विपरीत कब्जे के आधार पर आप बचाव कर सकते हैं।
समस्या –
रुद्रपुर, उत्तराखण्ड से मानस जायसवाल ने पूछा है –
मेरे दादा के भाई ने अपने प्लाट जो की उनको सरकार से पट्टे पर मिला था के एक हिस्से में मेरे दादा को घर बना के दिया और बाकी हिस्से में खुद रहते थे। हमें वहाँ रहते हुए 40 साल का समय हो गया है। गृहकर दादा के भाई के नाम से आता रहा है। प्लाट का पट्टा भी उन्ही के नाम से है। पट्टा 1956 में 99 वर्ष के लिए सरकार ने दिया था, जो की 33 साल की 3 किश्तों में था। दादा के भाई के स्वर्गवास के बाद 2011 में उनकी पत्नी ने उस घर को सरकार की फ्री-होल्ड नीति अनुसार फ्री-होल्ड कराने का आवेदन किया है। मुझे डर है कि कहीं फ्री-होल्ड करने के बाद वह मुझे घर से निकलने का आदेश न दे दे। मेरे नाम सिर्फ बिजली और पानी का बिल आता है, वह भी मेरे हिस्से का। नगर पालिका में एक बार मेरे पिता जी ने अपने नाम से गृहकर लगवाया था जो कि मेरे दादा के भाई के द्वारा आपत्ति करने पर कट गया था। अभी पूरा गृहकर दादा के भाई की पत्नी के नाम से आता है। मैंने उनके द्वारा किये गए फ्री-होल्ड के आवेदन पर अपनी आपत्ति डीएम को लिखित रूप में दर्ज करा दी है एवं स्वयं भी अपनी माताजी के नाम से फ्री-होल्ड के लिए आवेदन कर दिया है। मार्गदर्शन करें कि मैं क्या करूँ? क्या मुझे कोर्ट में उनके फ्री-होल्ड के विरुद्ध स्टे के लिए आवेदन करना चाहिए? अगर वे मुझे मकान खाली करने का नोटिस देते हैं और कोर्ट जाते हैं तो उस स्थिति में क्या होगा?
समाधान-
भूखंड आप के दादा के भाई के नाम पट्टे पर है। दादा के भाई ने उसी प्लाट पर आप को मकान बना कर दिया है जिस में 40 वर्ष से आप रह रहे हैं। इन चालीस वर्षों में आप के रहने पर किसी तरह की कोई आपत्ति किसी ने नहीं की है और आप के हिस्से के नल बिजली के कनेक्शन आप के नाम से हैं तथा बिलों का भुगतान आप करते हैं। इस तरह आप का उक्त संपत्ति पर विपरीत कब्जा (adverse possession) हो चुका है। वे आप से कब्जा पुनः प्राप्त नहीं कर सकते। यदि वे कब्जा प्राप्त करने के लिए कोई कानूनी कार्यवाही करते हैं तो विपरीत कब्जे के आधार पर खारिज हो सकती है।
आप ने पूरे भूखंड को उन के नाम फ्री-होल्ड पर करने की आपत्ति सही ही की है। यदि किसी भी तरह से पट्टेदार से भूमि का कब्जा किसी अन्य को हस्तांतरित हो गया है तो फिर पट्टेदार को पूरे भूखंड का फ्री-होल्ड स्वामी नहीं बनाया जा सकता। इस तरह आप ने अपने कब्जे के भूखंड के हिस्से को आप की माता जी के नाम करने का आवेदन भी ठीक ही किया है। इस के लिए आप को न्यायालय जाने की आवश्यकता नहीं है। पहले डीएम को अपना निर्णय देने दो। यदि आप का फ्री-होल्ड करने का आवेदन निरस्त होता है या आप के दादा की पत्नी का आवेदन पूरे भूखंड के लिए स्वीकार किया जाता है तो उन आदेशों को सक्षम न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है और तब उपयुक्त अस्थाई निषेधाज्ञा के लिए आवेदन कर के स्थगन तथा अस्थाई निषेधाज्ञा भी प्राप्त की जा सकती है। बस आप अपने हिस्से के मकान पर कब्जा बनाए रखें।
मेरे दादाजी के नाम से कोई खेत ह उसके पास मे ही कोइ खाली जमीन है जिसपे हमारा काफी सालौ से कब्जा है उसमे हमारे पत्थर भी पडे है लेकिन अब कोई हमे उस कब्जे वाली जमीन से जबरन हटा रहा है हम बहुत ही परेशान है आप बताईये की हमे क्या करना चाहिए
मरे दादा जी की मृत्यु के बाद .1988 में मेरे पापा और चाचा के बीच पंचायत द्वारा स्टाम्प पेपर पर बटवारा हुआ जिस पर दोनों के और पंचो के हस्ताक्षर हुए ,उस पेपर पर दोनों को साढ़े चार डिसमिल जमींन देने की बात लिखी गयी वास्तव में दोनों के पाससाढ़े चार डिसमिल जमींन से कम जमींन है , परन्तु जमींन की मापी नहीं कराई गयी , संभवतः मेरे पिताजी को आधा या पौना डिसमिल अधिक मिला होगा , उस समय से दोनों भाई को किसी के हिस्से पर आपत्ति नहीं थी साथ ही जो हिस्सा दोनों के पास है उस पर दोंनो बटवारे से कई साल से रह रहे हैं , कुछ साल पहले चाचा ने पुराना घर तोड़ कर अपने हिस्से पर पक्का घर बना लिया है , जब हमलोग घर बनवा रहे है तब चाचा के बेटे पोलिस को बुला कर फिर से नापी और पुनः बटवारा करवाना चाह रहे हैं संभवतः पुलिस भी उनका साथ दे रही है , हमलोगों ने कहा की जब चाचा को कम हिस्सा मिला था तो उन्हें पहले कहना चाहिए अभी आप को बटवारा मान्य नहीं था तो आपने घर कैसे बनवा लिया परन्तु वे और थाना मेरा कुछ सुनने को तैयार नहीं बताए की हमें क्या करना चाहिए इससे पहले मेरे मित्र आनंद ने आप से सवाल पूछा था पर उस समय मुझे भी बटवारे की वास्तविक स्थिति पता नहीं थी उसे आप के बारे बताया , मेरे घर में मुझे छोड़ कर कोइ जादा पढ़ा लिखा नहीं है कृपया मेरा मार्ग दर्शन करें पूनम कुमारी ,शोध छात्र , इतिहास विभाग रांची विश्वविद्यालय