पिता व भाई दगा करें तो क्या उपाय है?
समस्या-
दिल्ली से सुमन दुबे पूछती हैं –
मैं बिहार से हूँ और 2006 से मैं अपने पति के साथ दिल्ली में रहती हूँ। आज से लगभग 3 साल पहले( 2010 में मैं ने अपने पिता को दो लाख रुपये दिया एक लाख मैं ने दिया और एक लाख मैं ने अपने ससुराल से ससुर जी से दिलवाया। लेकिन पिता होने के कारण हम ने उनसे कोई लिखित नहीं लिया। उस के बाद मेरा भाई मेरे पास दिल्ली रहने आया। मेरे पिता ने मुझसे काफ़ी निवेदन किया और हम ने उसे बुला लिया और वह दिल्ली में रह कर ऑटो चलाने लगा। उसके बाद वो ग़लत संगति करना, शराब पीना, मेरे साथ गाली गलोज़ करना दो दो दिन घर से गायब रहना। घर में चोरी करना शुरू कर दिया। ऑटो किराए पर थी, गाड़ी का किराया भी मैं ने अपने गहने गिरवी रख कर दिया और अभी भी गाड़ी वाले का 50000/- रुपये बाकी है। मेरा भाई गाड़ी खड़ी करके भाग गया। आज उसे भागे दो साल हो चुके हैं। मेरे भाई और पिता ने मुझे काफ़ी मानसिक और आर्थिक तरीके से मजबूर किया, यहाँ तक कि मैं ने कितनी ही बार आत्म हत्या करने की ठान ली। लेकिन बच्चों के और पति तथा ससुराल वालों के प्यार को देख कर ऐसा नहीं कर पाई। नहीं तो मेरे ससुराल वाले उल्टे ही फँस जाते। लोग कहते हैं कि ससुराल वाले गलत हैं। लेकिन मैं कहती हूँ कि मायके वाले क्या ग़लती नहीं कर सकते? मेरे मायके वालों ने मुझे वो जख्म दिया है जो जीवन भर नहीं भरेगा। मैं अपने ससुराल वालों की बेटी हूँ, बहू नहीं। इतना प्यार मिलता है मुझे। 2012 में मैने अपने पिता को दिए हुए 200000/- रुपये वापस माँगे तो उन्होंने देने से मना करते हुए कहा कि मेरे बेटे ने तुझे कमा कर दे दिया है, अब तेरा कोई रुपया बाकी नहीं है। आज के बाद फ़ोन मत करना। उस के बाद मैं ने पिता की संपत्ति में बँटवारे का केस डाल दिया। मेरे पिता के पास बिहार में पुश्तैनी घर और 35 बीघा खेती की ज़मीन है। हम तीन बहनें, दो भाई, मेरी दादी है। जब से मैने ये केस जिला न्यायालय में डाला है तब से मेरे भाई और पिता मेरे ससुराल वालों को, मुझे और मेरे पति को डरा-धमका रहे हैं। जान से मारने झूठे केस में फँसाने और किडनैपिंग करने की धमकी देते हैं। मेरे खिलाफ मेरे ससुराल वालों को भड़काते हैं और कहते हैं कि मैं ने आप का रुपया आप की बहू को दे दिया है। अब आप का कोई रुपया बाकी नहीं है। आप सभी लोग जेल जाओगे। मेरे भाई और पिता मेरे ससुराल वालों की और मेरी काफ़ी बेइज्जती करते हैं। मैं ये जानना चाहती हूँ कि क्या मुझे मेरा रुपया ब्याज़ के साथ मिल सकता है और क्या साथ ही पिता की संपत्ति भी मिल सकती है? कुछ ज़मीनें मेरे दादा जी, दादी जी और पिता जी के नाम पर हैं तथा अभी मेरे पिता व दादी जी जीवित हैं और दादा जी काफ़ी साल पहले गुजर गये। साथ ही क्या मैं अपने मायके वालों पर बेइज्जती के लिए और डराने, धमकाने, के लिए भी दिल्ली में और बिहार में दोनो जगह केस डाल सकती हूँ? मेरा भाई लोग मुझे गंदी गंदी गालियों का भी इस्तेमाल करता है और बहुत कुछ ऐसी बात कहते हैं जिस का ज़िक्र मैं यहाँ इस में नहीं कर सकती। उम्मीद करती हूँ आप समझ जाएँगे। अब सोचती हूँ की आत्महत्या कर ही लूँ। मेरा भाई यहाँ दिल्ली से हमारे जानने वालों से भी 50000/- रुपये लेकर भाग है दो साल हो गये। जिससे लिया है वो हमारे ऊपर दबाव बना रहे हैं। अब आप सलाह दें कि क्या करना चाहिए?
