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संपत्ति में अपना हिस्सा अलग करने के लिए बँटवारानामा या हकत्याग विलेख पंजीकृत कराएँ …

partition of propertyसमस्या-

फतेहनगर, राजस्थान से मुस्तफा बोहरा पूछते हैं –

मेरे पिताजी के 3 भाई और 1 बहन है। मेरी दादाजी की एक दुकान है जो मेरे दादाजी के पास उनके भाइयों के बटवारे मैं आई थी। उस दुकान पर विगत 35 साल से हमारा कब्जा है और अभी भी वो हमारे कब्ज़े मैं है। यह दुकान मेरे दादाजी की है और अब मेरे पिताजी के भाइयों के बटवारे में मेरे पिताजी के पास आई है, अब हम ये चाहते हैं कि ये दुकान का नाम मेरे पिताजी के नाम पर हो जाए इसके लिए मुझे क्या करना होगा?

मेरे दादाजी के द्वारा खरीदा गया एक मकान है जो अभी हमारा निवास है उस में मेरे पिताजी को आधा भाग हिस्से में मिला है और बाकी का भाग 1/4 एक भाई के और बाकी का 1/4 भाग दो भाइयों के बीच मैं आया है। सो अभी फिलहाल ये सारी प्रॉपर्टी मेरे दादाजी के नाम पर है। इस प्रॉपर्टी का भी जो आधा हिस्सा हमें मिला है वो मेरे पिताजी के नाम पर हो जाए और उनके नाम का पट्टा मिल जाए ताकि फ्यूचर में कोई प्राब्लम नहीं हो इस के लिए हमें क्या करना होगा।

समाधान-

दुकान और मकान आपके दादा जी के नाम पर थी। उन के बाद आप के व्यक्तिगत कानून के अनुसार आप के पिता और उन के बहन भाइयों आदि के हिस्से में आ चुकी हैं और उन्हों ने इस संपत्ति का आपस में बैठ कर बँटवारा कर लिया है। यह बँटवारा मौखिक भी हो सकता है और लिखित भी इस की जानकारी आप को होगी। बँटवारानामा का पंजीयन जरूरी है। लेकिन भूतकाल में हुए मौखिक बँटवारे का ज्ञापन लिखा जाए और गवाहों के सामने उस में सभी भागीदारों के हस्ताक्षर करा लिए जाएँ तो उस का पंजीयन कराया जाना आवश्यक नहीं है। आप का बँटवारा हो चुका है। इस कारण से अब बँटवारे का ज्ञापन लिख कर उस पर सभी भागीदारों के हस्ताक्षर गवाहों के सामने करवाए जा सकते हैं और उसे नोटेरी पब्लिक के यहाँ प्रमाणित कराया जा सकता है। इस ज्ञापन की न्यूनतम मूल्य के स्टाम्प पेपर पर भागीदारों की संख्या के बराबर प्रतिलिपियाँ बना कर उन्हें भी नोटेरी पब्लिक से अटेस्ट कराया जा सकता है, जिस से सब के पास एक एक प्रति उपलब्ध रहे। बंटवारे का यह ज्ञापन इस बात का प्रमाण होगा कि जो संपत्ति आप के पिता के हिस्से में आई है वह उन की है।

दूसरा तरीका ये है कि एक हक त्याग विलेख (Release Deed) निष्पादित किया जाए जिस में दुकान व मकान के उस हिस्से पर जो आप के पिता के हिस्से में आया है दादा जी के अन्य उत्तराधिकारी अपना अधिकार त्याग दें। इस हक त्याग पत्र को उपपंजीयक के यहाँ पंजीकृत करवा लिया जाए। इसी तरह अन्य भागीदारों के हिस्से में आई संपत्ति पर आप के पिता व अन्य भागीदार अपना हक त्यागते हुए हक त्याग विलेख निष्पादित कर दें। ये सारे हक त्याग विलेख एक साथ एक ही दिन पंजीकृत कराए जाएँ। इस तरह हर एक के पास उस के हिस्से की संपत्ति का अपना विलेख होगा।

मारी राय में दूसरा मार्ग अधिक उत्तम है।