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मुकदमों के अंबार में न्याय प्रणाली का दम घुट जाएगा।

भारत यूरोपीय-संघ बिजनेस फोरम  द्वारा शुक्रवार शाम कोर्ट-हाउस होटल लंदन में आयोजित एक समारोह में “भारत में न्यायिक सुधार” विषय पर मुख्य भाषण देते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति बालकृष्णन फट पड़े, और कहा कि भारतीय अदालतों में मुकदमों का अंबार लग गया है और इस मुद्दे से निपटने के लिए उठाए गए कदम नाकाफी हैं।

इसी समारोह में न्यायमूर्ति अरिजित पसायत ने कहा कि न्यायिक प्रणाली के सुधार के लिए सब से पहले भारत में मुकदमों के निपटारे में हो रही अत्यधिक देरी पर ध्यान दिया जाना जरूरी है, जिस के कारण मुकदमों का अंबार लगातार बढ़ रहा है और भारत में सभी अदालतें मुकदमों के ढेर में दबी हैं। उन्हों ने कहा कि मुकदमों के निपटारे में देरी और अदालतों में लगे उन के अंबार की समस्या के बारे में शीघ्र ही कुछ नहीं किया गया तो पूरी न्याय प्रणाली का दम इस अंबार में दब कर घुट जाएगा। लोगों के धीरज की परीक्षा ली जा चुकी है और वे अधिक प्रतीक्षा नहीं कर सकते। 
उन्हों ने कहा कि वर्तमान समय की आवश्यकता यही है कि न्याय की आवश्यकता को साम्य और निष्पक्षता के साथ पूरा करने के लिए मुकदमों के निपटारे की गति को तुरंत तीव्र किया जाए और पुराने मुकदमों को तुरंत निर्णीत किया जाए। इसी समय उन्हों ने इस बात पर भी जोर दिया कि मुकदमों के शीघ्र निपटारे और पुराने मुकदमों का निर्णय करने में अनुचित जल्दबाजी और लापरवाही भी उचित नहीं है क्यों कि इस तरह हम एक बुराई के स्थान पर दूसरी को स्थापित कर देंगे।

इसी सभा में मुख्य न्यायाधीश ने बताया कि ब्रिटेन की कानूनी फर्मों को भारत में काम करने की अनुमति शीघ्र  दी जा सकती है। अंतिम निर्णय भारत की बार कौंसिल को लेना है। मैं सोचता हूँ कि वह विदेशी कानूनी फर्मों को भारत में काम करने से रोकने के प्रयासों को अधिक समय तक जारी रख पाएगी। उन से यह पूछने पर कि ब्रिटेन की तब तक कानूनी फर्मों को भारत में विदेशी निवेशकों को सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से उन्हें सलाह देने का काम करने दिया जा सकता है? उन्हों ने कहा कि यह निर्णय भारत की बार कौंसिल को करना है। लेकिन यह निश्चित है कि वे शीघ्र भारत आ रही हैं। भारत और ब्रिटेन की बार कौंसिलों के मध्य वार्ता आरंभ हो चुकी है और यह शीघ्र ही होगा।

ब्रिटेन में भारत के उच्चायुक्त शिवशंकर मुकर्जी ने कहा कि यह होने जा रहा है। मैं स्वयं भारत के विधि मंत्री हंसराज भारद्वाज और ब्रिटेन के न्याय सचिव जेक स्ट्रॉ के बीच बातचीत में मौजूद था। मैं आप को समय नहीं बता सकता लेकिन यह मामला वरिष्ठ स्तर पर चल रहा है और शीघ्र निर्णय होगा। बार कौंसिल के चेयरमेन टिमोथी दत्तन ने भय प्रकट किया कि यदि भारतीय विधितंत्र को खोल दिया गया तो वह ब्रिटिश सॉलिसिटरों के द्वारा हथिया लिया जाएगा।
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