DwonloadDownload Point responsive WP Theme for FREE!

पुत्रियों को पिता के उत्तराधिकार में पुत्रों के समान अधिकार है।

हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियमसमस्या-

मोहित सूर्यवंशी ने छिन्दवाड़ा मध्य प्रदेश से समस्या भेजी है कि-

चुन्‍नीलाल की स्‍व-अर्जित 4 एकड भूमि थी। चुन्‍नीलाल की म़त्‍यु 1977 में हदयघात से हो गई। चुन्‍नीलाल के 4 पुत्र एवं 3 पुत्री हैं। खसरे में, वर्तमान में चारों भाईयों का नाम है। क्‍या अब हिन्‍दू उत्‍तराधिकार 2005 के तहत तीनों पुत्रियों का नाम खसरे में आ सकता है? ताकि बटवारे में हिस्‍सा मिल सके, वर्तमान में किसी भी प्रकार का चारों भाईयों में कोई बटवारा नहीं हुआ है और न ही कोई विवाद है। क्या वर्तमान में चल रहे पुत्री उत्‍तराधिकार का लाभ मिल सकता है?

समाधान-

संदर्भित 4 एकड़ जमीन चुन्नीलाल की स्वअर्जित थी। इस कारण से उन के देहान्त का उत्तराधिकार हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा-8 के अनुसार होना है। जिस में 2005 के संशोधन अधिनियम के पहले भी यह उपबंध था कि पिता की संपत्ति में पुत्री का अधिकार पुत्रों के समान ही है अर्थात उन का भी उक्त संपत्ति में 1/7 हिस्सा है। 2005 का जो संशोधन है वह पुत्रियों को केवल सहदायिक/पुश्तैनी संपत्ति में जन्म से अधिकार प्रदान करता है।

तीनों पुत्रियों को चाहिए कि वे अपने भाइयों के नाम खुले नामान्तरण आदेश की अपील प्रस्तुत करें और जमीन के हस्तान्तरण पर रोक लगाने के लिए अस्थाई निषेधाज्ञा जारी कराएँ। इस के साथ ही कोई भी एक पुत्री अपने सभी भाइयों, बहिनों और राज्य सरकार को पक्षकार बनाते हुए उक्त संपत्ति के विभाजन का वाद प्रस्तुत करे और भूमि के हस्तान्तरण पर रोक के लिए अस्थाई निषेधाज्ञा जारी कराए।