समस्या का हल आपसी बातचीत और समझौते से ही निकलेगा।
|रामकृष्ण मोर्य ने सागर मध्यप्रदेश से समस्या भेजी है कि-
मई-2013 में जबलपुर में शादी हुई, पत्नी शुरू से ही ससुराल मे रहने में आनाकानी करती रही। कोई स्पष्ट कारण कभी नहीं बताया। मई-13 से नवम्बर-13 के दौरान कुल 32-33 दिन ससुराल में रही। 09 नवम्बर-13 के बाद कभी वापस नहीं आई। 09 फरवरी-14 को आई और तलाक की माँग की। शादी को 1 साल नहीं हुआ था सो कोई अदालती कार्यवाही नहीं हो सकती थी, इसलिए नोटेरी के सामने स्टाम्प पेपर पर तलाक़ साइन हुआ एवं उनके द्वारा दिया गया समस्त समान उन्हें वापस किया गया, लिखित में सामान प्राप्त होने की रसीद उनसे प्राप्त की गयी। दहेज की कोई मांग हमारी तरफ से नहीं की गयी थी। जो भी उन्होंने दिया था, अपनी मर्ज़ी से दिया था और अब वापस ले जा चुके हैं। उन्हों ने, जबलपुर में 25 नवम्बर-14 को धारा-125 के तहत केस फाइल किया है। नोटिस मैं रेसीव कर चुका हूँ। 13 जनवरी 2015 को फैमिली कोर्ट जबलपुर में मुझे हाज़िर होना है।
हम ने कभी दहेज नही मांगा, ना ही उसको कभी अपने साथ रहने से रोका, पर उसका इल्ज़ाम है कि मैं ने उसे छोड़ रखा है, अपनी निर्दोषिता मैं कैसे सिद्ध करूँ? जो स्टाम्प पेपर साइन हुआ था वो क्या कोर्ट मे मांगा होगा? उन्होंने आरोप लगाया है कि वो स्टाम्प कोरा था जब उन से ज़बरदस्ती उस पर साइन कराए गये।
मैं एक प्राइवेट हॉस्पिटल में 2500/- महीना का कर्मचारी हूँ, पैतृक संपत्ति पिताजी के नाम है, ऐसे में जब कि मेरा गुजर बसर ही मुश्किल से हो पाता है, तो भी क्या मुझे उसको हरज़ा-खर्चा देना होगा? लड़की परिवार से समृद्ध है, उसके दो भाई हैं जो गैर शादी-शुदा हैं और दोनो 8-10,000 रु. प्रति महीने कमाते हैं जोकि घर पर ही खर्च करते हैं और मेरी पत्नी उससे लाभ लेती है। वो खुद भी एक प्राइवेट स्कूल मे टीचर रही है। ऐसे में क्या वो हर्ज़े-खर्चे की पात्र है? उस का पिता भी अभी सेवा में है और परिवार का भरण-पोषण करते हैं।
क्या मोबाइल कॉल्स की वायस रेकॉर्डिंग्स को अदालत मे वैध माना जाएगा? मेरे पास मेरी पत्नी द्वारा किसी अन्य पुरुष से (प्रेम प्रकरण) बातचीत की रेकॉर्डिंग है जो कि उस ने मेरे ही घर से हम लोगों से छिपकर बात की है उस लड़के से। क्या इस आधार पर उसे हर्ज़े खर्चे के लिए अपात्र साबित किया जा सकता है? उस ने आरोप लगाया है कि हम लोग उसे मारते पीटते थे और 2.00.000 रू. दहेज मांगते थे तो इस आरोप को झूठा साबित करने के लिए क्या मैं अपनी पत्नी के द्वारा उसके परिवारवालों से की गयी बातचीत की रेकॉर्डिंग्स को अदालत में पेश कर सकता हूँ? क्या वो मान्य होगी?
मैं तो उसे आज भी साथ रहने के लिए कहता हूँ, ऐसे मे अगर वो कोर्ट के समक्ष मेरे साथ रहने आने को तैयार हो जाती है तो ये मामला किस दिशा में जाएगा? और अगर नहीं आना चाहेगी तब क्या दशा और दिशा क्या होगी?