समाधान-
आप बहुत खुशकिस्मत इंसान हैं। आप को पिता और भाई अच्छे न मिले लेकिन आप को पति और ससुराल वाले अच्छे और भले मिले हैं। आप खुद भी अच्छी और भली हैं, यदि न होतीं तो आप पति और भाई की मदद न करतीं और छल का शिकार नहीं होतीं। लेकिन स्वार्थी और गंदे संबधियों के कारण आत्महत्या की सोचना भी गलत है। यदि आप ऐसा करती हैं तो आप आप से प्यार करने वाले पति, बच्चों और ससुराल के संबंधियों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं करेंगी। आत्महत्या के बारे में सोचना बिलकुल बंद कर दें। विषम से विषम परिस्थितियों में लड़ना बेहतर होता है, बजाय इस के कि जीवन समाप्त कर लिया जाए।
सब से पहला काम तो आप ये कर सकती हैं कि आप दिल्ली के किसी दैनिक अखबार में सूचना प्रकाशित करवा सकती हैं कि आप के पिता और भाई से आप ने अपने सम्बन्ध उन के व्यवहार के कारण समाप्त कर लिए हैं। जिस से आप के संबंध के आधार पर कोई उन से व्यवहार न करे। जो लोग आप पर भाई का कर्जा चुकाने का दबाव डाल रहे हैं उन्हें साफ कह दें कि आप कुछ नहीं कर सकते। भाई को कर्जा या उधार सामान देते समय आप ने उस की गारन्टी तो नहीं दी थी कि वे आप को तंग करें।
आप अपने पिता को दिए गए कर्जे को वसूल नहीं कर सकतीं यदि आप के पास उन्हें कर्ज देने का कोई दस्तावेज सबूत नहीं है। यदि कर्ज का दस्तावेजी सबूत है और कर्ज दिए हुए तीन वर्ष समाप्त नहीं हुए हैं तो आप कर्ज की वसूली के लिए दीवानी वाद दिल्ली के दीवानी न्यायालय में प्रस्तुत कर सकती हैं।
यदि आप की दादा कोई पुश्तैनी जमीन/संपत्ति छोड़ गए हैं और उस का बँटवारा नहीं हुआ है तो आप उस में अपने हिस्से के लिए बिहार में दावा कर सकती हैं। लेकिन इस के लिए आप को उक्त संपत्ति के दस्तावेज दिखा कर बिहार में किसी दीवानी मामलों की वकालत करने वाले वकील से सलाह करनी चाहिए। कृषि भूमि से संबंधित कानून सब राज्यों में भिन्न भिन्न हैं और उन मामलों में राजस्व विभाग के रिकार्ड पर बहुत कुछ निर्भर करता है।
जहाँ तक आप के पिता और भाई द्वारा किए गए अपराधिक कृत्यों मारपीट की धमकी देना, गाली गलौज करना आदि के लिए आप जहाँ उन्हों ने ये कृत्य किए हैं पुलिस थाना में रपट लिखा कर कार्यवाही कर सकती हैं या सीधे न्यायालय को शिकायत प्रस्तुत कर के कार्यवाही कर सकती हैं।
लेकिन व्यवहारिक बात ये है कि आप दिल्ली में रहती हैं और आप के पिता व भाई बिहार में। यह सही है कि पिता व भाई ने आप को आर्थिक हानि पहुँचाई है और अपराधिक व्यवहार किया है। उन्हें इस का दंड मिलना चाहिए। लेकिन हमारी न्याय व्यवस्था इतनी सुस्त है कि उस में राहत प्राप्त करने में वर्षों लग जाते हैं। वह इतनी लचीली भी है कि कोई फर्जी रिपोर्ट करा दे या