लायसेंस समाप्त कर मकान का कब्जा प्राप्त करने के लिए न्यायालय में दीवानी वाद प्रस्तुत करें।
ऊषा रानी ने सनलाईट कालोनी नम्बर-1, नई दिल्ली-14 से समस्या भेजी है-
मैं अपने परिवार के साथ रहती हूँ, और जंगपुरा मे दैनिक मजदूरी करती हूँ। मेरे पति श्री सतीश कुमार का 2008 मे हार्ट का ओपरेशन हुआ है और वह अब घर पर ही रहते हैं। 443, नः का मकान मेरे पति के पिता जी की सम्पत्ति है। काफी समय से हमारे साथ मेरे पति के चाचा के लड़के के बच्चे भी रह रहे हैं। हम लोग उन से किसी भी प्रकार का किराया भी नहीं लेते और मेरे पति समय-समय पर इन लोगों की रूपये पैसो से सहायता भी करते रहे हैं। हमने जब हमारे दिए हुए पैसों को राजकुमारी को वापस करने को कहा तब-तब कोई ना कोई बहाना देती है। हमारे पास पैसों के लेन-देन का राजकुमारी के पति स्वर्गीय श्री सुरेश कुमार का लिखित और इन सब के अंगुठे कि छाप व हस्ताक्षर किया हुआ एग्रीमेंट भी है। जनाब काफी समय से राजकुमारी अपने दोनो लड़को के साथ मिल कर मुझे और मेरे पति एवं बच्चो को परेसान कर रहे हैं। इसका छोटा लड़का अपराधी प्रवृति का है और मेरे बच्चों को अकसर मारने पीटने कि धमकी देता रहता है। हम लोग चुप रह जाते हैं क्योकि मेरे पति का स्वास्थ्य ठीक नहीं है। दिल भी काफी कमजोर है। डाक्टरो ने उन्हें ज्यादा बोलने चलने फिरने को मना करा हुआ है इसलिए हम लोग उन्हे कुछ नहीं बताते। एक बार पहले भी रितेश कुमार और निकेश कुमार उर्फ कल्ली दोनो भाई मेरे पति के साथ मार पीट कर चुके हैं और मेरे पति को मेट्रो हॉस्पिटल मे भरती करना पडा था। हमें काफी मुश्किलो का सामना करना पड़ा था। हमने इनकी हरकतो से परेशान होकर हमारा मकान खाली करने को कहा और इनका एक डी.डी.ए.क्वाटर ए-57 गढ़ी ईस्ट ऑफ केलाश में है वहां जाकर रहने को कहा। इस पर राजकुमारी बोली वह मकान मेरे पति और सास ने काफी समय पहले बेच दिया। इस पर मेरे पति ने कहा जब वो बेच रहे थे तब मुझे क्यों नहीं बताया। राजकुमारी बोली हमने जरूरी नहीं समझा। ये सुनकर मेरे पति खामोश हो गए। मेरे पति ने राजकुमारी से कहा भाभी देखो आपके बच्चे भी बड़े हो गए हैं और मेरे बच्चे भी और मैं काफी समय से बीमार भी चल रहा हूँ। रिश्तों में काफी खटास आगई है अच्छा यही रहेगा आप मेरा मकान छोड कहीं और चले जाओ। इस से रिश्ते भी बचे रहगें और सब शांति से भी रहेंगे। राजकुमारी बोली ये तो मैं भी समझती हूँ और चाहती भी हूँ पर मेरी भी मजबूरी है मेरी आमदनी से अपना खर्च ही बडी मुश्किल से चला पाती हूँ। बस थोडे दिनों की बात है मैं परमानेन्ट होने वाली हूँ (राजकुमारी MCD में दैनिक मजदूरी सफाई कर्मचारी थी) पक्की होते ही चली जाऊँगी। मेरे पति ने कहा चलो ठीक है, अब राजकुमारी को परमानेन्ट हुए भी काफी समय हो गया। मेरे बेटे की शादी का वक्त भी करीब आ रहा था। शादी की तारीख 25-01-2015 थी। मेरे पति ने राजकुमारी से फिर कहा भाभी अब आप परमानेन्ट भी हो गई हो और घर मे शादी भी है। जगह की जरूरत पडेगी, अब तो घर खाली कर दो। वो बोली मैं परमानेन्ट तो हो गई पर मेरे पास अभी पैसों का जुगाड़ नही हो पा रहा है, जगह भी लेनी है और बनाना भी है तुम्हारे पैसे भी देने हैं। थोडा और रुक जाओ जैसे ही पैसों का जुगाड़ होगा मै खुद ही चली