पूर्ण वसीयत का अध्ययन करने और संपत्तियों के स्वामित्व का संज्ञान किए बिना उस की व्याख्या असंभव है।
|सुरेश जायसवाल ने मुहम्मदाबाद, गाजीपुर, उत्तर प्रदेश से समस्या भेजी है कि-
मेरी पत्नी अपनी माँ बाप की इकलौती संतान है। हमारे ससुर जी का स्वर्गवास हो गया है और सास जी जिन्दा हैं। उन्होंने मरने से पहले अपने पुत्री के नाम वसीयत इस प्रकार की थी “हम दोनों पति_पत्नी के मरने के बाद हमारी चल अचल सम्पति की मालिक हमारी पुत्री हो” इस वसीयत के अनुसार क्या सास जी की रजामन्दी से हमारी पत्नी को मालिकाना हक मिल सकता है या नहीं?
समाधान–
जब तक वसीयत को पूरी तरह पढ़ा नहीं जाता है और उस में वर्णित संपत्ति किस के स्वामित्व की थी यह संज्ञान नहीं कर लिया जाता है तब तक वसीयत की ठीक ठीक व्याख्या करना असंभव है। आप ने वसीयत का जो अंश यहाँ उद्धृत किया है उस से सिर्फ इतना पता लगता है कि आप के ससुर जी अपनी मृत्यु के तुरन्त बाद अपनी संपत्ति को अपनी पुत्री नहीं देना चाहते थे। उन की इच्छा थी कि संपत्ति की स्वामिनी पुत्री बने लेकिन उन के देहान्त के उपरान्त नहीं बल्कि उन के और उन की पत्नी दोनों के देहान्त के उपरान्त।
आप के इस वाक्य से यह भी पता नहीं लग रहा है कि यह केवल आप के ससुर जी की वसीयत है अथवा आप के ससुर जी और सास की संयुक्त वसीयत है, यह भी पता नहीं लगता है कि यदि ससुर जी की ही वसीयत है तो फिर उन के देहान्त और उन की पत्नी के देहान्त के बीच उन की संपत्ति के संबंध में इस वसीयत में क्या व्यवस्था की गयी है।
वसीयत की गयी संपत्ति किस के स्वामित्व की थी वह ससुर जी के स्वामित्व की है या दोनों पति-पत्नी के स्वामित्व की है अथवा कुछ ससुर जी के स्वामित्व की और कुछ सास के स्वामित्व की है। इन कारणों से आप की समस्या का निश्चयात्मक उत्तर दिया जाना संभव नहीं है।
हमारी आप से सलाह है कि आप किसी नजदीकी दीवानी मामलों के वकील को उक्त वसीयत दिखा कर राय करें और उन की राय के अनुरूप कार्यवाही करें।
मेरी शादी को ९ साल हो गये है और कोई बच्चा नहीं है, अक्सर हमारे बीच नोक झोक और फिर लड़ाई हो जाती है, में उसपर कभी हाथ नहीं उठता मगर कभी कभी जा ज्यादा बत्तमीजी करती है तो मरता हु. इधर कुछ दिन पहले फिर मेरे जोक झोक हो गयी और वो बगेर किसी को बताये घर में ताला लगा के अपने घर चली गयी और साथ में हमारी तरफ से चढ़ाए होए सोने के जेवर भी ले गयी अब बात नहीं करती है उसका भाई कहता है के जो हरारे बस में होगा वो हम करेंगे| में अपनी परिवार से अलग रहता हु.
कृपया कर के मुझे ये जानने दे की इस इस्तिथि में मुझे क्या करना चाहिए और मेरे खिलाफ वो क्या कार्यवाही कर सकती है. अगर में उससे अलग होना चाहू तो कैसे ये हो सकता है वो भी कहती है के में अब तुम्हारे साथ नहीं रहना चाहती हु और वास्तव में में भी अब में भी पक गया हु. मैने कभी मारपिट में उसको जख्मी नहीं किया. इस सब का क़ानूनी रूप क्या होगा. क्या मुझे भरण पोषण देना होगा तलाक के बाद भी जबकि मैंने उसकी मेहर अदा कर दी है| जो हमारे देश में मुस्लिम पर्सनल लॉ है वो क्या कहता है| भारतीय साविधान के तहत इस मामले में मुझे कितनी रियायत हो सकती है या नहीं कृपया मार्गदर्शन करे| घन्यवाद!
नदीम जी, अपनी समस्या कुछ और विस्तार से निम्न लिंक पर फार्म में भेजें। https://teesarakhamba.com/%e0%a4%95%e0%a4%be%e0%a4%a8%e0%a5%82%e0%a4%a8%e0%a5%80-%e0%a4%b8%e0%a4%b2%e0%a4%be%e0%a4%b9-2/