DwonloadDownload Point responsive WP Theme for FREE!

मुस्लिम पत्नी की मृत्यु पर पति को संतान न होने पर उस की संपत्ति का आधा और संतान होने पर चौथाई हिस्सा उत्तराधिकार में प्राप्त होगा

muslim inheritanceसमस्या-

दिल्ली से मोहम्मद हबीब ने पूछा है –

मेरी पत्नी ने मुझ पर दहेज वापसी की मांग की और धारा 498-ए तथा 406 आईपीसी का मुकदमा चला दिया जो लंबित है। इस बीच मायके में रहते हुए पत्नी की मृत्यु हो गई। हमारी कोई सन्तान नहीं है। अब उस का भाई मुझ से दहेज वापस मांग रहा है, इस के लिए उस ने न्यायालय में आवेदन किया है। मुकदमा चलते 7 साल हो चुके हैं मेरी पत्नी की मृत्यु दो वर्ष पहले हो चुकी है। क्या मुझे दहेज वापस देना होगा?

समाधान-

मुकदमे में आप की पत्नी का बयान हो चुका था। बाकी गवाहों के भी हो चुके होंगे या फिर अब हो लेंगे। इस कारण मुकदमे में यदि यह सिद्ध होता है कि आप पर 498-ए व 406 भा.दं.संहिता के आरोप सिद्ध है तो आप को जो भी न्यायालय उचित समझेगा वह दंड भी देगा। यदि आरोप साबित नहीं होते हैं तो आप निर्दोष सिद्ध हो जाएंगे।

म तौर पर जो भी दहेज प्रथम सूचना रिपोर्ट में दर्ज कराया जाता है पुलिस उसे जब्त कर के अपनी अभिरक्षा में ले लेती है। उस के बाद न्यायालय अपने विवेक पर पत्नी के कब्जे में दे देती है। जब्त किया गया सामान किस के पास रहेगा यह वह मुकदमे के निर्णय के समय तय करती है। आप के मामले में आप की पत्नी ने रिपोर्ट में क्या दहेज लिखाया था और क्या पुलिस ने जब्त किया है यह स्पष्ट नहीं है। फिर भी जो कुछ जब्त किया था वह या तो आप की पत्नी को पहले ही दे दिया गया होगा, यदि नहीं दिया है तो उस के मामले में न्यायालय अपना निर्णय दे देगा।

स मामले में आप की पत्नी की मृत्यु हो चुकी है तो उस की मृत्यु के साथ ही दहेज जो कि  उस की संपत्ति थी वह भी मुस्लिम उत्तराधिकार की विधि के अनुसार उन के उत्तराधिकारियों की हो चुकी है। संतान न होने के कारण उस की संपत्ति के आधे हिस्से के आप हकदार हैं। यदि आप की पत्नी के माता-पिता मौजूद हैं तो कुल संपत्ति का 1/3 उस की माता का और 1/6 उस के पिता का होगा। यदि माता-पिता नहीं होंगे तो उस की संपत्ति का आधा हिस्सा उस के भाई-बहनों को प्राप्त होगा।

प न्यायालय में भाई के आवेदन के उत्तर में यह आपत्ति प्रस्तुत कर सकते हैं कि पत्नी की संपत्ति के आधे के आप स्वामी हो चुके हैं शेष आधा हिस्सा उत्तराधिकार के अनुसार जिस के भी हिस्से में आए वह उस के उत्तराधिकारियों को दे दिया जाए, उस में मुझे कोई आपत्ति नहीं है।