जाऊंगी। इस पर मेरे पति ने कहा भाभी मेरे पैसो की फिक्र मत करो जब तुम्हारे पास हो तब दे देना। फिर राजकुमारी ने कहा मुझे जमीन भी तो खरीदनी पडेगी इतने पैसे कहां से लाऊं। अगर मेरे पास जमीन होती तो कहीं ना कहीं से कर्जा लेकर और कुछ पास से मिला कर बना लेती। इतना सुनकर मेरे पति ने कहा भाभी लगता है कि तुम्हारा ईरादा घर खाली करने का नहीं है। राजकुमारी बोली नही तुम गलत समझ रहे हो भगवान कि कसम खा कर बोल रही हूँ। जमीन लेते ही उसे बनाते ही मैं चली जाऊँगी। मेरे पति ने कहा अगर ऐसी बात है तो जैसा कि तुम्हें मालूम है मेरे पास होलम्बी कलाँ अलीपुर नरेला के पास एक प्लॉट खाली पडा है। अगर तुम चाहो तो उसे बनाकर रह लो। जब आपके पास पैसे हो तब दे देना। राजकुमारी बोली मुझे मंजूर है। मेरे पति ने होलम्बी कलाँ अलीपुर नरेला के खाली प्लॉट के कागज राजकुमारी को सौप दिए। इस बात को भी काफी समय हो गय़ा जब मेरे पति ने होलम्बी कलाँ मे रहने वाले अपने दोस्त से जानकारी हासिल की तब उसने बताया राजकुमारी प्लाँट बेचने की कोशिश कर रही है। जनाब हमने इस बारे में अभी कोई बात नहीं की है। अब मुझे ये खबर भी मिली है कि मेरे मकान 443, में रिपेरिगं के नाम पर मेरे घर पर कब्जा करने की साजिश कर रही है। जनाब मुझ गरीब की मदद करें। राजकुमारी के लडके निकेश और रितेश कि हमें जान से मारने की धमकी से हमें हर वक्त एक अजीब सा डर लगा रहता है। मेरे पति बीमार हैं उनकी देख भाल के लिए मेरा छोटा बेटा और जवान लडकी घर पर ही रहती है। वो निकेश और उसके अपराधी किस्म के बदमाशो का सामना नहीं कर पाएंगे कृप्या करके बताए हम क्या करे ।
उषा रानी के पति सतीश कुमार ने अलग से लिखा है-
मेरी उम्र 51 वर्ष के आस पास हो गई है। मेरे पिता का देहांत 1969 में ही हो गया था। तब से ही दूसरे लोग हम बेसहारा लोगों का फायदा उठा रहे हैं। पिताजी के बाद उनकी नौकरी ले ली और हमें भूखा रह कर गुजारा करना पड़ा। हमारी जमीन हड़प ली और जो मकान मेरे पिताजी ने बनवाया उस पर भी आकर रहने लगे। बोले बच्चे छोटे हैं हम इनकी देखभाल करेंगे। बस फिर क्या था एक-एक करके मेरे पिता के नाम जो भी था हड़प लिया। अब एक मकान बचा है जिस में मैं अपने परिवार के साथ रह रहा हूँ उसपर भी कब्जे की साजिश चल रही है। मैं इंडियन एयर लाईन्स मे अस्थाई हैल्पर लोडर के पद पर सन 2000 से कार्यरत हूँ। ,2008 में मेरा हार्ट का ओपरेशन हुआ तब से भारी कार्य करने की मनाही है। पर काम ना चला जाए इस डर के कारण सब कुछ करना पडा। 2011 में एयर पोर्ट ड्यूटी पर जाते वक्त मैं दुर्घटना का शिकार हो गया, चोट सीने पर ज्यादा आई। ईलाज के दौरान मुझे टी.बी. हो गई जिस वजह से कार्य पर नहीं जा सका। उसके बाद से घर पर ही हूँ। फिर से भूखे रहने की नोबत आ गई तो मेरी पत्नी ने कुछ घरों में सफाई का कार्य करके हमें सम्भाला। पर अब मैं ठीक हूँ और हर कार्य कर सकता हूँ। क्या मैं दुबारा नौकरी पर जा सकता हूँ, क्योंकि हमे कोर्ट के आदेश पर कम्पनी ने रखा है मेरा नाम भी पैनल में है और जो मकान मेरे पिता के नाम है मैं उसी मे रहता हूँ और मेरी चाची के लडके की बहू अपने बच्चो के साथ ऱह रही है मकान को अपने नाम कैसे करा सकता हूँ? मेरी चाची के लडके की बहू को कैसे निकाल सकता हूँ?
