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अपना कर्तव्य निश्चित कर कानूनी कार्यवाही करें, परिणाम का भय त्याग दें।

समस्या-

पीलीभीत, उत्तर प्रदेश से अरुण सक्सेना ने पूछा है-

मेरी शादी को चार साल हो गए हैं। दो साल पहले मेरी पत्नी ने दो जुड़वाँ बेटियों को जन्म दिया उसके २५ दिन बाद ही मेरी पत्नी दोनों बच्चों को छोड़ कर हमारे परिवार पर गलत आरोप लगा कर वापस अपने मायके चली गई।  आठ माह बाद वापस आई और आकर रहने लगी।  लगभग 6 माह मेरे पास रहकर वापस मायके चली गई।  इस बार वह एक बेटी को अपने साथ ले गयी। आज 9 महीने होने पर भी उससे मेरा कोई संपर्क नहीं है।
मेशा से ही वह हम पर दहेज़ के मुक़दमे करने और खर्चा लेने और पूरे परिवार को फ़ँसाने और जेल भेजने की धमकी देती रही है।  मेरी पत्नी और उसके घर वालों ने मेरा और मेरे परिवार का जीना दूभर कर रखा था और घर को नरक बना दिया था, वो दोनों बच्चों को पालना नहीं चाहती थी तो उसने खुद फैसला कर लिया की एक बच्चे को वो पालेगी और एक को हम लोग।  कुछ ऐसा सोच कर वो एक बच्चे को अपने साथ ले गयी है और एक मेरे पास है।  एक अप्रैल से अब तक न तो उसने बच्चे की सुध ली है न ही फोन पर कोई संपर्क हो पाया है।  मैंने जब भी मध्यस्थों से बात करने की कोशिश की तो उन लोगो ने ये कहकर पल्ला झाड़ लिया कि वो लोग हमारी नहीं सुनते हैं, वह गलत कर रही है अगर हम लोग उसको फ़ोर्स करते है तो वो कोई ऐसा वैसा कदम उठा लेगी कि तुम लोग उलटे फँस जाओगे, जैसा चल रहा है चलने दो।

मारे घर में मेरी माँ है जो टीचिंग करती है और मेरा भाई ड्रग अडिक्ट है तथा किसी काम का नहीं।  मेरी दो बहनें हैं एक की शादी हो गई है और एक सर्विस करती है। मेरी पत्नी समाज में हमारी काफी बेइज्जती कर चुकी है।  में कई वकीलों से मिला पर कोई संतोष जनक उत्तर नहीं मिला कोई कहता है सेक्शन 9 करेंगे कोई धारा 13 में तलाक के लिए कहता है तो कोई परिवार परामर्श के लिए।  कोई भी मुकदमा खुद करने पर उलटे अनेक तरह के मुक़दमे के जाल में फँस जाऊंगा जिनसे निकल पाना आसान न होगा, इसलिए चुप चाप बैठना ही उचित लगता है।  मेरी जिंदगी ऐसे मोड़ पर आ खड़ी हुई है कि न तो मैं अपने, न परिवार और न ही अपने दोनों बच्चों के भविष्य के बारे में सोच पा रहा हूँ।  मुझे बताएँ कि इस मुसीबत से कैसे निपटा जाये? क्या हम दहेज़ के केस में फ़ँसाये जा सकते है?  क्या मुझे दूसरी बच्ची को अपनी अभिरक्षा में रखने का आदेश भी मिल सकता है? क्या तलाक लेने का कोई आधार मेरे पास है?  क्या कोई ऐसा तरीका भी है कि उलटे मुकदमों से बच पाए या इंतज़ार करें कि कब वो लोग हम पर दहेज़ का केस लगायें?

समाधान-

प इस बात से डर रहे हैं कि आप के विरुद्ध दहेज या अन्य प्रकार के मुकदमे कर दिए जाएंगे। आप का यह भय कुछ वास्तविक है और कुछ काल्पनिक, कुछ इस तरह की हवा बना दी गई है। जो भी कुछ है उस के होते हुए भी क्या आप अपना कर्तव्य कर पा रहे हैं? यदि आप सोचते हैं कि आप अपना कर्तव्य नहीं कर पा रहे हैं तो आप को कदम उठाना ही चाहिए।  पिछली नौ अप्रेल से ले कर अब तक आप की पत्नी आप से दूर है अर्थात आठ माह हो चुके हैं। आप चार माह और प्रतीक्षा कीजिए। जैसे ही पत्नी को आप से दूर हुए एक वर्ष हो जाए आप बिना कोई नोटिस दिए न्यायालय में तलाक का मुकदमा कर दीजिए। बच्चियों को छोड़ जाना क्रूरता है। इस तरह आप के पास वर्तमान में क्रूरता का आधार है।  चार माह बाद आप के पास पत्नी द्वारा स्वेच्छा से एक वर्ष से अलग रहने का अतिरिक्त आधार भी उपलब्ध होगा। आप वकील से मिल कर अपनी सारी बात बताएंगे तो वह कुछ आधार और भी तलाश कर आप को बता सकता है। तलाक के मुकदमे में भी न्यायालय का यह दायित्व है कि वह दोनों के बीच समझौता कार्यवाही करे।  यदि संभव हो तो समझौता कर लीजिए। यदि न हो तो तलाक तो होगा ही। आप को अपनी अर्जी में वे सब बातें लिखनी हैं जो गुजरी हैं साथ ही लगातार आप को फर्जी मुकदमे करने की जो धमकियाँ दी गई हैं उन का उल्लेख अवश्य करें। इस से तलाक का मुकदमा करने के उपरान्त आप के विरुद्ध फर्जी मुकदमे किए जाते हैं तो उन में बचाव किया जा सकेगा।

प अपने विरुद्ध मुकदमे होने के भय से चुप रहेंगे तो समय गुजरता जाएगा और कभी न कभी तो आप मुकदमों में फंसाए जा सकते हैं। इस काल्पनिक भय को त्याग दीजिए। इंतजार करने का कोई अर्थ नहीं है। बच्चों की अभिरक्षा का निर्णय इस आधार पर होता है कि बच्चों का हित किस की अभिरक्षा में है। यदि न्यायालय को लगता है कि बच्चों का भविष्य़ आप के साथ रहने में है तो आप को दूसरी बच्ची की अभिरक्षा भी मिल जाएगी। आप तलाक का मुकदमा करने के साथ ही दूसरी बच्ची की अभिरक्षा प्राप्त करने का मुकदमा भी कर सकते हैं। आप अपने परिवार, अपने स्वयं और अपनी बच्चियों के प्रति अपने कर्तव्य को समझ कर तुरंत कार्यवाही करें।  परिणामों का भय त्याग दें।

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