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बिरादरियाँ टूटने को अभिशप्त हैं।

defamationसमस्या-

रमेश जैन ने बारोसी बाजार, जिला कटिहार, बिहार से समस्या भेजी है कि-

मेरा मेरे ही समाज के कुछ व्यक्तियों के साथ जमीन विवाद चल रहा है जो न्यायालय में विचाराधीन है। उस में से दो वादो में फैसला मेरे पक्ष में हुआ है। जिस में एक विवादित जमीं पर मुझे कब्ज़ा मजिस्ट्रेट ने दिला दिया और तीन विवाद अभी न्यायालय में विचाराधीन हैं। समाज एवं बिरादरी के लोगों द्वारा मुझे लगातार दबाव अथवा धमकी दिया जा रहा है कि सभी विवादों को वापिस ले लो और जमीन को रजिस्ट्री करवा दो अन्यथा हमारी बात नहीं मनाने पर तुम्हे एवं तुम्हारे परिवार को समाज की रक्षा हेतु सामाजिक रीती से समाज से बहिष्कृत कर देंगे। उनकी बात नहीं मानने पर हमारे ही समाज के कुछ व्यक्ति बैठक कर मुझे दिनांक 11 -09 -2014 को बहिष्कृत कर सभी के घर घर और स्थानीय थाना में भी फरमान अथवा बहिष्कृत किये जाने का पत्र भिजवाया है। इसके बाद भी उनका मन नहीं भरा तो कई बार मुझे फिर से दबाव डाला जा रहा है। जिस से में काफी तंग आ गया हूँ। अब मुझे भारतीय संविधान और कानून की शरण लेने के आलावा और कोई दूसरा रास्ता नहीं सूझ रहा है। ज्ञात हो कि इसी भूमि विवाद के कारण मेरे बहन का पुत्र भी लापता है जिसका अब तक कोई पता नहीं चला है। मैं ने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करी जो की सूचना का अधिकार के तहत मैं ने FIR नंबर प्राप्त किया है। सुचना में कहा गया कि बहुत छान बीन किया लेकिन बच्चा नहीं मिला। लेकिन अब में पुनः गायब बच्चे के सबंध में शक के आधार पर नामजद कर FIR दर्ज करना चाहता हूँ। चुकी भूमि विवाद के कारण ही ऐसी घटना हुई है। मैं ने प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने हेतु दिनांक 1 -12 -2014 को स्थानीय थाना में आवेदन दिया है। भारतीय डाक द्वारा भिजवाया ताकि साक्ष्य रहे। लेकिन मुझे प्रतीत हो रहा है कि थाना में FIR दर्ज नहीं की गई है। आगे मैं क्या करूं मार्गदर्शन करें।

समाधान-

प का सामाजिक बहिष्कार किया गया है, सब को और पुलिस थाना को पत्र भेजे गए हैं। यह आप को अपमानित करने का कार्य है। आप चाहें तो पंचायत में शामिल लोगों के विरुद्ध मानहानि का अपराधिक परिवाद न्यायालय में दाखिल कर सकते हैं। बिरादरियों का इस्तेमाल आज कल बिरादरी के दबंग और पैसे वाले लोग करते हैं जिस के कारण इस तरह की बिरादरियाँ अब टूट रही हैं, वे टूटने को अभिशप्त हैं। बहुत लोग इन से परेशान हैं और इस संगठन को तोड़ देना चाहते हैं। ऐसी लड़ाई उन तमाम परेशान लोगों को इकट्ठा कर एक साथ हो कर लड़ी जानी चाहिए।

जैसा कि एफआईआर (प्रथम सूचना रिपोर्ट) के नाम से ही स्पष्ट है यह किसी अपराध के बारे में मिली प्रथम सूचना होती है जिस पर अन्वेषण आरंभ होता है। यह सूचना आप दे चुके हैं। इस कारण अब दुबारा प्रथम सूचना रिपोर्ट नहीं हो सकती। आप के पास अतिरिक्त सूचना है तो आप अन्वेषण करने वाले अधिकारी को दे सकते हैं।  पुलिस के उच्चाधिकारियों को दे सकते हैं। या अन्वेषण में कमी हो तो संबंधित मजिस्ट्रेट के न्यायालय में सूचना दे कर उस से निवेदन कर सकते हैं कि उस मामले में पुलिस से प्रगति रिपोर्ट मंगाई जाए। यदि इस मामले में अंतिम रिपोर्ट लगा दी गई हो तो आप अपनी आपत्तियाँ न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत कर सकते हैं वहाँ अपना व अन्य साक्षियों के बयान करा सकते हैं। किन्तु एक ही मामले में दो प्रथम सूचना रिपोर्ट नहीं हो सकतीं।

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