भूखंड पुत्रवधुओं को हस्तान्तरित करने के लिए दान पत्र या वसीयत निष्पादित व पंजीकृत कराएँ
|समस्या-
बिहार से राजेश कुमार वर्मा ने पूछा है –
मेरी माता जी के नाम नगरीय क्षेत्र में एक आवासीय भूखंड है। माताजी विधवा हैं। मरे दो भाई और और एक विवाहित बहिन है। मेरी बहिन अपने पति के साथ निवास करती है। मैं चाहता हूँ कि उक्त भूखंड मेरी और और मेरे छोटे भाई की पत्नियों के नाम पंजीकृत हो जाए। मेरी माता जी सहमत हैं। प्रक्रिया क्या होगी?
समाधान-
किसी भी हिन्दू स्त्री की संपत्ति उस की निजि संपत्ति होती है वह उसे किसी को भी विक्रय कर सकती है, दान (Gift) कर सकती है और वसीयत कर सकती है। यदि वे ऐसा नहीं करेंगी तो वह संपत्ति उन के देहान्त के उपरान्त उन के उत्तराधिकारियों को, आप की माताजी के मामले में आप और आप के भाईर बहिनों को समान रूप से प्राप्त हो जाएगी। यदि आप की माता जी चाहती हैं कि उन का यह भूखंड उन के जीवनकाल में ही उन की पुत्रवधुओं के नाम हस्तान्तरित हो जाए तो उन्हें इस का दान पत्र (Gift Deed) निष्पादन करना होगा। इसे उप पंजीयक के कार्यालय में पंजीकृत कराना होगा। इस पर लगभग उतना ही खर्च आएगा जितना किसी संपत्ति को खरीदने पर उस का विक्रय पत्र पंजीकृत कराने पर आता है। खर्चे की इस राशि का मूल्यांकन आप अपने क्षेत्र के उप पंजीयक कार्यालय में पता कर सकते हैं। यह खर्च संपत्ति के बाजार मूल्य का 8 से 12 प्रतिशत तक का हो सकता है।
यदि आप इस खर्चे से बचना चाहें तो आप की माता जी उक्त भूखंड की वसीयत निष्पादित कर उसे उपपंजीयक के कार्यालय में पंजीकृत करवा सकती हैं। इस में मात्र एक-दो हजार रुपयों का खर्च आएगा। लेकिन उस स्थिति में दोनों पुत्र वधुएँ आप के माता जी के देहान्त पर ही उक्त भूखंड की स्वामी बन सकेंगी। माता जी के जीवन काल में वह भूखंड उन की संपत्ति बना रहेगा। वसीयत को आप की माता जी अपने जीवन काल में दूसरी वसीयत निष्पादित कर कभी भी परिवर्तित कर सकेंगी। किसी भी व्यक्ति की किसी संपत्ति के संबंध में की गई अंतिम वसीयत ही मान्य होगी। आप की माताजी के दृष्टिकोण से वसीयत निष्पादित कर पंजीकृत करवाना बेहतर है इस से उन में अपने जीवनकाल में आत्मविश्वास बना रहेगा। इस के निष्पादन में कोई विशेष खर्च भी नहीं होगा।