पुश्तैनी संपत्ति जिस में संतानों का हक है, पिता द्वारा विक्रय किया जाना वैध नहीं है।
|समस्या-
भोजपाल ने ग्राम पोस्ट धावरभाटा, मगरलोड, छत्तीसगढ़ समस्या भेजी है कि-
मैं एक बहुत बड़ी समस्या से जूझ रहा हूँ। मेरे पिता के नाम की खेती की जमीन जो पैतृक थी उसे कुछ लोगों के द्वारा मेरे पिता की मानसिक स्थिति का फायदा उठकार बंधक की बात कहकर मेरे तथा परिवार के सदस्यों की बिना जानकारी व सहमति के रजिस्ट्री पत्र पर हस्ताक्षर करवा लिए गए हैं। जिसकी जानकारी मुझे पंचायत के द्वारा प्रमाणीकरण सूचना पत्र प्रदान करने पर हुयी। उक्त रजिस्ट्री पत्र में 1.16 हेक्टेयर का प्रतिफल राशि को चेक के माध्यम से 1387000 रूपये देना दर्शाया गया है जो पूर्णतः कूटरचित व फर्जी है किसी प्रकार का चेक नहीं दिया गया है, न ही उनके खाते में पैसा डाला गया है। इसकी जानकारी होने पर मैंने पुलिस अधीक्षक कार्यालय में लिखित शिकायत की थी जिस पर प्रशासन ने चेक संबंधी कोई जाँच नहीं की और रजिस्ट्री पत्र को वैधानिक बताकर न्यायालय जाने हेतु पुलिस हस्तक्षेप अयोग्य पत्र दे दी। इस संदर्भ में मैंने पुलिस को वैधानिक बताये जाने का आधार व चेक संबंधी जानकारी आरटीआई के माध्यम से मांगा लेकिन मुझे कोई संतोसप्रद जानकारी नहीं मिली। मैंने कलेक्टर महोदय को पुनः जाँच के लिए शिकायत आवेदन किया। पुनः जाँच में अनावेदक क्रेता ने यह ब्यान दिया कि उसने 6 लाख रूपये में ये जमीन खरीदी है तथा पैसा नगद देना बताया। चेक के माध्यम से नहीं। जबकि रजिस्ट्री पत्र में प्रतिफल राशि चेक के माध्यम से 1387000 रूपये मिलना दर्शया है जो कि कूटरचित है। लेकिन पुलिस विभाग द्वारा इस तरीके से धोखाधड़ी करने वालों पर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गयी। सर मैं बहुत परेशान हूँ। मेरे पिता के नाम की सभी जमीन को धोखे से रजिस्ट्री करा लिए हैं क्योकि मैं, मेरा भाई और बहन बाहर पढाई करते थे इसलिए इसकी जानकारी हमें नहीं हुई। यदि जमीन उनके नाम हो गयी तो हम लोग रस्ते पर आ जायेंगे, मैं पूरी तरह से मानसिक रूप से परेशान हूँ और आर्थिक रूप से कमजोर भी। प्लीज सर मुझे सुझाव दे की मैं क्या करूँ?
समाधान-
पुलिस ने यदि जाँच करके मामले को पुलिस हस्तक्षेप योग्य नहीं माना है तो आप को चाहिए कि आप मजिस्ट्रेट के न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत करें। रजिस्ट्री की प्रमाणित प्रति प्राप्त करें तथा कलेक्टर के आदेश से जो जांच हुई है उस की तथा उस जाँच में दिए गए अनावेदक क्रेता के बयान की प्रतिलिपियाँ प्राप्त कर उन्हें भी परिवाद के साथ प्रस्तुत करें। इस के लिए आप को स्थानीय किसी वकील की सेवाएँ प्राप्त करनी होंगी।
इस के अलावा समय रहते विक्रय पत्र की रजिस्ट्री को निरस्त करने के लिए आप को दीवानी वाद प्रस्तुत करना होगा। क्यों कि कोई भी पिता पुश्तैनी / सहदायिक संपत्ति में से अपनी संतानों के भाग को विक्रय नहीं कर सकता। इस आधार पर यह रजिस्ट्री निरस्त हो जाएगी। यही आपत्ति आप उक्त भूमि के राजस्व रिकार्ड के नामान्तरण की कार्यवाही में प्रस्तुत कर सकते हैं।
Sir mere pitaji hamesha dhamkate rahte Hai ki Mai jameen bech duga ya kisee aur ke naam kar dunga jabki woh pushtainee jameen Hai woh mere pitaji ke dwara khareedi nahi Gayee
Kya koi aisa upay Hai ki mere bagair marzee ke jameen na bechi jaye
अपनी समस्या https://teesarakhamba.com/कानूनी-सलाह-फॉर्म/ पर रखें
सर आपके द्वारा मेरी समस्या का समाधान करने के लिए धन्यवाद…!
परन्तु सर मेरे वकील इस विक्रय पत्र को शून्यीकृत व् अवैध घोषित करने हेतु दीवानी वाद प्रस्तुत करने की बात कर रहे है…..मुझे समझ नही आ रहा शून्यीकरन और निरस्तीकरण में क्या अंतर है.?
मुझे निरस्तीकरण के लिए वाद प्रस्तुत करना होगा या शून्यीकरणके लिए ….
शून्यीकरण का अर्थ है ऐसी घोषणा वह विक्रय पत्र कानून के अनुसार वैध नहीं है, निरस्तीकरण का अर्थ है कि वह रिकार्ड में न होने जैसा माना जाए। दोनों बातें सही है।
धन्यवाद सर…..!