पिता के जीवित न होने पर दादी की संपत्ति का बँटवारा
| गोमतीनगर, लखनऊ से आलोक श्रीवास्तव पूछते हैं –
मेरे घर में आरम्भ से ही विवाद रहा है। पापा दादी और मैं अलग रहते थे और एक भाई तथा दो बहनें बहन माँ के साथ अलग रहती थीं। लेकिन सरकारी कागज में अलग नहीं थे। दादी ने अपने जीवनकाल में अपनी सारी संपत्ति पापा के नाम वसीयत कर दी थी और उसके कुछ दिनों के बाद पापा ने अपनी सारी संपत्ति मेरे नाम कर दी। किन्तु दुर्भाग्य से पापा की मृत्यु दादी से पहले हो गयी। अब जो संपत्ति दादी के नाम है, मेरा भाई उसे बेचने की धमकी दे रहा है। इस समय मेरी दोनों बहनें भी मेरे साथ रहती है और उनकी सारी जिम्मेदारी भी लिखा पढ़ी में मेरे ही ऊपर है। ऐसी स्थिति में दादी की संपत्ति क्या पापा के नाम होकर मेरे नाम होगी? जबकि वह दादी से पहले ही गुजर गए थे। दादी के नाम एक घर है बाकि एक खेत पापा के नाम है और इन्हीं लोगों के द्वारा बैनामा लिखा गया था। मुझे भाई को मकान बेचने से रोकने के लिए क्या करना चाहिए?
उत्तर –
आलोक जी,
मकान आप की दादी के नाम था और जमीन पिताजी के नाम, जिस के बैनामे अर्थात विक्रय पत्र दादी और पापा के नाम ही लिखे गए थे। इस से स्पष्ट है कि दोनों संपत्तियाँ उन की स्वअर्जित सम्पत्तियाँ थीं जिस से वे अपने अपने स्वामित्व की सम्पत्तियों की वसीयत कर सकते थे। आप की दादी ने मकान को पापा के नाम वसीयत कर दिया। लेकिन पापा का देहान्त आप की दादी के पहले हो गया। ऐसी स्थिति में वह वसीयत निरर्थक हो गई। हालाँकि आप ने यह नहीं बताया है कि आप की दादी अभी जीवित हैं या उन का भी देहावसान हो चुका है। वस्तुतः आप की दादी द्वारा आप के पापा के नाम की गई वसीयत व्यर्थ हो गई है क्यों कि उन का देहान्त दादी के पहले हो गया था। यदि दादी अभी जीवित हैं तो दादी उस संपत्ति की फिर से वसीयत कर सकती हैं। यदि दादी का देहान्त हो चुका है तो फिर वसीयत के निरर्थक हो जाने के कारण उस सम्पत्ति (मकान) पर अब दादी के सभी उत्तराधिकारियों का अधिकार है। आप के पापा ने जो वसीयत की है उस में इस मकान का उल्लेख भी न होगा। यदि हो भी तो उस का कोई अर्थ नहीं है। क्यों कि उन का अपने जीवनकाल में मकान में कोई हित उत्पन्न नहीं हुआ था।
आप के पिता ने अपनी सम्पत्ति (खेत) की वसीयत आप के नाम कर दी थी। इस तरह खेत इस वसीयत के अनुसार आप की संपत्ति हो चुका है। आप चाहें तो राजस्व रिकार्ड में पापा के देहान्त की सूचना दे कर वसीयत के आधार पर कृषि भूमि के खाते में नामान्तरण अपने नाम करवा सकते हैं। इस तरह खेत के सम्बन्ध में कोई विवाद शेष नहीं रहा है।
असल विवाद मकान के सम्बन्ध में है जिस की स्वामी आप की दादी थीं। इस घर की जो वसीयत आप की दादी ने आप के पिताजी के नाम की थी उस के निरर्थक हो जाने के कारण वह सम्पत्ति निर्वसीयती हो गई है। उस मे दादी के उत्तराधिकारियों का हित निहित हो चुका है। दादी के उत्तराधिकारियों में आप के दादा व दादी की सभी संताने अर्थात आप के पिता, पि
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यह ब्लॉग एक अच्छे ब्लॉग के तौर गिना जाएगा।
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गुरुवर जी, काफी उलझी हुई समस्या का सही समाधान. कई बार प्रश्न करने वाला कई प्रकार की जानकारी नहीं देता है.तब आपको उत्तर के लिए काफी मेहनत करनी पड़ती है. मैंने समस्या का उत्तर पढकर ऐसा अंदाजा लगाया है.
सही कानूनी सलाह दी आपनें,आभार.