80 वर्ष से मालिकाना कब्जा है, मुकदमे की पैरवी ठीक से होगी तो सफल होंगे
समस्या-
राम सिंह ने मेन रोड़, एसबीआई के पास, रामगढ़, झारखंड से पूछा है-
हम लोग अपने पुश्तैनी मकान में 1940 से रह रहे हैं. मकान के लगान की रसीद 1940 से ले कर 2020 तक हर साल कट रहा है. यह ज़मीन हमारे दादा को सदा हुकूमनामा से मिला था. उस समय से मकान बना कर रहते आए हैं. ये ज़मीन पड़ोसी के खतियान में है. टोटल खतियान का ज़मीन 28 डिस्मिल है लेकिन रसीद 24 दिस्मिल का पड़ोसी का कटता है. और 4 डिस्मिल का हम लोग का. पड़ोसी से मेरे मकान में केस कर दिया है की 1940 में ज़मींदार नाबालिग था तब उसने हुकूमनामा कैसे दे दिया. ज़मींदार बालिग था या नाबालिग ये कोई नही जनता. उसके केवल या लिख कर दिया है. ऐसा कोई सबूत नहीं है. पड़ौसी कहता है ये मेरा मकान/ज़मीन हैं. उन लोगों को केवल बात से रहने के लिए दिए हैं. पड़ौसी का कहना है के ज़मीन/मकान मेरे खतियान मैं है . मेरे दादा बेचे नहीं है एसलिए मेरा है. हम लोगों के पास सिर्फ़ लगान का रसीद ओर कब्जा है। पहले एलआरडीसी ने अपने फ़ैसले में लिखा था कि जमाबंदी लंबे समय से कायम है एसलिए फ़ैसला हम लोगों के पक्ष मे सुनाया है. हम क्या करे की फ़ैसले हमारे पक्ष में हो.
समाधान-
आपके पास सदा हुकुमनामा है और 1940 से 2021 तक का 80 वर्ष से अधिक का मालिक के रूप में कब्जा है। आप के पास एडवर्स पजेशन है। यदि हुकुमनामा देने वाला नाबालिग भी था तब भी उस पट्टे को अब इतने वर्षों के बाद परिसीमा न होने के कारण पलटा नहीं जा सकता। आप मुकदमा जीतेंगे यदि आपकी ओर से पैरवी ठीक से की गयी तो।
इसलिए आप यह करें कि अपनी पैरवी के लिए अच्छा वकील करें, किसी तरह की लापरवाही पैरवी में न हो। सारे सबूत पेश करें। कब्जे के सबूत, हुकुमनामा और एलआरडीसी का पुराना फैसला पेश करें और अपने बयान से इन दस्तावेजों को प्रदर्शित कराएँ।