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अधिकांश सेल्स प्रमोशन कर्मचारियों को कानूनी सुरक्षा नहीं।

कानूनी सलाहसमस्या-

सुन्दर सिंह ने भिवानी हरियाणा से पूछा है-

मैं वर्तमान में एक निजि उत्पादक कंपनी में बावल (रेवाड़ी) में मार्केटिंग एक्जीक्यूटिव के पद पर मार्च 2013 से नियोजित हूँ। नियोजक मुझे बिना कोई कारण बताए सेवा से हटाना चाहते हैं । मुझे कोई ऑफर लेटर, नियुक्ति पत्र आदि नहीं दिए गए थे। मेरा वेतन सीधे मेरे बैंक खाते में 15000 रुपए प्रतिमा जमा होता है। मुझे कोई वेतन वृद्धि नहीं दी गई है। नियोजक के पास मुझे सेवा से हटाने का कोई उचित कारण नहीं है। मुझे क्या करना चाहिए।

समाधान-

प एक कंपनी में मार्केटिंग एक्जीक्यूटिव हैं। कुल मिला कर आप का काम कंपनी के विक्रय में वृद्धि करने के लिए काम करना है। औद्योगिक विवाद अधिनियम-1947 में आप को कर्मकार नहीं माना है। इस कारण से आप उस अधिनियम के लाभ नहीं ले सकते। 1976 में संसद ने सेल्स प्रमोशन एम्प्लाइज (कंडीशन्स ऑफ सर्विस) एक्ट बनाया था। जिस के द्वारा सेल्स प्रमोशन कर्मचारियों को औद्योगिक विवाद अधिनियम-1947 का लाभ प्रदान करने के प्रावधान बनाए गए। इस कानून को केवल मेडीकल सेल्स प्रमोशन कर्मचारियों पर ही लागू किया गया। इसे अन्य प्रकार के सेल्स प्रमोशन कर्मचारियों पर भी लागू किया जाना था। लेकिन 1980 के बाद देश में श्रमिक-कर्मचारी आंदोलन कमजोर हो गया। सरकार पर कोई दबाव नहीं रहा और यह कानून अन्य उद्योगों के कर्मचारियों पर लागू नहीं हो सका। यहाँ तक कि मेडीकल सेल्स कर्मचारियों को भी इस के लाभ जो मिलने थे वे नहीं मिले। फेडरेशन ऑफ मेडीकल एण्ड सेल्स रिप्रेजेण्टेटिव्ज एसोसिएशन्स ऑफ इंडिया (FMRAI) के आंदोलन की बदौलत दिनांक 31.01.2011 को केन्द्र सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी कर इस कानून को 1. सौन्दर्य प्रसाधन, साबुन, घरेलू क्लीनर्स व विसंक्रामक उद्योग, 2. रेडीमेड कपड़ा उद्योग,  3. सोफ्ट ड्रिंक उत्पादक उद्योग, 4. बिस्किट एवं कन्फेक्शनरी उद्योग, 5. आयुर्वेदिक, यूनानी एवंं होमियोपैथिक दवा उद्योग, 6. आटोमोबाइल व उस के पार्ट्स व एसेसरीज उत्पादक उद्योग, 7. सर्जिकल इक्विपमेंट्स, कृत्रिम अंग व डायग्नोस्टिक्स उद्योगों, 8. इलेक्ट्रोनिक्स, कम्प्यूटर्स, उन की एसेसरीज व स्पेयर पार्टस् के उत्पादक उद्योगों, 9. इलेक्ट्रिकल एप्लाएंसेज उद्योग व 10. पेन्ट्स व वेनिशेज उद्योगों पर प्रभावी बनाया गया है।

स तरह यदि आप उक्त उद्योगों में से किसी एक उद्योग में कार्यरत थे तो आप को कानूनी संरक्षा मिल सकती है और आप की यह सेवा समाप्ति अवैध छंटनी है और आप अपनी छंटनी के विरुद्ध श्रम विभाग को शिकायत प्रस्तुत कर सकते हैं। लेकिन यदि आप उक्त वर्णित उद्योगों  के अतिरिक्त किसी अन्य उद्योग में कार्यरत थे तो आप का नियोजन किसी प्रकार के कानून से संरक्षित नहीं है और सिर्फ नियोजक-कर्मचारी के बीच हुए अनुबंध पर आधारित है। जिस में बिना कारण सेवा से पृथक किए जाने पर सिर्फ क्षतियों की मांग की जा सकती है। वह भी तब जब कि वह अनुबंध में शामिल हो। आप के तथा नियोजक के बीच तो कोई अनुबंध भी नहीं है। इस कारण आप नियोजक से सिर्फ अपना काम किए गए दिनें का वेतन प्राप्त कर सकते हैं। पाँच वर्ष की सेवा पूर्ण न होने से ग्रेच्युटी का आप को अधिकार नहीं है, यदि किसी प्रोविडेण्ट फण्ड के लिए आप के वेतन से कटौती की गई हो तो अधिक से अधिक आप अपने फंड का धन प्राप्त कर सकते हैं। कानून से आप को कुछ भी मदद मिलने की संभावना नहीं है।