वकील को तथ्य बताने, साक्ष्य तथा सबूत जुटाने में गंभीरता बरतें, इन की कमी से एक अच्छा वकील भी मुकदमा हार सकता है।
समस्या-
मुजफ्फरपुर, बिहार से रामनारायण कुमार ने पूछा है-
एक लड़की शादी के बाद अपने ससुराल से झगड़ा करके मायके चली आई। मायके में आने के समय उसे तीन माह का गर्भ था। मायके में उसने एक लड़के को जन्म दिया। लड़के वाले ने लड़की को अपने ससुराल चलने को कहा तो उस ने जाने से इनकार कर दिया। लड़का पक्ष समाज को विदा करने के लिए निवेदन किया। लड़की पक्ष ने समाज का भी कहना नहीं माना। तब हार कर लड़का पक्ष ने फॅमिली कोर्ट में आवेदन दिया। लड़की पक्ष ने दहेज प्रताड़ना का झूठा केस लड़का पक्ष पर कोर्ट में कर दिया है। इस में लड़का पक्ष को क्या करना चाहिए? लड़का पक्ष लड़की एवम् उस बच्चे को मान सम्मान के साथ रखना चाहता है।
समाधान-
आप ने अपनी समस्या में यह नहीं बताया कि लड़का पक्ष ने फैमिली कोर्ट में आवेदन किस संबंध में दिया है, विवाह विच्छेद के लिए अथवा दाम्पत्य अधिकारों की प्रत्यास्थापना (पत्नी को ससुराल लाने) के लिए? खैर¡
लड़का पक्ष को अपना मुकदमा पूरी तैयारी के साथ लड़ना चाहिए। गवाह सबूत प्रस्तुत करने में कोई कोताही नहीं करनी चाहिए। उसी तरह उस के व उस के परिवार के विरुद्ध दहेज प्रताड़ना का जो झूठा मुकदमा किया गया है उस में भी अच्छा वकील कर के मजबूती से प्रतिरक्षा करना चाहिए। यदि लड़का पक्ष सही और सच्चा है तो उस का आवेदन भी न्यायालय मंजूर करेगा और उन के विरुद्ध जो मिथ्या मुकदमें बनाए गये हैं वे भी खारिज हो जाएंगे। यदि ऐसा नहीं होता है तो आगे अपील भी की जा सकती है।
अक्सर इस तरह के मामलों में कभी यदि सचाई हारती है तो वह केवल इस कारण से न्यायालय में अपने पक्ष के गवाह सबूत ठीक से प्रस्तुत नहीं किए जाते और प्रतिरक्षा सही तरीके से नहीं होती। इस कारण से यह जरूरी है कि लड़का पक्ष का वकील अच्छा हो, मुकदमे को समय देने वाला हो। वकील को तथ्य और साक्ष्य हमेशा पक्षकार ही ला कर देते हैं। यदि स्वयं पक्षकार सबूत जुटाने और तथ्यों को अपने वकील को बताने में कोई कमी रखता है तो एक अच्छा वकील होने पर भी मुकदमे में हार का सामना करना पड़ सकता है। इस लिए मुकदमा करने के बाद सबूत और साक्ष्य जुटाने में तथा तथ्यों को बताने में पक्षकारों को पूरी गंभीरता बरतनी चाहिए।