मुकदमा बना दे तो उसे भी प्रारंभिक स्तर पर फर्जी मान कर निरस्त नहीं किया जाता है। आप इस तथ्य पर भी विचार करें कि आप के पिता और भाई भी अपने बचाव में कुछ कार्यवाही कर सकते हैं। बेहतर यही है कि आप अपने पिता व भाई से संबंध विच्छेद करने का विज्ञापन दें और उन्हें उन के हाल पर छोड़ दें। अपने पति, बच्चों व ससुराल के भले और अच्छे लोगों के साथ अपने नए जीवन का आरंभ करें।
Date:17.10.2013
श्री मान जी मैं सुमन दुबे देल्ही से आप का बहुत-बहुत धन्यबाद की आप ने मेरे प्रश्नो का उत्तर दिया !श्री मान मैं आप के बात से सहमत हूँ, की मुझे आत्म ह्त्या नहीं करना चाहिए ! ग़लती मेरे पिता और भाई ने किया है तो सज़ा उन्हे मिलनी चाहिए न की मुझे और मेरे ससुराल वालों को ! श्री मान मैं चाहती हूँ की आप मुझे पूरी तरह से उत्तर दें !आप ने लिखा है की अपने पिता और भाई से संबंध बिच्छेद के लिए दैनिक अख़बार में प्रकाशित करे! श्री मान क्या ऐसा करने से मैं उनसे अपना बटवारा कर सकूँगी ? और दूसरी बात यह है की मेरे पिता जी के पास बिहार में 35 बीघा खेती की ज़मीन है और बाकी के मकान है और ये संपति मेरे पिता को मेरे दादा जी से मिला है,मेरे पिता ने अपने से कोई संपति नहीं खरीदा है,और मेरे दादा जी को संपति उनके पिता जी से मिला है और मेरे दादा जी ने भी कोई संपति नहीं खरीदा है,मेरे पिता जी अपने माता-पिता के एक ही बेटे है और मेरे पिता की दो बहने है यानी की मेरे पापा और बुआ तीन लोग है तथा मेरी दादी जी भी है और वो 80 साल के आस पास की है और पिता जी के साथ ही रहती है तो क्या उनको भी हिसे मे से देना पड़ेगा ? और इन चार लोगों के बाद हम दो भाई और तीन बहन पाँच लोग है तो हिसा किस प्रकार मिलेगा 1/9 भाग लगेगा या फिर कैसे होगा ? मेरी दो बहने हिसा नहीं लेंगी तो क्या उनको हटा कर 1/7 भाग लगेगा ? और इसमे क्या मेरी माता जी को भी हिसा लगेगा या वो पिता जी के साथ है इस लिए उन्हे नही मिलेगा ! यदि मेरी बहने नहीं लेना चाहती हैं तो उन्हे क्या करना होगा ? और एक बात श्री मान जी से यह जानना चाहती हूँ की जैसे आपने लिखा है की कृषि भूमि से संबंधित कानून सब राज्यों में भिन्न भिन्न हैं और उन मामलों में राजस्व विभाग के रिकार्ड पर बहुत कुछ निर्भर करता है। इसका मतलब मैं नहीं समझ पा रही हूँ, राजस्व विभाग के रिकार्ड से आप का क्या मतलब है?2005 में जो क़ानून पारित हुवा था उसके अनुसार तो बेटियो का हिसा सभी राज्यो में सभी तरह के बटवरो में लागू होता है इस विषय में आप का क्या कहना है !श्री मान एक महत्व पुर्ण बात ये जानना चाहती हूँ की क्या आर.टि.