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ससुराल में निवास के स्थान हेतु घरेलू हिंसा अधिनियम में कार्यवाही करें।

rp_police-officer.jpgसमस्या-

बबिता यादव ने हरिद्वार उत्तराखंड से उत्तर प्रदेश राज्य की समस्या भेजी है कि-

मेरे पति बिजेंदर कुमार ने अपनी खेती की अपने हिस्से की सारी ज़मीन/पैत्रक संपत्ति अपनी सगी बहिन मुन्नी देवी कई नाम कर दी है। ज़मीन जिला बिजनौर, तहसील ढमपुर में है। जिस के लिए मैं ने लोकल कोर्ट नगीना में केस डाला पर एक साल बाद भी विपक्षीपक्षखार नोटिस/सम्मन प्राप्त नही हुआ है। मेरे दो बेटे हैं 18 व 16 वर्ष के। मैं किस तरह से अपने बच्चों को उनका हक दिलवा सकती हूँ? ससुराल में मेरे हिस्से के कमरों में भी मेरे जैठ महेंद्र ओर जेठानी सुदेश का कब्जा है। मेरा सारा समान उन्हीं के कब्ज़े में है पर उस के लिए मैंने कोई केस नही डाला है। मकान जिला बिजनोर में ही है। मैं अपने हिस्से के मकान में जा कर अपने समान को सेफ करना व वहाँ रहना चाहती हूँ पर हिम्मत नहीं होती। पति बचपन से अपनी बाहिन मुन्नी देवी के पास पला है और आज भी वहीं रहता है। मेरा पति अपने बहनोई हरपाल सिंह के बहकावे व लालच में आकर हमेशा उस की की हर गलत काम में शरीक रहता है। कृपया मेरी मदद करें।

समाधान –

प ने जमीन के मामले में मुकदमा किया है। यदि जमीन पुश्तैनी है तो उस में आप के बच्चों का हक है। आप के वकील से बात करें उस ने उन के हिस्से को अलग करने का मुकदमा किया है अथवा नहीं। यदि न किया हो तो बच्चे 18 वर्ष की उम्र के हो जाने पर ऐसा कर सकते हैं। खेती की जमीन के मामले में उत्तर प्रदेश का कानून बिलकुल अलग है इस कारण इस मामले में आप की मदद केवल स्थानीय वकील ही कर सकते हैं। यदि सम्मन या नोटिस विपक्षी पक्षकारों को नहीं मिल रहे हैं तो आप के वकील को कहें कि वे उन्हें रजिस्टर्ड डाक से अथवा निशादेही से तामील करवाएँ।

प के पति को उस के बहनोई की बात न मानने के लिए तो अदालत उसे बाध्य नहीं कर सकती। लेकिन आप महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा से संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत ससुराल के मकान में रहने के लिए स्थान मांग सकती हैं और जेठ, जिठानी व पति के विरुद्ध आप को परेशान न करने संबंधी आदेश पारित करवा सकती हैं। जिस से ससुराल के मकान में आप को व आप के बच्चों को रहने का स्थान मिल सकता है। आप का सामान आप का स्त्रीधन है आप उसे कानूनी रूप से जिस के भी कब्जे में है उस से मांग सकती हैं। यदि वे देने से इन्कार करते हैं या कोई उत्तर नहीं देते हैं तो आप उन के विरुद्ध धारा 406 आईपीसी में पुलिस में रिपोर्ट लिखा सकती हैं या पुलिस के कार्यवाही न करने पर आप न्यायलय के समक्ष परिवाद प्रस्तुत कर सकती हैं।

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