हिन्दू विधि में तलाक के आधार
|तीसरा खंबा को अनेक पाठकों से ऐसे प्रश्न प्राप्त होते हैं जिन में पूछा जाता है कि ‘मुझे तलाक कैसे मिल सकता है’। इन में अधिकांश प्रश्नकर्ता हिन्दू विधि से शासित होते हैं। प्रारंभिक हिन्दू विधि में तलाक या विवाह विच्छेद की कोई अवधारणा उपलब्ध नहीं थी। हिन्दू विधि में विवाह एक बार हो जाने के बाद उसे खंडित नहीं किया जा सकता था। विवाह विच्छेद की अवधारणा पहली बार हिन्दू विवाह अधिनियम 1955 से हिन्दू विधि में सम्मिलित हुई। वर्तमान में हिन्दू विवाह को केवल उन्हीं आधारों पर विखंडित किया जा सकता है जो कि इस अधिनियम द्वारा प्रदत्त किए गए हैं। इस कारण से ऐसे प्रश्नों का तब तक कोई भी उत्तर दिया जाना संभव नहीं है जब तक कि प्रश्नकर्ता के विवरण से यह स्पष्ट न हो कि विवाह विच्छेद के लिए कोई आधार उपलब्ध है अथवा नहीं। बिना किसी आधार के तो तलाक केवल आपसी सहमति से संभव है। जब विवाह विच्छेद के लिए आपसी सहमति न हो तो कानून में वर्णित आधार उपलब्ध होने पर ही तलाक संभव हो सकता है। चूंकि प्रारंभिक हिन्दू विधि में विवाह विच्छेद की अवधारणा अनुपस्थित थी, इस कारण से न्यायालय के हस्तक्षेप के बिना कोई भी रीति तलाक या विवाह विच्छेद हेतु उपलब्ध नहीं है और हिन्दू विवाह केवल न्यायालय के माध्यम से ही विखंडित किया जा सकता है। यह पोस्ट यहाँ इसी बात को स्पष्ट करेगी कि हिन्दू विधि में विवाह विच्छेद के आधार क्या हो सकते हैं।
हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 13 में वे आधार वर्णित हैं जिन पर एक हिन्दू विवाह विच्छेद संभव हो सकता है। हिन्दू विवाह का एक पक्षकार निम्न में से किसी भी आधार पर विवाह विच्छेद के लिए न्यायालय में आवेदन प्रस्तुत कर सकता है, यदि विवाह का दूसरा पक्षकार ..
विवाह के उपरांत अपने जीवन साथी के अतिरिक्त किसी अन्य व्यक्ति के साथ स्वेच्छा पूर्वक यौन संबंध स्थापित कर जारकर्म का दोषी हो।
2. क्रूरतापूर्ण व्यवहार
अपने जीवनसाथी के साथ क्रूरतापूर्ण व्यवहार का दोषी हो। (क्रूरता को परिभाषित करना आसान काम नहीं है। यह विवाह के पक्षकारों के सामाजिक स्तर और परिस्थितियों पर निर्भर करेगा कि किस तरह का आचरण वैसी क्रूरता है जिस पर तलाक की डिक्री प्रदान की जा सकती है।)
3. परित्याग
विवाह विच्छेद का आवेदन प्रस्तुत करने की तिथि के ठीक पहले कम से कम दो वर्ष से आवेदनकर्ता का परित्याग का दोषी हो।
4. धर्म का परित्याग
हिंदू धर्म त्याग कर दूसरा धर्म ग्रहण कर चुका हो।
5. विकृतचित्तता
लाइलाज विकृतचित्त हो, अथवा लगातार या बीच-बीच में ऐसे मनोविकार से पीड़ित रहता हो जिस के कारण यथोचित रूप से आवेदनकर्ता के उस के साथ निवास करने की अपेक्षा नहीं की जा सकती हो।
6. असाध्य कुष्ठ रोग
उग्र और असाध्य रूप से कुष्ठ रोगी हो।
7. यौन रुग्णता
संक्रामक रूप से यौन रोगी हो चुका हो।
धार्मिक संहिता के अंतर्गत संन्यास ग्रहण करहो हो, और उस ने संसार का त्याग कर दिया हो।
9. लापता
लापता हो गया हो और उन लोगों ने उस के बारे में पिछले सात वर्ष से उस के जीवित रहने के बारे में कुछ भी न सुना हो जिन का प्राकृतिक रूप से ऐसा सुना जाना अपेक्षित था।
इस तरह ये नौ कारण हैं जिन के आधार पर विवाह का कोई भी पक्षकार दूसरे पक्षकार के विरुद्ध विवाह विच्छेद के लिए सक्षम न्यायालय के समक्ष आवेदन प्रस्तुत कर सकता है। एक हिन्दू पत्नी को उक्त आधारों के अतिरिक्त कुछ अन्य आधार भी विधि द्वारा उपलब्ध कराए गए हैं, वे निम्न प्रकार हैं ….