आइ (RTI) के द्वारा पिता जी के ज़मीनो का विवरण ख़ाता संख्या, प्लॉट नंबर , मौज़ा नंबर की जानकारी ली जा सकती है ? और इसकी ज़नकारी कहा से किस डिपार्टमेंट के द्वारा मिलेगी! एक बात और की क्या मैं अपने पिता के ज़मीनो पर कोर्ट से प्रतिबंध ले सकती हूँ ताकि वो उसे बेच ना सके और उसमे खेती भी बिना मेरी मर्ज़ी के ना कर सके क्यों की हिंदू ACT के अनुसार वो एक संयुक्त संपति है ! और साथ ही क्या मैं अपने पिता के तनख़्वाह में से भी अपना गुज़ारा भत्ता ले सकती हूँ क्या क़ानून इसकी इजाज़त देता है की पिता के निज़ी संपति मे भी मुझे मिले ! और साथ ही क्या ये भी संभव है की दादा जी के संपति मे बटवारे के बाद मैं अपने पिता को मिली संपति मे भी हिसे के लिए न्यायालय जा सकती हूँ ? आप को अजीब सा ज़रूर लगेगा लेकिन ग़लती उन्होने ही सुरू किया है! मैं आप से आग्रह करती हूँ की मुझे जल्द से जल्द उत्तर देने का कसट करें आप की बहुत मेहरबानी होगी आप का !
धनयबाद ! सुमन दुबे (देल्ही )
बहुत सटीक और व्यावहारिक राय वकील साहब ने दी है। सुमन जी वाकई में आप खुशकिस्मत हैं कि आपको इतना अच्छा ससुराल मिला। वैसे भी शादी के बाद एक लड़की के लिए भारतीय संस्कृति के लिहाज से ससुराल ही अहम होता है। सुकून, संतोष और शांति से बड़ी कोई पूँजी नहीं अतः मायके की सम्पत्ति पर मुकदमेबाजी का ख्याल छोड़ दें साथ ही ऐसे बुरे मायके वालों से नाता भी तोड़ लें जो आपको मुसीबत में डालने वाले हों। गया धन पुरुषार्थ से वापस मिल जाता है लेकिन अच्छे संबंध खराब हो जाने पर जल्दी सहज नहीं होते। ‘नाविक की धैर्य परीक्षा क्या, गर धाराएँ विपरीत न हों’ अतः परेशानियों का सामना कीजिए और खुद को मजबूत बनाइए। यही संस्कार अपने बच्चों में डालिए जो आप पर निर्भर हैं। निश्चय ही आपकी मजबूती से आपके पति को भी बल मिलेगा।
वकील साहब को सादर अभिवादन जो इतने धैर्य के साथ लोगों की समस्याओं का समाधान कर रहे हैं।
– रवि श्रीवास्तव,इलाहाबाद।
रवि जी मैं सुमन दुबे देल्ही से मैं आप के बात से सहमत हूँ लेकिन यदि हम ज़ुल्म को यूही सहते रहे तो आज मैं कल कोई और सुमन होगी और परसो कोई और सुमन और यह सिलसिला यू ही चलता रहेगा ! लेकिन आज यह उठाया हुआ कदम कल की बेटियो के लिए सुरक्षा प्रदान के साथ साथ माता-पिता भाई के लिए एक सबक़ और सिख होगी और बात जहाँ तक संपति की है ह्मारे पास किसी चीज़ की कमि न्हीं है यदि मेरे ससुराल वाले चाहें तो मेरे पिता की संपति को यू हीं खरीद सकते है और अब बात है न्याय की तो यदि मेरा पति भी ग़लत होगा तो मैं उसे भी नहीं छोड़ूँगी ! और मैं ये बटवारा करने के बाद इसे पिता को वापस कर दूँगी! मुझे किसी चीज़ की कमी नहीं है परमेस्वर का दिया सब कुछ है,और कुछ बाते सिखाने में अच्छा लगता है लेकिन वास्तविक जीवन मे कुच्छ और ही होता है ! सुमन (डेल्ही)