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हाईकोर्टों की बैंचों को विभाजित करने की मांग के आधार

उदयपुर में राजस्थान हाईकोर्ट की बैंच स्थापित करने को ले कर वकीलों के आंदोलन को 70 दिन होने जा रहे हैं।  वहाँ यह आंदोलन पूरे उदयपुर संभाग की जनता के आंदोलन में परिवर्तित हो गया है। 70 दिनों से पूरे संभाग की अदालतें ठप्प पड़ी हैं।  यहाँ तक कि वकील गिरफ्तार भी हुए हैं और उन्हों ने पुलिस की लाठियाँ भी खाई हैं।  उन का तर्क है कि उदयपुर संभाग एक आदिवासी बहुल क्षेत्र है और गरीब आदिवासी जनता  को जोधपुर जो उदयपुर से 200 किलोमीटर से अधिक दूरी पर है जाने में बहुत खर्च करना पड़ता है,  जिस से न्याय न केवल महंगा हो गया है अपितु गरीब आदिवासी की पहुँच से बाहर ही हो चुका है।
इस आंदोलन के उठ खड़े होने के बाद बीकानेर संभाग के वकील भी हड़ताल पर चले गए और उन्हों ने भी अपने यहाँ हाईकोर्ट बैंच की मांग उठाई। वे भी लगभग दो माह से हड़ताल पर हैं और बीकानेर संभाग में भी न्यायिक कार्य ठप्प पड़ा है। उन का तर्क है कि जोधपुर मुख्य पीठ में उदयपुर संभाग से अधिक काम बीकानेर संभाग का है इस लिए यदि जोधपुर मुख्य पीठ के काम को विभाजित किया जाए तो बैंच की स्थापना बीकानेर में किए जाने का उन का हक बनता है।  जहाँ तक  दूरी का प्रश्न है तो जोधपुर से बीकानेर की दूरी, उदयपुर की दूरी में मात्र दस किलोमीटर से भी कम का अंतर है।
उधर देखा कि उदयपुर और बीकानेर वालों ने अपने अपने यहाँ हाईकोर्ट बैंच की स्थापना को ले कर अश्वमेध के घोड़े खोल दिए हैं तो जोधपुर को अपने यहाँ स्थापित मुख्य पीठ के विभाजित होने का खतरा मंडराता दिखाई देने लगा। वे भी हड़ताल पर उतर आए।  उन्हें जोधपुर के सभी राजनैतिक दलों का समर्थन भी हासिल हो गया। उन्होंने 25 अगस्त को जोधपुर बंद का आव्हान किया जो शाम चार बजे तक पूरी तरह सफल था और इस के बाद भी आवश्यक वस्तुएँ ही बाजार में उपलब्ध हो सकी थीं।  कुछ दिनों बाद राजस्थान के मुख्य न्यायाधीश के इस आश्वासन पर कि जोधपुर मुख्य पीठ को विभाजित नहीं करने का निर्णय कुछ वर्ष पूर्व उच्चन्यायालय की पूर्ण पीठ कर चुकी है और उस निर्णय से पीछे हटने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता है जोधपुर के वकीलों ने आंदोलन वापस ले लिया और वहाँ काम सामान्य हो गया।

पिछले छह वर्ष से भी अधिक समय से कोटा संभाग के वकील कोटा में हाईकोर्ट बैंच की स्थापना की मांग करते आ रहे हैं। इस के लिए वे पहले आंदोलन चला चुके हैं और माह के हर आखिरी शनिवार को काम बंद रखते हैं।  उदयपुर, बीकानेर और जोधपुर के आंदोलनों को देख कर वे भी चिंतित हो उठे। उन्हें लगा कि ये आंदोलन चलते रहे और वे चुप बैठे रहे तो उन का हाईकोर्ट बैंच का तगड़ा दावा कहीं खारिज न हो जाए। उन्हों ने आनन फानन में पूरे संभाग के बार एसोसिएशनों के प्रतिनिधियों की बैठक बुलाई और 31 अगस्त से हड़ताल पर चले गए। कोटा में तब से यह हड़ताल जारी है। न्यायिक कार्य यहाँ भी ठप्प पड़ा है। कोटा के लोगों का कहना है कि उन्हें हाईकोर्ट के काम से जयपुर बैंच जाना पड़ता है जो कोटा से 250 किलोमीटर दूर है। दूरी के हिसाब से उन का दावा जोधपुर और बीकानेर के मुकाबले अधिक मजबूत है। उन का यह भी कहना है कि जयपुर बैंच में  जितना काम है उस का 40 प्रतिशत काम तो कोटा संभाग से संबद्ध है बाकी 60 प्रतिशत का

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