पिता की मृत्यु के पू्र्व विधवा भाभी विवाह कर चुकी थी तो वह आप के पिता की उत्तराधिकारी नहीं है।
|समस्या-
भँवर लाल शर्मा ग्राम कोटखावदा जिला जयपुर ने पूछा है-
हमारे पिताजी का स्वर्गवास हो चुका है, माताजी हैं। वर्तमान में हम दो भाई हैं। एक भाई जो कि हम से बड़ा था पिताजी से पहले ही गुजर गया था। विधवा भाभी के कोई संतान भी नहीं है। अब उन्हों ने दूसरी शादी कर ली है। शादी कोर्ट के माध्यम से हुई है। नोटेरी द्वारा जारी शादी प्रमाण मौजूद है। अब हमें नामान्तरण खुलवाना है। पटवारी का कहना है उसका हक़ त्याग करना जरूरी है नहीं तो उसके नाम भी नामंतरण खुलेगा। मैंने खूब प्रयास किया पर वो आती नहीं है कहती है मुझे कोई मतलब नहीं है। हमारी माँ का रो-रो कर बुरा हाल है। अब वो दूसरी जगह चली गई और आती भी नहीं है। इस स्थिति में डर है कि यदि उसके नाम जमान हुई तो वो बेच जाएगी। प्लीज हमें बताएँ कि हम क्या करें? वो दोनों जगह की प्रॉपर्टी की मालिक कैसे हो सकती है? क्या हमारी माँ पिताजी की संपति की पूर्ण अधिकारी नहीं है।
समाधान-
आप के प्रश्न में बहुत से तथ्य अप्रकट हैं। जैसे आप के पिता का देहान्त कब हुआ? आप के भाई का देहान्त कब हुआ? और आप की भाभी ने दूसरा विवाह कब किया? दूसरा विवाह क्या केवल नोटेरी द्वारा जारी प्रमाण पत्र के माध्यम से हुआ है या उन्होंने किसी मंदिर में पंडित के माध्यम से भी विवाह किया है? क्या सप्तपदी भी हुई है? या फिर उन का विवाह विवाह पंजीयक के यहाँ पंजीकृत है? दूसरे पति के साथ रहते हुए आप की भाभी को कितना समय हो गया है? क्या समाज ने उन्हें पति-पत्नी के रूप में मान्यता दे दी है?
सब से पहले यह तय करना होगा कि क्या आप की भाभी ने आप के पिता के जीवित रहते विवाह कर लिया था? यदि ऐसा है और विवाह एक वैध विवाह है या उसे विवाह की मान्यता प्राप्त है तो फिर आप की भाभी का आप के पिता की संपत्ति में कोई अधिकार नहीं रह गया है। आप को उन से हक-त्याग कराने की कोई आवश्यकता नहीं है। हिन्दू उत्तराधिाकर अधिनियम की धारा 24 के अनुसार यदि कोई भी विधवा उत्तराधिकारी है और वह उत्तराधिकार खुलने के पूर्व पुनः विवाह कर चुकी है तो वह उत्तराधिकार से वंचित हो जाती है।
लेकिन यदि आप की भाभी ने यह विवाह आप के पिता की मृत्यु के बाद किया है या यह केवल लिव इन रिलेशन है तथा इसे विवाह की मान्यता प्राप्त नहीं हैं। तो आप के पिता की संपत्ति में आप की भाभी का अधिकार बना हुआ है और जब तक वे उस पर हक नहीं त्याग देती हैं उन का अधिकार बना रहेगा।
यह सही है कि आप की माता जी आप की पिता की संपत्ति की एक मात्र उत्तराधिकारी नहीं हैं। हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम के अनुसार आप की माता जी आप व आप के सभी भाई बहिनों का उस पर समान अधिकार है। यदि किसी भाई की मृत्यु पिता के देहान्त के पहले हो गई है और उस ने आप के पिता के देहान्त के पहले विवाह कर लिया है तो ही वह आप के पिता की उत्तराधिकारी नहीं होगी। अन्यथा उस का अधिकार बना हुआ है।
आप के मामले में बेहतर यही है कि यदि आप की भाभी अपना अधिकार आप के पिता की संपत्ति पर नहीं प्राप्त करना चाहती है तो उन्हें समझा कर उन से हक-त्याग विलेख निष्पादित करवाएँ। यदि वे हकत्याग नहीं करती हैं और उन का किसी तरह का अधिकार शेष नहीं होते हुए भी नामान्तरण में उन का नाम दर्ज होता है तो तुरन्त नामान्तरण की अपील करें और नामान्तरण में उन के हिस्से में अंकित भूमि को उन के द्वारा हस्तान्तरित करने पर स्थगन आदेश प्राप्त कर लें।