समाधान-
यथार्थ में आप की समस्या सामाजिक है, कानूनी कम। जो निरीक्षण परीक्षण विवाह के पहले होना चाहिए उसे हम व्यर्थ समझते हैं, विवाह होने के बाद वही परेशानी का कारण बन जाता है। हमारे यहाँ विवाह के उपरान्त लड़की के साथ दो बातें हो सकती हैं। या तो वह संयुक्त परिवार में रहे, या फिर वह अपने पति के साथ अकेले रहे। जो लड़के अपने परिवार के स्थान से दूर नौकरी पर होते हैं उन के लिए यह आसान होता है, पत्नी उन के साथ अकेले रहने लगती है। लेकिन जहाँ आर्थिक कारणों से लड़के का संयुक्त परिवार के साथ रहना बाध्यता है वहाँ विवाह के पहले यह जाँचना आवश्यक है कि जिस लड़की को ब्याह कर ला रहे हैं वह संयुक्त परिवार में खुद को एडजस्ट कर पाएगी या नहीं। यह सब पहले ही जाँच लेना चाहिए और पक्का कर लेना चाहिए। लेकिन हमारे यहाँ तो लड़के लड़की से सिर्फ इतना पूछा जाता है कि उसे लड़का या लड़की पसंद है या नहीं। आप के मामले में भी यही समस्या है। आप की पत्नी संयुक्त परिवार में रहने में परेशानी महसूस कर रही है, उस के लिए कदापि तैयार नहीं है। वह विवाह विच्छेद तक चाहती है। अब विवाह को एक वर्ष हो चुका है। सहमति से विवाह विच्छेद की अर्जी लगाई जा सकती है। अच्छा तो ये है कि दोनों पक्ष साथ बैठें और सहमति से हल निकाल लें।
आप ने बड़ा गजब का विश्लेषण किया है। खुद को 2500 रुपया महीना कमाना बताया है और संपत्ति को पिता की पुश्तैनी। पुश्तैनी का मतलब शायद आप अभी नहीं जानते। कुछ दिन पहले तीसरा खंबा पर इस का अर्थ भी बताया जा चुका है, उसे देख लें। आप की पत्नी पहले स्कूल में पढ़ाती थी लेकिन आज बेरोजगार है और आप ने उस के भाइयों की आमदनी बता दी है। अपने पिता की संपत्ति को आप अपना नहीं मानते जब कि पत्नी के भाइयों की आय को उस के साधनों में शामिल कर रहे हैं। अदालत तो यह नहीं कर सकती। वह तो दोनों को एक दृष्टि से देखेगी। आप से यह भी पूछेगी कि यदि आप केवल 2500 रुपया प्रतिमाह कमाते हैं तो एक बेरोजगार लड़की से विवाह क्यों किया था। अब किया है तो उस का खर्च तो उठाना पड़ेगा। निश्चित रूप से आप की पत्नी को खर्चा प्राप्त करने का अधिकार है। यदि कुछ अधिक प्रमाणित न भी हुआ तो 1000-1500 रुपया प्रतिमाह खर्चा तो देना पड़ेगा। आप के द्वारा अपने साथ रखने का प्रस्ताव अधिक काम नहीं करेगा। क्यों कि तब वह आप के परिजनों पर आरोप लगाएगी कि उन का व्यवहार ठीक नहीं है और वे उस के साथ क्रूरता का व्यवहार करते हैं जो 498ए आईपीसी का अपराध है।दहेज की इस मामले में कोई भूमिका नहीं है। कोई यहाँ दहेज देने की बात भी नहीं कर सकता क्यों कि दहेज देना भी अपराध है। हाँ स्त्री-धन की बात जरूर की जा सकती है जो आप लौटा चुके हैं।
वायस रिकार्डिंग भी दस्तावेज है और उसे प्रक्रिया के अनुसार न्यायालय में प्रस्तुत कर के साबित किया जा सकता है। इस संबंध में भी पहले काफी कुछ तीसरा खंबा में प्रस्तुत किया जा चुका है। लेकिन किसी लड़के से प्रेम पूर्वक बात कर लेने मात्र से कुछ भी अर्थपूर्ण साबित नहीं होगा। विवाह पूर्व किसी से प्रेम करना और विवाह के बाद उस से फोन पर बात करना किसी प्रकार से कोई दोष नहीं है, न अपराध है।
असल में आप की पत्नी और उसके परिजन पहले तो विवाह विच्छेद का एग्रीमेंट लिख गए। बाद में किसी ने उन्हें बताया होगा कि यह कानूनी नहीं है जब तक अदालत से विवाह विच्छेद न हो जाए। यह भी कहा होगा कि स्त्री-धन तो आप ले आए, पर जो खर्चा हुआ था वह तो आप का बेकार गया। इस कारण से उन्हों ने आप पर दबाव बनाने के लिए 125 दंड प्रक्रिया संहिता का प्रार्थना पत्र दिया है।
आप लोग बिना किसी हिचक के उन से बात कीजिए और सहमति से विवाह विच्छेद की ओर आगे बढ़िए। पहली पेशी पर तो आप जवाब के लिए तारीख आगे बढ़वा सकते हैं और अदालत को स्पष्ट बता सकते हैं कि मामला क्या है? अदालत भी इस मामले को आपसी बातचीत व समझौते से निपटाने का प्रयत्न करेगी।
आप की पत्नी आने को तैयार हो न हो। आप को उसे लाने के प्रयास अन्त तक जारी रखने चाहिए। वह न आएगी तो कोर्ट कुछ नहीं कर सकती। लेकिन पत्नी के आवेदन पर उस का मासिक भरण पोषण भत्ता तय कर आप को प्रतिमाह देने का आदेश कर सकती है। अगर आप भरण पोषण खर्च न दे पाएंगे तो अदालत उसे वसूल करने के लिए कार्यवाही करेगी। वसूली वार्ंट निकालेगी, गिरफ्तारी वारंट निकालेगी। फिर भी वसूल न होने पर आप को जेल भेज सकती है।
आत्महत्या करने का विचार बचकाना है। उस से अच्छा तो ये है कि भरण पोषण खर्चा न पाओ तो जेल चले जाओ। वहाँ से कभी तो निकलने की संभावना रहेगी।
आपने स्टाम्प पेपर पर हुआ समझौता एक दस्तावेजी साक्ष्य है जिस के प्रमाणित हो जाने पर आप की ओर से साक्ष्य में पढ़ा जा सकता है। उस का लाभ आप को मिलेगा।
बारे में नहीं बताया सर, क्या वो कोर्ट में वैद्य maana जायेगा?
