो उस ने बच्ची को मुझ से छीन लिया और अपने घर में फोन कर दिया। मेरे दादा जी ने उसे समझाया भी, पर उस ने फोन कर दिया। मेरे दादा जी की मेरे ससुर से बात हुई। वो मेरे दादा जी को ग़लत बोले और जलूस निकालने की धमकी दी। मेरे दादा जी ने उन्हे समझाया फिर मेरी भी उनसे बात हुई। मै ने भी उन को समझाया और कहा कि मैं नॉर्मल हूँ, आप फिक्र ना करो। मैं भी एक लड़की का बाप बन चुका हूँ, मुझे भी अपनी ज़िम्मेवदारी का पता है। फोन कटने की थोड़ी देर बाद मेरी सास का फोन आया और लड़की को बोली कि तू समान पैक करके रख, हम कल शाम को आएँगे और तुझे ले जाएँगे, इन को मज़ा चखा देंगे। अगले दिन 1/५/२०१४ को सुबह फोन आने पर मैं ने बात करनी चाही तो मेरी सास ने मेरे से बात नहीं की और ससुर से करवाई। मैं ने उन्हे फिर बहुत समझाया कि आप हमारी लाइफ में इंटेरफेअर ना करें। हम बच्चे नहीं हैं, 30-30 साल के हो गए हैं, माँ-बाप भी बन गए हैं। हम ने 6 मई को आना है आप हमें तब समझा लेना, जिसकी ग़लती हो उसे बोलना। हम आपके बच्चे हैं, ग़लती करेंगे तो आप का फ़र्ज़ है हमे माफ़ करना। पर वो नहीं माने और बोले कि हम आएँगे और लेकर ही जाएँगे। मैं ने कहा चलो आ जाओ, पर लेकर ना जाओ। लेकिन वो नही माने वो अपनी ज़िद पर व मेरे घर में दखलंदाजी की बात पर अड़े रहे।
मेरे रिश्तेदार भी उनको बहुत समझा चुके है। उन की अपने रिश्तेदारों से नही बनती, ना ही अपने भाई बहनों से। ना ही सालों से। वो किसी की सलाह मानते ही नहीं। उन्हे रिश्तेदारी निभानी ही नहीं आती और ना ही अड़जस्टमेंट करनी आती है और ना ही किसी की इज्जत। उनकी ज़िद और पहले की धमकियों से तंग आ कर मैंने पुलीस सुप्रिटेडेंट मे इतलाही दरखास्त दे दी कि मेरे ससुराल वाले ज़बरदस्ती मेरी मर्ज़ी के बिना मेरी पत्नी को लेकर जा रहे हैं। एक महीने बाद मेरा साला अपने साले को ले आया जिससे अभी अभी नई रिश्तेदारी बनी है। और रिश्तेदार तो उनके साथ चलते नहीं। मेरे साले का साला वकील है। उस ने मुझे समझाया और धमकाया भी। मैं ने कहा कि अब हम लिख कर फ़ैसला करेंगे इन की दखलंदाजी बहुत ज़्यादा है। उस के बाद ना तो वो लड़की लेकर आए और ना ही कोई समझौता किया ना ही वुमन सेल की कोई बात मानी। बल्कि 15-7-2014 को अपने जिला में झूठी दहेज मारने पीटने की कंप्लेंट डाल दी मेरी बहन, माँ और मेरे भाई का नाम लिख दिया। भाई पर ग़लत अश्लील हरकतें करने का इल्ज़ाम भी लगा दिया है। अब मेरे साले के घर में भी प्रोब्लम चल रही है। वो अपनी लड़की को मेरे साथ घर भेजना तो चाहते हैं लेकिन बदतमीज़ियाँ नही छोड़ रहे हैं। पत्नी भी वैसे ही कर रही है जैसे उस की माँ कहती है। उन के घर में मेरी सास की ही चलती है। हमारा फोन तो उठाते ही नहीं और उठा लें तो ग़लत और बदतिमीजी से बोलते हैं। अपनी कही बात से ही मुकर जाते हैं। खुद तो कोई फ़ोन करते ही नहीं। उन्हे कोई समझाने वाला है ही नहीं। साले के साले ने समझाया तो उस से भी बात करनी छोड़ दी है। उस से मेरी बात होती है वो कहता है के आप ले जाओ बाद में सब सही हो जाएगा। अभी तक मेरी