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विलेख को उस की जानकारी होने की तिथि से मियाद मानते हुए चुनौती दी जा सकती है।

rp_kisan-land.jpgसमस्या-

राकेश ने दिल्ली से राजस्थान राज्य की समस्या भेजी है कि-

मेरे पिता और दादा जी का जन्म 17.06.1956 से पहले का है। मेरे पिता के सभी भाई (तीन) बहन (दो) का जन्म 1960 के बाद का है। पैतृक संपत्ति में 105 बिस्वा ज़मीन है जो कि चार खेतो में है। रेवेन्यू के अभिलेख में आज भी ज़मीन मेरे के दादा जी नाम है। 1982 में मेरे दादा जी ने मेरे दो चाचा को 28 बिस्वा ज़मीन गिफ्ट डीड दवारा दे दी। 2013 में मेरे दादा जी ने 42 बिस्वा मेरे पिता और तीसरे चाचा के नाम सेल डीड कर दी। मेरे पिता को उनके हक़ 52.5 बिस्वा में से मात्र 21 बिस्वा जमींन अभी तक मिली हैं। मेरा जन्म 1973 का है। मुझे 2013 में गिफ्ट डीड के बारे मे पता चला। क्या मैं गिफ्ट डीड के खिलाफ दावा कर सकता हूँ। मेरा 105 बिस्वा में क्या हक हैं, और मेरे हित में मैं क्या करूँ?

समाधान

दि यह कृषि भूमि पुश्तैनी है अर्थात आपके दादा जी को यह भूमि उन के पिता जी से उत्तराधिकार में प्राप्त हुई थी तो जैसे ही आप के पिता जी का जन्म हुआ वे भी उस के हिस्सेदार हो गए। शेष भाई भी उसी प्रकार उस पुश्तैनी संपत्ति में जन्म से हिस्सेदार होते गए। 2005 में हिन्दू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम 2005 प्रभावी होने पर आप के पिता की बहनें भी उस में भाइयों के समान ही हिस्सेदार हो गयीं। आप के पिता और उन के सभी भाइयों की संतानें भी उसी तरह उस की हिस्सेदार होती गयीं।

1982 में आप के पिता की बहनें उक्त पुश्तैनी संपत्ति में हिस्सेदार नहीं थीं। इस कारण उस समय आप के दादा जी उक्त संपत्ति में से जो उन का हिस्सा था उतनी संपत्ति की गिफ्ट डीड कर सकते थे। यदि उस के उपरान्त भी दादाजी का कोई हिस्सा उस संपत्ति में शेष रहा होगा तो वे 2013 में अपने हिस्से की सीमा तक भूमि का विक्रय पत्र निष्पादित कर सकते थे। लेकिन इन दोनों विलेखों के निष्पादन के समय वे अपने हिस्से से अधिक की भूमि हस्तान्तरित नहीं कर सकते थे। यदि उन्हों ने अपने हिस्से की संपत्ति से अधिक संपत्ति हस्तान्तरित की है तो उन विलेखों को चुनौती दी जा सकती है।

2013 के विलेख को चुनौती देने की समय सीमा अभी है। 1982 में जो विलेख निष्पादित हुआ है उसे चुनौती देने के लिए वाद आप केवल तब संस्थित कर सकते हैं जब कि उक्त विलेख की जानकारी होने के दिन से 3 वर्ष की अवधि समाप्त नहीं हुई हो।

आपको चाहिए कि आप तुरन्त किसी अच्छे स्थानीय वकील से सलाह करें और जितना जल्दी हो सके अपने हिस्से को प्राप्त करने के लिए उक्त दोनों विलेखों को चुनौती देते हुए संपत्ति का बंटवारा करने और आप के हिस्से पर आप को पृथक कब्जा दिलाए जा का वाद संस्थित करें।