बिना वैध कारण के मकान मालिक किराएदार से दुकान खाली नहीं करवा सकता
समस्या-
भरतपुर, राजस्थान से गुरदीप सिंह ने पूछा है-
मेरे पापा ने 1986 में एक होटल खोली थी जो आज भी चालू है। पापा का 2005 में देहान्त हो गया है। मैं उन का बड़ा बेटा हूँ। उस समय मेरी उम्र 14 वर्ष थी। मुझ से बड़ी 5 बहिनें हैं। चार की शादी हो चुकी है एक की शादी करवानी ह। मैं ने दुकान मालिक से तीन साल का समय और मांगा है दुकान चलाने के लिए लेकिन वह मान नहीं रहा है। इस के सिवा मेरा कोई रोजगार नहीं है। मुझे क्या करना चाहिए?
समाधान-
यदि किसी व्यवसाय के स्वामी का पुत्र खुद उस व्यवसाय को कर रहा है जिसे अपने जीवनकाल में स्वयं व्यवसाय का स्वामी कर रहा था तो पुत्र भी उसी तरह किराएदार है जिस तरह दिवंगत व्यवसाय का स्वामी था।
कोई भी दुकान का मालिक बिना किसी ऐसे कारण से जिस का उल्लेख राजस्थान किराया नियंत्रण अधिनियम में दिया गया है अपने किराएदार से दुकान खाली नहीं करवा सकता। इस कारण आप से दुकान खाली करवाने का कोई वैध और कानूनी कारण न होने पर आप का दुकान मालिक आप से दुकान खाली नहीं करवा सकता।
आप दुकान मालिक को कह सकते हैं कि जब आप को उचित दुकान किराए पर मिल जाएगी तब आप दुकान खाली कर देंगे, आप दुकान तलाश कर रहे हैं। यदि दुकान मालिक फिर भी दुकान खाली करने को कहता है तो आप लगातार कह सकते हैं कि दुकान तलाश रहा हूँ। दुकान मालिक के पास दुकान को खाली कराने का एक मात्र मार्ग अदालत में दुकान को खाली करने का आवेदन करना है जिस के लिए उस के पास कोई वैध कारण उपलब्ध होना प्रतीत नहीं हो रहा है। इस कारण अदालत भी उस के आवेदन पर दुकान खाली करने का आदेश नहीं देगी।
यदि दुकान मालिक के पास दुकान को खाली कराने का कोई वैध कारण उपलब्ध हो भी तो अदालत में कार्यवाही चलने में दो-तीन वर्ष लगना आम बात है। यदि अदालत दुकान खाली करने का प्रमाण पत्र जारी भी कर दे तो भी आप उस की अपील कर सकते हैं जिस में दो-तीन वर्ष और लग जाएंगे। इस तरह आप चार-पाँच वर्ष का समय निकाल सकते हैं। आप को तो केवल तीन वर्ष का समय चाहिए। तब तक आप अपनी वैकल्पिक व्यवस्था कर लें।
यदि दुकान मालिक आप को तंग करे या गैरकानूनी तरीका दुकान खाली कराने के लिए कराए तो आप पुलिस में उस की रिपोर्ट कर सकते हैं तथा दुकान को कानूनी तरीके के अलावा खाली न कराने व आप के व्यवसाय में बाधा न डालने के लिए स्थाई निषेधाज्ञा का वाद प्रस्तुत कर सकते हैं और तत्काल अस्थाई निषेधाज्ञा दुकान मालिक के विरुद्ध पारित करवा सकते हैं।
सर राजस्थान रेंट कंट्रोल एक्ट २०0१,के तेहत किरायेदार की बेदखली के विरुद्ध पेश किये वाद में किरायेदार के पक्ष पारित हुए निर्णय के बारे में बताये .ज्यादातर मामलों में माकन मालिको के हित में निर्णय दिए गए है .
सर राजस्थान रेंट कंट्रोल एक्ट २०११,के तेहत किरायेदार की बेदखली के विरुद्ध पेश किये वाद में किरायेदार के पक्ष पारित हुए निर्णय के बारे में बताये .ज्यादातर मामलों में माकन मालिको के हित में निर्णय दिए गए है .
कल 17/11/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!