शादी शुदा जिंदगी में मैं ने और मेरे परिवार ने ही अडजस्टमेंट की है उसके घर वालो ने कभी अड़जस्टमेंट नही की है। हम आज तक चुप है और वो हमारे घर एकदम आकर हमें ग़लत और बदतिमीजी से बोल जाते हैं। मेरे घर वाले उनके लिए चाय पानी रोटी सब्जी का इंतज़ाम करते रहते हैं। उन के अपने इकलौते लड़के की शादी में भी बहुत कम रिश्तेदार आए थे। क्यों कि उन की किसी से बनती ही नहीं है। लड़के के 4 मामा हैं सिर्फ़ एक आया, दादी और चाचा कोई नहीं आया। मेरे पास पिछले एक साल की रेकॉर्डिंग्स है। वो घर बसाना चाहते है पर हर बार नई शर्तों के साथ। मेरे रिश्तेदार भी कह रहे हैं कि एक मौका दो। शायद अब अक्ल आ गई हो। आठ महीने रहने के बाद। पर वो सभी ऐसे ही अड़े हुए हैं। मुझे डर है कि जब वो इतने समय बाद भी सही बात नहीं कर रही तो कल को क्या होगा? आख़िर मियां बीवी में लड़ाई तो होती ही है और कल को लड़ाई होने पर वो मेरे दादा जी मेरे पिता जी, जीजा जी और बाकी रिश्तेदारों का नाम ना लिखा दे। उस के पिताजी ने एक बार मेरे सामने अपनी लड़की को कहा था कि ज़्यादा तंग हुई तो तू ख़ुदकुशी कर लेना बाकी हम देख लेंगे।
वो बिना सोचे समझे बोलते हैं। कहने को पड़ी लिखी फैमिली है पर बोलने और रिश्तेदारी निभाने की तमीज़ बिल्कुल नहीं है। मेरी सास ने मेरे और मेरी पत्नी के बीच मे प्यार और अपनापन बनने नहीं दिया क्यों कि जब कभी हमारी बहस होतो वो अगले दिन आ जाते और लड़की ले जाते। लड़की को कभी नहीं कहा कि इस बार तू ग़लत है या बेटी तू भी कुछ अड़जस्ट कर। हर बार उस के सामने मुझे ही ग़लत कहा है। वो पहले मुझे अपनी सिटी में या पास के शहर में शिफ्ट करने को कहते थे ता कि मैं उन से डर के रहूँ और कुछ बोल ही ना सकूँ। वो मुझे घर से अलग होने को कहते हैं। कभी कहीं और नया घर बनाने को कहते हैं। कभी ऊपर नया घर बनाने को कहते हैं। मेरा काम 15 दिनो से एक महीने के लिए अलग अलग जिले की अलग अलग सिटी में मार्केटिंग का है। जहाँ से रोज आना जाना मुश्किल और महंगा है। फैमिली के साथ महीने-महीने के लिए शिफ्ट भी नहीं हो सकता। कुछ समझ नहीं आ रहा। तीसरा खंबा में आप हर बार कहते हो कि लड़की को समझो प्यार से कहो और मनाओ। मैं ये सब करके देख चुका हूँ वो नही मानती और जब ज़िद पर अड़ जाती है तो अड़ी रहती है। फिर उसे रिश्तेदारी, बड़े छोटे का भी ख्याल नहीं रहता और उसके घरवाले तो उसी का साथ देते हैं। मुझे लगता है कि हमारे रिश्ते में बहुत दूरी आ चुकी है, जो अब ख़त्म नहीं हो सकती और आख़िर मैं भी कितना झुक सकता हूँ। आख़िर हर चीज़ की लिमिट है। मुझ से और ज़्यादा नई झुका जाएगा और ज़बरदस्ती रिश्ता निभा कर कल को ज़्यादा फँस ना जाओ। मेरे सवाल है कि अगर मैं फिर भी अपनी बेटी को देख कर घर बसाना भी चाहूँ तो मेरी फॅमिली पूरी तरह कैसे सेफ हो सकती है? मेरे घर वालों ने मुझे अख़बार में सितंबर-13 में ही बेदखल कर चुके हैं। क्या मेरे किसी और सिटी में जाकर रहने से वो सेफ हो सकते हैं। मेरा मतलब कोर्ट कचहरी की हरास्मेंट से है। क्यों कि बेकसूर तो हम हैं ही। यदि