संयुक्त संपत्ति में निहित हित की कुर्की की जा कर डिक्री की राशि की वसूली की जा सकती है
| गगन जायसवाल, फैजाबाद, उ.प्र. ने पूछा है –
एक व्यक्ति से मेरा व्यापारिक लेनदेन चलता था। बाद में उसने मेरा 880000 रुपया नहीं दिया तो मैंने उस के द्वारा दिए गए चैकों के अनादरण के आधार पर उसके ऊपर धारा 138 परक्राम्य विलेख अधिनियम का मुकदमा किया है। अभी सुनने में आया है कि वह व्यक्ति बहुत ज्यादा बीमार हो गया है और उसके बचने की उम्मीद बहुत कम है। उसकी अभी शादी नहीं हुई है और उसकी कोई स्वार्जित संपत्ति नहीं है।उसके पिता के पास काफी संपत्ति है और वह उसे बेचने पर अमादा है। यह संपत्ति जिस व्यक्ति के ऊपर मैंने मुकदमा किया है उसके दादा के द्वारा अर्जित की गई थी। ऐसी स्थिति में उस व्यक्ति की मृत्यु हो जाने पर क्या इस संपत्ति से कोई वसूली हो सकती है? क्या मैं किसी तरह उसके पिता को संपत्ति बेचने से रोक सकता हूँ। मुझे क्या करना चाहिए? यदि उस व्यक्ति की मृत्यु हो गई तो मेरा पैसा कैसे मिलेगा? क्या मेरा पैसा डूब भी सकता है?
उत्तर –
गगन जी,
आप ने उस व्यक्ति के विरुद्ध चैक अनादरण के लिए धारा 138 परक्राम्य अधिनियम के अंतर्गत मुकदमा किया है। यह मुकदमा एक फौजदारी मुकदमा है। इस में चैक दे कर उस के भुगतान की व्यवस्था न कर पाने के लिए दंडित किया जा सकता है। यह दंड कारावास के साथ अर्थ दंड भी होता है। इस अर्थदंड का एक भाग शिकायतकर्ता को दिलाया जा सकता है, दिलाया जाता है। लेकिन यदि अभियुक्त की मृत्यु हो जाती है तो उस का अपराधिक दायित्व किसी अन्य व्यक्ति को उत्तराधिकार आदि से हस्तांतरित नहीं होता है और अभियुक्त की मृत्यु के साथ ही अपराधिक मुकदमा समाप्त हो जाता है। वैसी स्थिति में शिकायतकर्ता को कुछ भी प्राप्त होना संभव नहीं है।
अपनी बकाया राशि को प्राप्त करने के लिए यदि कोई व्यक्ति दीवानी मुकदमा करता है तो उस दीवानी मुकदमे में हासिल की गई डिक्री के निष्पादन के लिए निर्णीत ऋणी की संपत्ति को कुर्क कर के डिक्री का रुपया वसूल किया जा सकता है। यदि दीवानी मुकदमे के लंबित रहने की अवधि में उस व्यक्ति की संपत्ति को हस्तांतरित किए जाने की संभावना हो तो उस संपत्ति को अटैच कराने के लिए न्यायालय को आवेदन प्रस्तुत किया जा सकता है। न्यायालय उस आवेदन पर संपत्ति को अटैच कर सकता है और उस संपत्ति को हस्तांतरित किया जाना संभव नहीं रहता है। जिस व्यक्ति के विरुद्ध धन वसूली के लिए मुकदमा किया गया है उस व्यक्ति का किसी संयुक्त संपत्ति में कोई हित हो तो उस के उस हित को कुर्क कर के भी डिक्री की वसूली की जा सकती है। यदि उस व्यक्ति के संयुक्त संपत्ति में हित को हस्तांतरित करने का प्रयास किया जा रहा हो तो उस हित को अटैच करने के लिए न्यायालय के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किया जा सकता है। न्यायालय सुनवाई के पश्चात उचित आदेश दे सकता है।
यदि आप ने उक्त धनराशि की वसूली के लिए कोई दीवानी वाद प्रस्तुत किया हो तो आप की बकाया की वसूली को सुनिश्चित करने के लिए न्यायालय उस व्यक्ति की संपत्ति या संयुक्त संपत्ति में उस के हित
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3 Comments
किसी व्यक्ति के विरुध्द कुर्की आदेश होने पर क्या उसकी पत्नी या भाइयों की संपत्ति भी कुर्क की जा सकती है।
'फौजदारी' में अंदेशा डूब जाने ही का है,
काश के ! दिवानी ['दीवानी'] को होश आये, और तू तैर जाए !!
कितनी नई नई कानूनी जानकारी मिलती है इस ब्लॉग पर । धन्यवाद दिनेश जी ।