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मौसी की पु्त्री से सपिण्ड संबंध है और यह विवाह हिन्दू विधि में अकृत है।

rp_sex.jpgसमस्या-

सोनू सिंह ने हाजीपुर बिहार से समस्या भेजी है कि-

मैं ने अपनी मौसी की पुत्री से 01-12-14 को विवाह कर लिया। लेकिन मेरी माँ और मेरी पत्नी के पापा ने सीजेएम कोर्ट में धारा 5 हिन्दू विवाह अधिनियम के अन्तर्गत आवेदन दिया। हम ने मुकदमा लड़ा भी है, लेकिन अदालत ने हमारी शादी को तोड़ दिया है। अब मैं क्या करूँ कृपया मुझे सलाह दें।

समाधान-

प का मौसी की पुत्री से संबंध सपिण्ड है और यह विवाह प्रतिबंधित रिश्तेदारी में होने के कारण हिन्दू विवाह अधिनियम के अन्तर्गत अवैध था। इस कारण न्यायालय ने उसे अवैध घोषित कर दिया है। अब आप दोनों विवाहित नहीं माने जाएंगे। लेकिन यदि आप दोनों पति पत्नी एक साथ रह रहे हैं तो कानूनन साथ रहने में किसी तरह की कोई बाधा नहीं है। क्यों कि यह अपराध नहीं है। इस से यही अन्तर पड़ेगा कि आप दोनों को पति पत्नी नहीं माना जाएगा। आप की होने वाली संतान को तो आप दोनों की ही संतान माना जाएगा लेकिन उसे पुश्तैनी संपत्ति में कोई अधिकार प्राप्त नहीं हो सकेगा।

प दोनों का साथ रहना अब लिव-इन-रिलेशन माना जाएगा। लंबे समय तक साथ रहने और समाज में पति पत्नी की तरह व्यवहार करने के कारण। सभी मामलों में आप दोनों को पति पत्नी माना जाएगा सिवाय इस के कि आप दोनो हिन्दू विवाह रीति से विवाहित नहीं हैं। हमारे ज्ञान में इस तरह का विवाह इस्लाम के अतिरिक्त किसी अन्य धर्म में मान्य नहीं है। लेकिन यदि आप आपस में पति पत्नी कहलाने के लिए इस्लाम धर्म भी ग्रहण करेंगे तो इस धर्म परिवर्तन को वैध नहीं कहा जा सकता क्यों कि यह केवल पति पत्नी के रूप में मान्यता प्राप्त करने के लिए होगा। आप दोनों का हिन्दू विवाह पहले ही अवैध घोषित हो चुका है। इस कारण भी यह धर्म परिवर्तन आप दोनों के इस रिश्ते को कोई वैधानिकता प्रदान नहीं करेगा।

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