पत्नी ससुर व पति या ससुराल में किसी की भी संपत्ति में हिस्सा नहीं मांग सकती लेकिन आप से भरण पोषण खर्च मांग सकती है।
पत्नी द्वारा १२५ का केस लगा देने के बाद भी पति धारा ९ हिन्दू विवाह अधि. का मुकदमा चला सकता है।
१२५ का केस जो उसने अपने जिले में लगाया है वो आप के जिले में ट्रांसफर नहीं हो सकता।
दिनेशराय द्विवेदी का पिछला आलेख है:–.हस्ताक्षरित रिक्त चैक किसी को न दें, राशि लिखा हुआ दें तो भी बिना प्रयोजन अंकित रसीद के न दें।
समस्या का निदान देने के लिए बहुत धन्यवाद सर.
इसी समस्या के सम्बन्ध में आगे पूछना चाहता हु की
मेरी वर्तमान आर्थिक हालत केस लड़ने की नहीं है और न ही हर्जे खर्च देने की.
हमें अपनी अचल संपत्ति बेचकर या क़र्ज़ लेकर ही आगे बढ़ना पड़ेगा, आपसी समझौते के लिए वो लोग तैयार नहीं है. मैं उनसे बात कर चूका हु.
मेरा सवाल है की इस स्तिथि में क्या कानूनी कार्यवाही हो सकती है की अगर मैं हर्ज़ा खर्च न दे पाउन?
कोर्ट इस पर क्या कार्यवाही करेगी? यदि मैं उसे साथ रखने की बात करता हु और वो आने को तैयार न होगी तो कोर्ट क्या करेगा?
यदि मैं हर्ज़ा खर्च न दे पाउन या देने से मन कर दू तो क्या होगा?
आप विश्वास नहीं करेंगे मेरे परिवार की वर्तमान हालत इतनी ज्यादा ख़राब है की यदि हम इस केस को आगे लड़ना पड़ा तो मेरे परिवार का भविष्य दांव पर लग जायेगा.
क्या ऐसे में बेहतर ये नहीं होगा की मैं आत्महत्या कर लू?
आखिर एक की खातिर पुरे परिवार का भविष्य ख़राब करना तो एक अच्छा विकल्प नहीं है न सर!
और क्या रास्ता हो सकता है सर इसके शिव?
आपने स्टाम्प पेपर पर हुए समझौते के बारे में नहीं बताया सर, क्या वो कोर्ट में वैद्य maana जायेगा?
मैं बहुत निराश हु सर, शादी भी मेरे पिता ने क़र्ज़ लेकर की थी और वो क़र्ज़ भी हम अब तक नहीं चूका पाये हैं.
क्या हर्ज़ा खर्च के बाद वो मेरे पिता की संपत्ति में भी हिस्सा मांग सकती है?
क्या अब उसके द्वारा १२५ का केस लगा देने के बाद अब मैं यहाँ अपने जिले में उस पर धरा ९ का केस नहीं लगा सकता?
क्या १२५ का केस जो उसने अपने जिले में लगाया है वो मेरे जिले में ट्रांसफर नहीं हो सकता?
मेरी पेशी जन. १३ को है सर.
कृपया मार्गदर्शन दे.
Ramkrishan ji,
Aapko Guru ji ne jo aapko slah di hai uspr gaur kre to behtr hoga yadi fir bhi koi hal nahi nikalta to aap us prakhand ke BEO se jahan aapki patni padati hai usse us school ke teachers ki suchi or unki payment ki jankari RTI ke madhyam se prapat kre sayad aapko 125 crpc me kuchh madad ho ske