राज़ीनमा किया जाए तो कैसी शर्ते होनी चाहिए। क्या पैसे ले देकर राज़ीनामे वाला डाइवोर्स ले लेना चाहिए। उन्हों ने कंप्लेंट में शादी मे 12 लाख खर्च लिखे है जब कि 10 लाख लगे हैं और बच्ची के जन्म पर मुझे 50 हज़ार रुपए दिए लिखे हैं जो बिल्कुल झूठ है। तो राज़ीनामे में या कोर्ट के हिसाब से हमें कितनी रकम देनी पड़ सकती है? आप अंदाज़े से लगभग रकम बता दें। उपर नीचे कुछ ना कुछ तो होती है। अगर डाइवोर्स ना माने या क्या मुझे सच के लिए और बाकी घर वालों बचाने के लिए कार्यवाही का सामना करना चाहिए? क्यों कि जिंदगी जीने के लिए कुछ ना कुछ तो अड़जस्टमेंट करनी पड़ती है पर वो परिवार बिल्कुल भी नहीं करता, सिर्फ़ अपनी मर्ज़ी चलाता है। ये बात भी आप कहते हैं कि कौँसेलिंग से प्राब्लम सॉल्व हो सकती है पर उन्हें कहे कौन? उसके माँ-बाप का अड़ियल नेचर तो बदला नहीं जा सकता और ना ही किसी लड़की को माँ-बाप से अलग किया जा सकता है। लड़की को भी अपने अच्छे बुरे का पता नहीं लग रहा है। उसे सिर्फ़ अपनी ज़िद और ईगो प्यारी है। अब मैं सारी उमर झुक कर तो जी नहीं सकता। तो क्या करूं। मैं ने 9-9-14 को दोस्त के कहने से दोस्त के पापा से धारा ९ वाला बसने का केस कर दिया और वो दहेज वापसी का केस करने को भी कह रहे हैं और उन से डिस्कशन से तसल्ली नहीं हो रही है और वो कह रहे है कि अगर थाने में राज़ीनमा करो भी तो दहेज वापसी की शर्त रखो। रिश्तेदार कह रहे है के दहेज या गिफ्ट्स वापिस करने की बात से या देने से रिश्ते की दरार और बढ़ेगी। उनका जब सारा सामान भी वापिस मिल गया तो फिर उन को कोई फ़िक्र तो होगी ही नहीं। कुछ समान के बिल मेरे नाम पर हैं और मेरे शहर से ही लिए हुए हैं। मुझे सामान का कोई लालच नहीं है और मई जून में तो मैं सारा समान वापिस करने की कह ही रहा था जिस की रिकॉर्डिंग भी है मेरे पास। पर अब सोचता हूँ कि अगर वो मेरे परिवार को तंग कर रहे हैं तो मैं भी करूँगा। दोस्त ये भी कह रहा है कि पुलिस को बसने का केस बता दे और बार बार जाने की ज़रूरत नहीं, पुलिस को कह दे कि कोर्ट के फ़ैसले से हम चलेंगे। मेरा नाम और सिटी चेंज कर दे बदल दे। १२ जनवरी को पुलिस ने बुलाया है और इस बार हमें अपने जवाब लिखवाने हैं। आपकी सलाह से ही चलने की सोच रहा हूँ दिमाग़ में दोनो बाते हैं घर बार बार नहीं बसते पर अगर बीवी आपको ना समझे तो फिर घर कभी भी नहीं बसता।
समाधान-
आप ने बहुत विस्तार में अपनी समस्या को रखा है। आप काफी समझदार हैं और अपनी समस्या को भी ठीक से समझते हैं। आप ने अन्त में सही लिखा है कि “पत्नी यदि पति को न समझे फिर घर कभी नहीं बसता”। इसी बात को ध्यान में रखते हुए आप को अपनी समस्या को सुलझाना है।
आप की समस्या यह है कि आप की पत्नी अभी तक आप को और आप के परिवार को समझ नहीं पायी है। यह भी नहीं समझ पायी है कि अब उस के हित माँ-बाप के साथ नहीं, अपितु आप के साथ हैं। माँ-बाप जो उस का साथ देते हुए उसे दिख रहे हैं वास्तव में वे उस का जीवन खराब कर रहे हैं। आप की पत्नी भी अब केवल आप की पत्नी नहीं है, वह आप की बेटी की माँ भी है। आप कैसे भी यह प्रयत्न कर सकते हैं कि आप की पत्नी इन सबग बातों को समझने लगे। यदि आप की पत्नी को किसी तरह यह समझ आ जाए तो आप का यह दाम्पत्य न केवल बच सकता है बल्कि अच्छा भी चल सकता है। वास्तव में आप की पत्नी को ऐसी काउंसलिंग की जरूरत है जिस से वह ये सारी चीजें समझ सके।
