सेवाच्युति (बर्खास्तगी) के दंड के विरुद्ध विभागीय अपील निर्धारित समय सीमा में प्रस्तुत करें।
|समस्या-
धमतरी, छत्तीसगढ़ से अजय बाबर ने पूछा है-
मेरा मित्र 6 वर्ष तक दैनिक वेतन भोगी (श्रमिक) के रूप में कार्य करने के पश्चात 1986 में सेवा में नियमित हुआ था। उसे विभाग ने 22 वर्षों तक नियमित कर्मचारी कि हैसियत से कार्य लेने के बाद 29 अप्रेल 2013 को फर्जी अंकसूची के आरोप में सेवा से बर्खास्त कर दिया। जबकि उसकी सेवानिवृत्ति 30 अप्रैल 2013 को होनी थी। इस प्रकरण में मेरे मित्र को क्या करना चाहिए…?
समाधान-
यदि किसी कर्मचारी पर किसी दुराचरण का आरोप हो और उसे विभागीय अनुशासनिक कार्यवाही के अंतर्गत हुई जाँच में उस दुराचरण का दोषी सिद्ध कर दिया गया हो तो कर्मचारी को कारण बताओ नोटिस दे कर तथा उस की सुनवाई कर के सेवा से पृथक किया जा सकता है। न केवल सेवानिवृत्ति के एक दिन पूर्व अपितु सेवा निवृत्ति के दिन सेवानिवृत्त होने के पूर्व भी सेवाच्युति के दंड से दंडित किया जा सकता है।
लेकिन इस तरह सेवाच्युति का दंड देते हुए जिस कर्मचारी की सेवाएँ समाप्त की गई हैं। वह अपनी इस सेवा निवृत्ति के विरुद्ध जाँच के उचित न होने, आरोप सिद्ध न होने तथा अधिक दंड से दंडित किए जाने के आधार पर ऐसे दंड के विरुद्ध विभागीय अपील कर सकता है। पहली अपील निरस्त होने पर सेवाच्युति के दंडादेश तथा प्रथम अपीलीय आदेश के विरुद्ध द्वितीय अपील का उपबंध होने पर द्वितीय अपील कर सकता है। यदि द्वितीय अपील भी निरस्त कर दी जाए तो राज्य सेवा अधिकरण होने पर ऐसे अधिकरण में अथवा सीधे उच्च न्यायालय के समक्ष अपनी सेवाच्युति के दंड और दोनों अपीलीय आदेशों के विरुद्ध अपील या रिट याचिका प्रस्तुत कर सकता है। आप के मित्र को अपनी सेवा च्युति के दंड के विरुद्ध सब से पहले विभागीय अपील प्रस्तुत करना चाहिए। उन के विभाग में प्रभावी सेवा नियमों (सीसीए रूल्स) का अध्ययन कर के अपील निर्धारित अवधि में प्रस्तुत कर देनी चाहिए।
मेरे मित्र के प्रकरण (अपील) में नियोक्ता ने आज तक किसी प्रकार का जवाब नहीं दिया है. कृपया बतावें कि क्या कार्यवाही कि जावे.