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संयुक्त संपत्ति के विभाजन और पृथक कब्जे का वाद संस्थित करें।

समस्या-

राकेश कुमावत ने जयपुर राजस्थान से पूछा है-

मेरे पिताजी ने सेवा में रहते हुए दो मकान खरीदे और माताजी के नाम कर दिए। मेरी माताजी का देहान्त हो गया। मेरे बड़े भाई ने मेरे पिताजी को घर से निकाल दिया और सारी संपत्ति पर कब्जा कर लिया है। मैं अपने खुद के मकान में रहता हूँ पिताजी भी अब मेरे साथ रहते हैं। अब मैं क्या करूँ?

समाधान-

माताजी के नाम खरीदे हुए मकान माताजी की संपत्ति थे। उन्हें पिताजी के रहते कोई और क्लेम नहीं कर सकता। माताजी की मृत्यु के बाद उन का उत्तराधिकार तय हो चुका है और संपत्ति अविभाजित संयुक्त हिन्दू परिवार की संपत्ति हो चुकी है।। भाई, बहिन और पिताजी उस में समान रूप से हिस्सेदार हो गए। आप के बड़े भाई का एक ही हिस्सा है। जब तक इस संयुक्त संपत्ति का विभाजन नहीं हो जाता इस पर किसी का भी कब्जा हो वह संयुक्त हिन्दू परिवार का ही कब्जा माना जाएगा।

आप के लिए उपाय यह है कि आप संयुक्त हिन्दू परिवार की तमाम संपत्ति के विभाजन और पृथक कब्जे का दावा कर सकते हैं। आप यह दावा स्वयं अपनी ओर से कर सकते हैं। यह भी हो सकता है कि आप, पिताजी और अन्य भाई बहिन हों तो उन्हें भी वादी बना सकते हैं। यदि वादी न बनाएँ तो उन्हें प्रतिवादी बनाना पड़ेगा।

यदि संपत्ति पर अकेले बड़े भाई काबिज हैं तो आप दावा पेश होने के उपरान्त संपत्ति को बेचने, हस्तान्तरित करने और कब्जा किसी ओर को हस्तान्तरित करने से भाई को रोकने के लिए अस्थाई निषेधाज्ञा का प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर अस्थाई निषेधाज्ञा प्राप्त कर सकते हैं। संपत्ति पर रिसीवर नियुक्त करवा कर उस के कब्जे में दिलवा सकते हैं जिस से वाद के निर्णय पर इस संपत्ति से होने वाली आय को निर्णय के अनुसार सभी उत्तराधिकारियों में बांटा जा सके।

जल्दी किसी अच्छे वकील से मिलिए, और कार्यवाही आरंभ कराइए।

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