पत्नी के लिए विवाह विच्छेद अतिरिक्त आधार
1. जब कि विवाह 1955 के अधिनियम के प्रभावी होने के पूर्व संपन्न हुआ हो और पति ने इस अधिनियम के प्रभावी होने के पहले दूसरा विवाह भी कर लिया हो, या अधिनियम के प्रभावी होने के पहले हुए विवाह के समय पति की अन्य विवाहित पत्नी मौजूद रही हो। लेकिन आवेदन प्रस्तुत करने के समय दूसरी पत्नी का जीवित होना आवश्यक है। (यह आधार अब लगभग बेकार हो चुका है क्यों कि समय व्यतीत होने के साथ अब शायद ही कोई ऐसा मामला शेष रहा हो)।
2. यदि पति बलात्कार या अप्राकृतिक मैथुन या वहशीपन का दोषी हो।
3. यदि पत्नी का विवाह, चाहे पति-पत्नी के मध्य यौन संबंध स्थापित हुए हों या न हुए हों, 15 वर्ष की आयु प्राप्त करने के पूर्व संपन्न हुआ हो और पत्नी ने 15 वर्ष की होने के उपरांत तथा 18 वर्ष की होने के पूर्व विवाह को त्याग दिया (repudiated) हो।
एक पत्नी उक्त अतिरिक्त आधारों पर भी विवाह विच्छेद के लिए आवेदन प्रस्तुत कर सकती है।
उक्त सभी आधारों के विस्तार में जाने की आवश्यकता है जिस से उन्हें ठीक से समझा जा सके, इस के अतिरिक्त पति-पत्नी आपसी सहमति से भी विवाह-विच्छेद हेतु संयुक्त आवेदन प्रस्तुत कर सकते हैं, लेकिन उन के बारे में फिर कभी।
Sir ….
Mera shadi Feb 2016 me hua tha but mai ye shadi se khus nhi hu . Kyo ki mere shadi jabrjti ghar walo ne kr diya h paiso ke lalch me mai bahut bure tarike se phas gaya hu aur shadi hone se phle sb logo se manna kr diya tha but sb logo ne shadi karawa diya aur jis ldki se shadi hona tha us ldki se bola tha ki mai shadi nhi karna chahta hu but kisi ne mera kuchh nhi suna .
Main bahut tension me hu kaise divoces hoga plz kuchh reply dijiye plz….
मैं अपनी पत्नी को तलाक देना चाहता हु मेरी शादी को ५ शाल हो गए है वो मेरे घर पर नहीं रहना चाहती है और हमारे बिच इस बात को लेकर बहुत जियदा झगड़े होते है कोई सुझाव दीजिये सर
Sir..
Mene 5 mhine phle mnder se hindu riti rieaj ke anusar prem vivah kiya… Me or meri patni vivah k bad alg alg rh rhe the.. Q ki mere pas vyvsta ni thi… So mene krib 4 mhine bad meri. Wife ko sath rkhna start kiya.. Kintu uska mere prti vyvhar shi ni rhta hai…. Or mere mata pita ganw me rhte hai.. Me akela hu.so wha bi dekhna pdta hai… Kintu wo wha jana ni chahti.. Or mere parents se sambhndhn hi ni rkhna chatii… Awm muze apni bate mnwane ko mjbur krti haii… Or agr me mna krta to.. Mrne ka khti hai….
Is girl se meri sagai 2011 me ho gai thi.. Kintu pariwarik karno se mere ghr walo ne inke yha se smbhnd chod diya tha 2012 me..
Kintu usi antral me me or ldki mobile se bat krne lg gye the.. Jb ghr walo ke smbndh chodne ki bat khi mene use to.. Wh khti hai ki me mr jauga..
Mene use bhoot smzane ki kosis ki pr wo ni mani… Or ant me june 2015 me muze mere priwar ke khilaf. Or uske priwar ki rzamandi se sadi mndir me krna pdi..
Kintu yh ldki or iske priwar wale muze bat bat pr torcher krte hai.. Awm ldki uski bat n manne pr mrne ki dhmki deti hai..
Abhi kuach din phle to uske ghr jane ke name pe isne apne hath ki ns kat li.. Or muze dhej. Ghrelu hinsa aadi bate kh kr drati hai… Or khti hai case lga dungi..
Sir me or mere sath meri family bhut presan hai.. Plz koi rasta btay… Wrna har kr muze aatm htya krna pd skti hai.. Q me bhut presan ho chuka huu…
Plz sir.. Any solution..
बहुत अच्छी जानकारी दी है.
बहुत ही अच्छी जानकारी दी आप ने , धन्यवाद