DwonloadDownload Point responsive WP Theme for FREE!

परिवार से अलग हुए पुत्र का भी सहदायिक संपत्ति में समान अधिकार

आपने स्पष्ट रूप से नहीं बताया कि जिस मकान में अलग हुआ भाई हिस्सा मांग रहा है वह पुश्तैनी संपत्ति है या नहीं। यदि इस मकान को आपके पिताजी या दादाजी या परदादा ने 17 जून 1956 के पहले खरीदा था तो यह पूरा मकान सहदायिक (पुश्तैनी) संपत्ति है। पुश्तैनी संपत्ति में सभी सन्तानों को जन्म से अधिकार प्राप्त हो जाता है। इस कारण से भाई के अलग होने पर भी पुश्तैनी संपत्ति में उसका हिस्सा बना रहता है। उसे अपने हिस्से की संपत्ति मांगने का अधिकार है।

माँ ने आप चार भाइयों के नाम जो वसीयत की है वह आपकी माँ के हिस्से तक ही सीमित रहेगी। अर्थात मकान में माँ का जो हिस्सा था उसके आप चारों भाई अधिकारी हैं। उस हिस्से में से भाई को कोई हिस्सा प्राप्त नहीं होगा।

इसी तरह भाई को जो दुकान पुश्तैनी संपत्ति में दी गयी है सारी पुश्तैनी संपत्ति का निर्धारण उस दुकान सहित होगा। उसमें से माँ का हिस्सा अलग होगा। उसके बाद पाँच हिस्से होंगे। इन पाँच हिस्सों में जो हिस्सा अलग हुए भाई को दिया गया था वह भाई के हिस्से में शामिल माना जाएगा। अर्थात भाई का जो हिस्सा निर्धारित किया जाएगा उसमें दुकान शामिल होगी। इस तरह उसे मकान में आप सभी से कम हिस्सा प्राप्त होगा।

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

मेरे ब्लॉग/ वेबसाईट की पिछली लेख कड़ी प्रदर्शित करें
Enable Google Transliteration.(To type in English, press Ctrl+g)

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.