समाधान–
आप का मकान सतीश कुमार के पिता के नाम है जिन की मृत्यु हो चुकी है। उत्तराधिकार में वह मकान सतीश कुमार को मिल चुका है और उन्हीं की संपत्ति है। उसे अलग से सतीश कुमार के नाम करवाने की जरूरत नहीं है। यदि नगर निगम में मकान का रिकार्ड हो और मकान सतीश कुमार के पिता के नाम लीज पर हो तो नगर निगम में पिता का मृत्यु प्रमाण पत्र और उन के पुत्र होने व अन्य कोई उत्तराधिकारी न होने की साक्ष्य प्रस्तुत करते हुए आवेदन प्रस्तुत करने से मकान की लीज सतीश कुमार के नाम हस्तान्तरित की जा सकती है। इस मामले में आप को नगर निगम से जानकारी करनी चाहिए और मकान की लीज को अपने नाम करवा लेना चाहिए।
आप के चाचा की बहू अपने बेटों के साथ इसी मकान में रह रही है वह आप की अनुमति से रह रही है, उस का इस मकान पर कोई हक नहीं है। जिस तरह से आप की पत्नी उषा रानी ने लिखा है, वह कोई कार्यवाही किए बिना मकान खाली नहीं करेगी। उस के लिए आप को कानूनी कार्यवाही अदालत में करनी होगी। यदि उस ने कोई किरायानामा लिखा हो तो वह किराएदार हो सकती है। यदि आप उसे कहें कि अब वह नहीं रह सकती यदि रहना है तो उसे किरायानामा लिखना होगा। यदि वह किरायानामा लिख देती है तो आप अपनी जरूरत के आधार पर उस के विरुद्ध किराए का मकान खाली करने का मुकदमा अदालत में कर सकती हैं। यदि किरायानामा न हो कोई किराए की रसीद नहीं हो तो यह माना जाएगा कि वह एक लायसेंसी की हैसियत से मकान में निवास कर रही है। वैसी स्थिति में आप को एक नोटिस दे कर उस का लायसेंस समाप्त करना होगा। लायसेंस समाप्त करने की तारीख के बाद उस के विरुद्ध मकान खाली करने का मुकदमा करना पड़ेगा। इस काम को करने के लिए आप को किसी स्थानीय वकील की सहायता लेनी पड़ेगी। आप किसी स्थानीय वकील से संपर्क करें और पूछें कि क्या किया जा सकता है। उन्हें हमारी राय बताएँ और अपने वकील के बताए अनुसार कार्यवाही करें।
आप को कोर्ट के आदेश से नौकरी पर रखा था। लेकिन आप दुर्घटना में घायल होने व बीमार होने से नौकरी पर नहीं जा सके। आप ने नौकरी पर यह सब लिख कर दिया ही होगा कि आप क्यों नौकरी पर नहीं आ पा रहे हैं। अब आप को नौकरी पर न गए समय का दुर्घटना व बीमारी के कारण इलाज और आराम करने का प्रमाण पत्र डाक्टरों से ले कर उन प्रमाण पत्रों के साथ नौकरी पर लिए जाने के लिए अपने नियोजक को आवेदन करना चाहिए। यदि वे नौकरी पर ले लेते हैं तो ठीक है यदि वे नौकरी पर लेने में 10-15 दिन से अधिक लगाते हैं तो आप को श्रम न्यायालय में कार्यवाही करने वाले वकील से संपर्क कर के अपना मुकदमा श्रम विभाग में लगाना चाहिए।
एक और समस्या उषा रानी ने बताई है कि चाची की बहू के लड़के आप के व आप के परिवार के साथ मारपीट करने की धमकी देते हैं। उन की रिपोर्ट पुलिस में कराइए और यदि कोई घटना होती है तो तुरन्त पुलिस को सूचित करें। पुलिस यदि कार्यवाही नहीं करती है तो सीधे मजिस्ट्रेट के न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत कर कार्यवाही करें।