आप ने जो धारा 9 का आवेदन प्रस्तुत किया है उस की सुनवाई के दौरान आप जज को किसी तरह यह समझा सकते हैं कि समस्या क्या है। यदि आप जज को समस्या समझाएंगे तो वे भी आप की मदद करेंगे और आप की पत्नी की समझ को विकसित करने का प्रयत्न करेंगे। इस के अलावा भी अन्य तरीके हो सकते हैं आप की पत्नी को समझाने के। चूंकि अभी वह अपने माता-पिता के अत्यधिक प्रभाव में है इस कारण से उसे कुछ समझ नहीं आ रहा है। लेकिन अन्ततः सचाई उस के सामने आएगी और वह सारी चीजें समझेगी, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होगी। हो सकता है पत्नी के माता पिता मिल कर आप और आप की पत्नी के साथ साथ आप की बेटी का जीवन भी खराब कर दें।
आज कल विवाह में दहेज कुछ नहीं होता। यदि कोई कहता है कि हम ने दहेज दिया है तो वह भी अपराध है, लेना तो अपराध है ही। इस कारण जितना भी दहेज दिया जाता है उसे पुत्री को दिया गया उपहार ही माना जा सकता है, जो स्त्री-धन हो जाता है। उस सारे धन पर पति और ससुराल वाले ट्रस्टी होते हैं और वह अमानत होता है। यदि उस की मांग पत्नी करती है तो जायज है और न लौटाना धारा 406 आईपीसी का अपराध है। इस मामले में आप यह कह सकते हैं कि आप उस सारे स्त्री-धन के ट्रस्टी हैं। सारा स्त्रीधन सुरक्षित है मांगे जाने पर तुरन्त अपनी पत्नी को देने को तैयार हैं। वे जब भी चाहें आ कर ले लें। लेकिन यदि किसी मिथ्या काल्पनिक स्त्रीधन का उल्लेख हो तो उसे कभी स्वीकार न करें।
धारा 498ए की कार्यवाही और परिवार जनों के उस में परेशान होने से कभी न डरें। यही एक डर है जो पत्नी और उस के परिजनों का हथियार बन जाता है। उस में आप को या परिजनों को थोड़ा परेशान किया जा सकता है। लेकिन पुलिस भी आज कल सारे परिजनों के विरुद्ध मुकदमा नहीं बनाती। और जिन के विरुद्ध मुकदमा बनता है उन की जमानतें हो जाती हैं। अग्रिम जमानत भी ली जा सकती है। यदि आप और आप के परिजन इस कार्यवाही के भय से मुक्त हो जाएँ और इस भय़ से कोई भी समझौता न करें तो आप की पत्नी और उस के माता-पिता को जल्दी ही अक्ल आने की संभावना अधिक है। इस कारण उस से डर कर कोई कदम न उठाएँ। बल्कि उस मिथ्या शिकायत का मुकाबला मिल कर करें। यही इस का तोड़ है। आज तक लोगों ने इस से बचने के उपाय किए हैं लेकिन उस से वे अधिक फँसे हैं, निकले नहीं हैं।
आप के सारी उम्र झुक कर चलने की कोई बात नहीं है। न जैसे को तैसा का व्यवहार अपनाने की जरूरत है। यदि वे गलती करते हैं तो जरूरी नहीं कि आप भी करें। क्यों कि आखिर हर किसी को अपनी गलती का परिणाम भुगतना होगा। यदि आप गलती करेंगे उस का परिणाम अन्ततः आप को भुगतना होगा। इस कारण कोई काम ऐसा न करें जो बदले वाला हो या फिर जिस में गलती करनी पड़े।
