संपत्ति अंतरण की किसी लिखत के अनुसार कब्जा दे दिए जाने पर किसी तरह वापस नहीं लिया जा सकता।
समस्या-
अन्तर सोहिल ने सांपला मंडी, जिला रोहतक, हरियाणा से पूछा है-
मुरारीलाल और लाजसिंह दोनों चचेरे भाई प्लाट नम्बर 13, सांपला मण्डी हरियाणा में रहते थे। दोनों का कारोबार और परिवार एक साथ रहता था। गोहाना मंडी हरियाणा में दोनों, एक दुकान खसरा नमबर 30 और एक प्लाट खसरा नम्बर 31 में बराबर के साझीदार थे। मुरारीलाल की एक जमीन सांपला मंडी हरियाणा में दुकान नम्बर 13 की अकेले की मलकियत की थी।
मुरारीलाल का एक पुत्र शिवकरन और दो पुत्रियां हैं। मुरारीलाल की मृत्यु के कुछ वर्षों बाद सन 1973 में शिवकरन पुत्र (1973 में उम्र लगभग 30 वर्ष) और लाजसिंह के बीच एक अदला-बदली का समझौता सवा दो रुपये के स्टाम्प पेपर पर हुआ जिसमें लिखा गया कि लाजसिंह गोहाना की दोनों मलकियत से अपने साझेदारी का हक समाप्त करता है और शिवकरन गोहाना के दोनों जमीनों नम्बर 30 और 31 का अकेला मालिक होगा और सांपला की जमीन नम्बर 13 में कुछ हिस्सा लाजसिंह को कब्जा और मालिकाना हक देता है। दोनों भागीदार जब चाहे रजिस्ट्री करा सकते हैं। इस पत्र पर दोनों जगहों के नक्शे हैं, लाजसिंह और शिवकरन के साथ दो गवाहों के हस्ताक्षर हैं और यह पत्र उर्दू भाषा में लिखा हुआ है।
इसके बाद दोनों ने अलग-अलग कारोबार कर लिया और सांपला में नम्बर 13 पर अपने अपने हिस्से में रहते रहे। लाजसिंह का परिवार केवल उस हिस्से में रहता है, जिसपर समझौता पत्र में शिवकरन द्वारा लाजसिंह को हक और कब्जा दिया गया। 1996 में लाजसिंह की मृत्यु के पश्चात शिवकरन ने सांपला के अपने हिस्से में से आधी जमीन बेच दी और गोहाना की सारी जमीन पहले ही 1980 के आसपास बेच चुका था।
अब शिवकरन लाजसिंह के पुत्रों को जो लाजसिंह की अदला-बदली में मिली जमीन पर काबिज हैं उनकी रजिस्ट्री नहीं करवा रहा है। वो कहता है कि सारी जमीन मेरी है और तहसील में जमाबन्दी में और इंतकाल में मेरा और मेरी बहनो का नाम है। (जोकि उसने अक्तूबर 2018 में अपने नाम लिखाया है इससे पहले उसके पिता मुरारीलाल का नाम था) अब वो कहता है कि मैं ये सारी जमीन बेच दूंगा और लाजसिंह के पुत्रों को खाली करने के लिये कहता है। जबकि लाजसिंह के पुत्र और परिवार उस हिस्से में जन्मसमय से ही रहते आये हैं। 45 वर्षों से राशनकार्ड, वोटर कार्ड, बिजली का बिल और नगरपालिका में 8 वर्षों से हाऊसटैक्स (नगरपालिका बने 8 वर्ष ही हुये हैं) और पानी के बिल लाजसिंह के पुत्रों के नाम हैं।
अब लाजसिंह के पुत्रों को क्या करना चाहिये। उनके पास अदला-बदली के समझौते पत्र के अलावा कोई रजिस्ट्री नहीं है। उन्हें अपनी जगह बेचे जाने का डर है और मकान को तोडकर बनाना चाहते हैं। लाजसिंह के पुत्रों को क्या करना चाहिये?
समाधान-
आप की इस समस्या में मूल बात यह है कि चचेरे भाइयों के बीच सहमति से पारिवारिक समझौता या बंटवारा (दोनों ही संविदा भी हैं) हो गया, जिस की लिखत भी मौजूद है। दोनों अपने अपने हिस्से पर काबिज हो गए। इस तरह काबिज हुए 45 वर्ष हो चुके हैं और किसी ने कोई आपत्ति नहीं की। लेकिन राजस्व रिकार्ड में टीनेंट के रूप में जो भी अंकन है वह अलग प्रकार का है। राजस्व रिकार्ड में जो भी अंकन है वह नामांतरण के कारण हुआ है। कानून यह है कि नामान्तरण किसी संपत्ति पर स्वामित्व का प्रमाण नहीं है। स्वामित्व का प्राथमिक प्रमाण तो कब्जा है और द्वितीयक प्रमाण संपत्ति के हस्तान्तरण के विलेख हैं।
यहाँ लाजसिंह के पुत्रों के पास हस्तान्तरण के विलेख के रूप में 45 वर्ष पूर्व हुए बंटवारे / पारिवारिक समझौते की जो लिखत है उस के अनुसार दोनों पक्ष अपने अपने हिस्से पर काबिज हैं। इस तरह दोनों का अपने अपने हिस्से की जमीन पर कब्जा है जो प्रतिकूल कब्जा हो चुका है। किसी को भी उस कब्जे से दूसरे को हटाने के लिए किसी तरह का कानूनी अधिकार नहीं रहा है। यदि इसे बंटवारा न माना जा कर सम्पत्ति की अदलाबदली (एक्सचेंज) भी माना जाए तब भी अदला बदली की इस संविदा के अनुसार जब कब्जे एक दूसरे को दे दिए गए हैं तो संविदा का भागतः पालन (पार्ट परफोरमेंस) हो चुका है और संपत्ति हस्तान्तरण अधिनियम की धारा 53-ए के अनुसार अब इस कब्जे को कोई भी नहीं हटा सकता है।
इस तरह लाजसिंह के पुत्र जिस संपत्ति पर काबिज हैं उन का उस पर अधिकार एक स्वामी की तरह ही है। इस में उपाय यह है कि वे शिवकरण और मुरारीलाल के तमाम उत्तराधिकारियों को संपत्ति का पंजीयन कराने के लिए कानूनी नोटिस दें और नोटिस की अवधि समाप्त हो जाने पर पंजीयन कराने के लिए वाद संस्थित करें और वाद के दौरान अपने कब्जे में किसी तरह का दखल न करने के लिए मुरारीलाल के उत्तराधिकारियों के विरुद्ध अस्थायी निषेधाज्ञा हेतु आवेदन कर अस्थाई निषेधाज्ञा पारित कराएँ। इस काम के लिए कोई वरिष्ठ दीवानी मामलों के वकील की स्थानीय रूप से मदद लें तो बेहतर होगा।
आपका बहुत बहुत हार्दिक आभार
प्रणाम स्वीकार कीजिएगा
Hi m rohit from haridwar,
Mere dada ji ki ek petrak krishi bhumi he jo dada ji ke nam pr he mere pitaji 3 Bhai he mere mata pita dono ki death Ho gai , ab mere chacha tau mujhe mere pitaji wala hissa nhi de rhe kya me es pr dava kr skta hu . Kya Dada ki petrak sampatti pr pota dava kr skta he if yes so please tell me how