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व्यक्ति स्वअर्जित संपत्ति तथा पु्श्तैनी संपत्ति में अपने हिस्से की वसीयत सकता है, संपूर्ण पुश्तैनी संपत्ति की नहीं।

Willसमस्या-

जयकुमार सिंह ने ग्राम मजरकठ्ठा, जिला गरियाबंद से छत्तीसगढ़ राज्य की समस्या भेजी है कि-

मेरी माताजी के देहांत के बाद मेरे पिताजी द्वारा दूसरी शादी कर ली गयी। हम दो भाई हैं पिताजी की दूसरी शादी के कुछ साल बाद उनका रवैया हमारे प्रति बदल गया। वे पूरी जमीं जायदाद मेरी दूसरी माँ एवं मेरे चचेरे भाई के नाम कर देना चाहते हैं, जिसके बारे में मुझे पता चलने पर हम दोनों भाइयो ने तहसील कोर्ट में पैतृक सम्पति के पंजीयन एवम् दान पत्र और बिक्री नक़ल नहीं देने के लिए आपत्ति लगा दी। इस बारे में मेरे पिताजी को जानकारी होने पर उन्होंने अपना वसीयत बनवाकर तहसील कोर्ट में पंजीयक के पास वसीयत के पंजीयन के लिए गए। पर पंजीयक द्वारा मेरे आपत्ति पत्र का सन्दर्भ देकर वसीयत पंजीयन करने से इनकार कर दिया। इसके बाद पिताजी द्वारा नोटरी के माध्यम से वसीयत बना लिया गया है। क्या ये वसीयत मान्य होगा? क्या पिताजी पूरी सम्पत्ति मेरी सौतेली माँ और चचेरे भाई के नाम कर सकते? इस प्रक्रिया को रोकने के उपाय बताये। ताकि हमे हमारा पूरा हक मिल सके।

समाधान-

प जिस संपत्ति जमीन की बाद कर रहे हैं उस का स्वामित्व पुश्तैनी है तो आप के पिता ऐसा नहीं कर सकते। पुश्तैनी जमीन में पुत्र और पौत्रों का भी अधिकार और हिस्सा है। आप के पिता उस भूमि को हस्तान्तरित करना चाहते थे लेकिन उस का हस्तान्तरण विलेख नहीं हो सका। पिता वसीयत को पंजीकृत भी नहीं करवा सके। इस से प्रतीत होता है कि तहसीलदार ने यह मान लिया है कि भूमि पुश्तैनी है। पुश्तैनी जमीन में आप दोनों भाइयो का भी हिस्सा है। आप इस पुस्तैनी जमीन का बँटवारा करने के लिए राजस्व न्यायालय में वाद प्रस्तुत कर सकते हैं और उसी वाद के साथ इस आशय का अस्थाई निषेधाज्ञा का प्रार्थना पत्र भी प्रस्तुत कर सकते हैं कि बँटवारा अन्तिम होने तक आप के पिताजी किसी भी रूप में उक्त भूमि को विक्रय या हस्तान्तरित न करें और न ही किसी अन्य व्यक्ति को कब्जा दें।

लेकिन यदि भूमि पुश्तैनी न हो कर आप के पिता जी की स्वअर्जित संपत्ति हुई या उक्त पुश्तैनी भूमि के अतिरिक्त जो भी उन की स्वअर्जित संपत्ति है उसे तथा पुश्तैनी संपत्ति में उन के खुद के हिस्से को आप के पिताजी किसी को भी हस्तान्तरित कर सकते हैं या उस की वसीयत कर सकते हैं। उस में आप का कोई हक नहीं है और आप उन को ऐसा करने से नहीं रोक सकते। यदि पिताजी की मृत्यु के समय उन की कोई संपत्ति ऐसी हुई जो कि बिना वसीयत के है तो आप को उस का अधिकार उत्तराधिकारी के रूप में मिल सकता है, उस के पहले नहीं।

 

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