स्त्री जब तक स्वयं अपने पैरों पर न खड़ी हो और भविष्य सुरक्षित नहीं कर ले तब तक वह मनचाहा करने में असमर्थ है।
समस्या-
औरंगाबाद, महाराष्ट्र से पूजा ने पूछा है –
मैं जिस व्यक्ति के साथ रहती हूँ उस की दूसरी शादी हो चुकी है। क्यों कि पहली पत्नी को रक्त केंसर हुआ और उस का देहान्त हो गया था। मेरे साथी ने जिस के साथ दूसरा विवाह किया है वह मेरी एक मित्र है और 100 लोगों के सामने उन की शादी हुई। पर मैं शादी न कर के उस के साथ रहती हूँ। दूसरी पत्नी को ये पता है। हम साथ में ही रह रहे हैं। दूसरी पत्नी को हमारे साथ रहने के बारे में पहले ही सब कुछ बता दिया था। उसे हमारे साथ रहने पर कोई आपत्ति नहीं है। हम दो वर्ष से साथ रह कर बहुत खुश हैं। पर मैं घर से भाग कर आई हूँ। क्यों कि मेरे परिवार के लोग मना करते और जिस के साथ मैं प्यार करती हूँ वह व्यक्ति उन को पसंद नहीं था। इसलिए मैं दो साल से घर में बैठ कर ही सब काम करती हूँ। पर अब मुझे बाहर निकलना हो तो जब मेरे सामने मेरे परिवार के लोग आएंगे तो वे मुझे ले के जाएंगे। पर मुझे नहीं जाना। उस के लिए मैं क्या कर सकती हूँ?
समाधान-
कोई भी बालिग (18 वर्ष या उस से अधिक का) स्त्री या पुरुष किसी भी मनचाहे व्यक्ति के साथ रहने को स्वतंत्र है बशर्ते कि ऐसा कर के वह कोई अपराध नहीं कर रहा हो। आप के मामले में आप जिस के साथ रह रही हैं वह विवाहित है (यदि उस का यह विवाह कानूनी है तो) और उस के एक पत्नी है। कोई भी व्यक्ति पत्नी के होते हुए यदि किसी दूसरी स्त्री के साथ निवास करता है तो यह अपराध नहीं है। लेकिन यदि वह दूसरी स्त्री (इस मामले में आप) किसी अन्य व्यक्ति की पत्नी हो तो वह उस के पति के प्रति अपराध करता है। लेकिन आप विवाहित नहीं है, इस कारण से वह व्यक्ति कोई अपराध नहीं कर रहा है। किसी विवाहित पुरुष के साथ किसी अविवाहित, तलाकशुदा या विधवा का निवास करना भी अपराध नहीं है। इस तरह आप भी कोई अपराध नहीं कर रही हैं। कानून की तरफ से आप दोनों का साथ रहना किसी भी प्रकार से अपराध नहीं है।
लेकिन आप का साथी विवाहित होते हुए भी आप के साथ निवास कर के व संबंध बना कर जारता कर रहा है जिस के कारण उस की पत्नी उस के साथ निवास करने से इन्कार करते हुए अलग आवास और खर्चे की मांग कर सकती है। इस आधार पर आप के साथी से विवाह विच्छेद की डिक्री भी न्यायालय से हासिल कर सकती है।
आप यदि अब तक आप के साथी के साथ घर पर ही रह रही हैं तो इस का अर्थ है कि आप की आय का कोई साधन नहीं है। आप पूरी तरह से आप के साथी पर निर्भर हैं। यही एक खतरनाक बात है। यदि आप का साथी आप का निर्वाह करने से इन्कार कर दे, अपने घर से निकाल दे और आप के परिवार वाले भी आप को आश्रय देने से इन्कार कर दें जो कि स्वाभाविक है तो फिर आप की स्थिति क्या होगी? आप ने क्या कभी इस की कल्पना भी की है? निश्चित रूप से तब आप अनिवार्य रूप से सड़क पर पूरी तरह से निस्सहाय खड़ी होंगी और इस के लिए किसी भी अन्य व्यक्ति को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकेगा। आप के साथी की ऐसी स्थिति में कोई जिम्मेदारी नहीं है कि वह आप का पालन पोषण करे। आप अदालत से भी कोई राहत की मांग नहीं कर सकेंगी। इस कारण से यदि आप के परिवार वाले आप को अपनाने को तैयार हों तो आप को उस व्यक्ति का साथ छोड़ कर अपने परिवार वालों के पास चले जाना चाहिए। लेकिन परिवार वाले भी आप का साथ कब तक देंगे आप को अपने भविष्य की चिंता खुद करनी होगी। उस के लिए या तो आप कानूनी रूप से किसी पुरुष के साथ विवाह करें जिस पर कानूनी रूप से आप के भरण पोषण का दायित्व हो, या फिर आप स्वयं अपने भरण पोषण के लिए कोई ऐसा काम करें जिस से आप को इतनी आय हो कि आप अपना खर्चा खुद चला सकती हों और भविष्य में जब आप कमा सकने के लिए असमर्थ हो जाएँ तो उस समय के लिए बचा भी सकें।
जहाँ तक आप के मूल प्रश्न का प्रश्न है कि बाहर निकलते ही आप के परिवार के लोग आप को साथ ले जाएंगे तो वह बेकार का प्रश्न है। आप की आयु 18 वर्ष से अधिक की है और आप बालिग हैं। तो आप अपने परिवार वालों के साथ जाने के लिए इन्कार कर सकती हैं। आप नहीं जाना चाहती हैं और आप को खतरा है कि आप के परिवार वाले आप को जबरन ले जाएंगे तो आप उन के विरुद्ध पुलिस में रिपोर्ट लिखवा सकती हैं और सिविल न्यायालय में दीवानी वाद प्रस्तुत कर वहाँ से आप के परिवार के लोगों के विरुद्ध निषेधाज्ञा प्राप्त कर सकती हैं कि वे आप को न ले जाएँ और आप को अपने हाल पर जीने के लिए छोड़ दें।
लेकिन सब से पहले आप को अपने लंबे भविष्य के जीवन पर विचार करना चाहिए कि वह कैसे बीतेगा। सब से मजबूत बात तो यह है कि आप अपने पैरों पर खड़ी हों। यदि आप अपने पैरों पर खड़ी न होंगी तो आप अपनी इच्छा के अनुसार स्वतंत्र जीवन नहीं जी सकतीं।
गुरुदेव जी, आपने काफी अच्छी सलाह दी है.
रमेश कुमार जैन उर्फ निर्भीक का पिछला आलेख है:–.भगवान ऐसा परिवार सबको दें