मकान के हिस्से के कब्जे के लिए दीवानी वाद संस्थित करें।
|मुन्नी लाल जायसवाल ने वाराणसी, उत्तर प्रदेश से समस्या भेजी है कि-
मेरे तीन भाई हैं। मेरे पिता जी की जो संपत्ति थी सबके नाम से वसीयत है। मेरे पिता जी की मृत्यु सन् 2008 मैं हुई है। मेरे तीन बेटे और दो बेटियाँ हैं। दोनों बेटियों की शादी हो चुकी है। मैं ने बड़े लड़के की शादी सन् 2009 में कराई थी। तब से वो हमसे अलग रहता था। उस बीच छोटी लड़की की शादी मेरे दोनों बेटो ने मिल कर कराई थी। मेरा बार लड़का फऱवरी 2015 को मेरे घर में जबरदस्ती पुलिस की सहायता से घर में घुस कर रहने लगा और कोई खर्च भी सन् 2009 से नहीं दे रहा है और जब से आया है तब से मारता और गाली गलौज करता है थाने पर शिक़ायत करने पर कोई सुनवाई नहीं होती। पुलिस वाले उस के परिचित हैं उसे घर से निकालना चाहता हूँ, मुझे क्या करना चाहिए?
समाधान–
जब आप का बड़ा पुत्र जबरन घर में घुसा तभी आप को पुलिस में रिपोर्ट करानी चाहिए थी। यदि पुलिस वाले नहीं सुन रहे थे तो तुरन्त अदालत में परिवाद प्रस्तुत करना चाहिए था। इस तरह जब भी कोई संपत्ति के संबंध में जबरन कब्जा करने या हटाने संबंधी घटना हो पुलिस न सुने तो वकील की मदद लेते हुए धारा 145, 146 में इलाके के एसडीएम में आवेदन करना चाहिए। यह कार्यवाही घटना होने के दो माह में की जा सकती है। लेकिन आप ने वह समय गवाँ दिया है।
संपति आप चारों भाइयों के नाम वसीयत है। निश्चित रूप से अभी हिस्से नहीं हुए होंगे। इस तरह आप चारों मालिक हैं। आप के किसी बेटे या बेटी का आप के जीवित रहते मकान पर कोई हक नहीं है। आप को चाहिए कि इस तरह बेटा जो जबरन मकान मे जबरन घुस कर रहने लगा है उस से मकान के जिस हिस्से में वह रहता है उस का कब्जा लेने के लिए चारों भाइयों की ओर से कब्जा प्राप्त करने का दावा करें।
यदि किसी तरह का झगड़ा या मारपीट करता है तो उस का कायदा यही है कि पहले आप पुलिस में रिपोर्ट लिखाने का प्रयत्न करें। जरूरी नहीं कि हमेशा पुलिस वाले उसी की सुनें। यदि पुलिस नहीं सुनती है तो आप न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत कर उस के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराएँ। आप को वकील की सहायता की जरुरत है इस कारण आप को कोई अच्छा वकील कर लेना चाहिए।
Hi
मेरे दादा 2भाई थे वो दोने ने मिल कर एक जमीन खरदी थी पैर जमीन पर मेरे बरे दादा का नाम है और बात ये है की अब उनके बेटे लोग हमे उस जमीन पैर हिसा नही देना चाहते है और दादा जी का देहान्त भी हो गया है हम क्या कर सकते है
जब की किसी पेपर पर मेरे दादा जी का नाम नहीं है