आप कोई अच्छा विश्वसनीय तथा समझदार वकील करें। आप के विरुद्ध और आप के द्वारा किए गए मुकदमों की पैरवी ठीक से कराएँ। मौका आने पर ठीक ठीक समझौते के लिए तैयार रहें। न तो व्यर्थ में झुकने की जरूरत है और न ही किसी तरह का अतिवाद प्रदर्शित करने की आवश्यकता है। इस समस्या को हल होने में कुछ समय लग सकता है। लेकिन हल होगी। यदि नहीं होती है तो आपसी सहमति से विवाह विच्छेद की ओर आगे बढ़ा जा सकता है। जिस में मेरा मानना है कि 5 से 6 लाख रुपया आप को देना पड़ सकता है। इस से अधिक का प्रस्ताव आप अपनी ओर से कभी न रखें। यदि जरूरी ही हो जाए तो इस में एक दो लाख की वृद्धि की जा सकती है। लेकिन मुझे नहीं लगता कि अभी वह अवसर है। अभी तो बात बनाने की कोशिश की जानी चाहिए। बेटी के जीवन के लिए ही सही।
mai apne pati se paresan hu mai unko thik se nhi jane aur sadi karli hu ab pachhta rahi hu mere pati mujhe thik se dekhte bhi nhi aur koi ladki rahe y unse badi rahe sabko ghurte hai jab mai unko bolti hu ki o badal jaye to bahut marte hai hamari sadi 3 sal ho gya lekin pyaar kuch nhi hai ham dono ke bich aur 1 bachcha bhi hai 2sal k to mai kya karu chhod du kya unko mai soch rahi hu aap jawab dijiye
जहां तक मेरा मानना हैं पुलिस को कहें कि आप उसे नहीं ले जाना चाहते । यदि आप लाना चाहते हो तो भी । पुलिस से लिखित शर्त में पत्नी का व्यवहार, खाना बनाना, उसके माता पिता का व्यवहार और दहेज सभी सभी को अपने पास होना स्वीकार कराये ताकि आने वाला 498a कमजोर हो । पुलिस पर अधिक भरोसा न करें ।
मेरी भी एक बेटी हैं और आप की और मेरी समस्या एक ही हैं मेरे केस में भी मेरे पास एक साल की सभी कॉल रेकॉर्ड हैं ।
मेरे पर 498a हो चुका हैं और मेरा तलाक का केस भी चल रहा हैं । में वायु सेना में हूँ । आप मुझसे मेरी ईमेल – sarkariduty@gmail.com पर msg करे या 9478743247 पर कॉल कर सकते हैं ।
और दिर्वेदी जी जो स्त्री धन है उसे वापिस करने की शर्त राखी जाए के नहीं. कृपा बताये.
नमस्कार दिर्वेदी जी
मैंने आपसे पूछा था की मुझे उसे उसकी शर्ते मान कर अब ले आना चाहिए के नहीं
वो लड़की भेजना चाहते है पुलिस भी कह रही है के लड़की ले जाओ. पुलिस ने अबी हमारे बयान भी नहीं लिए है . कयोकि उन्हें भी पता है के आम बेक़सूर है. लड़की वाले हमें सिर्फ दबाना चाहते है तो अब हमें क्या करना चाहिए. और अभी राजीनामा करे तो क्या शर्ते रखे. कुछ रिश्तेदार कह रहे है क उनके शहर ही रहना शुरू कर दे. सलाह दे
gurpgulkkgurpritji अब हर जिला न्यायलय में पारिवारिक विवाद samadhan kendra स्थापित है आप वहा aawedan जरूर देवे आपकी समस्या का निराकरण अवश्य kiya javega
Gurpreet ji ghabraye nhi, dat kr mukabla kro, humne 15 lakh ki maang krne wale 75000 me fainsla krte dekhe hai bs ek yodha ki trah apne maidan me date rhe.jyadatar ladkiyon ke maa baap hi apni ladki ka ghar ujadte hai. Har priwar ki yahi kahani hai