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अपने हिस्से की संपत्ति के लिए बंटवारे का वाद संस्थित करें

partition of propertyसमस्या

डी डी ने सोनगाँव, नैनीताल, उत्तराखंड से समस्या भेजी है कि-

मेरे पिता की मृत्यु (13 ऑगस्त) को हुई, उसके बाद मेरे परिवार मैं हम 3 बहनें, मम्मी और बड़ा भाई है। भाई को पिता के आश्रित के रूप में नौकरी प्राप्त हो गई है। मेरी 2 बड़ी बहने विवाहित हैं। और मेरी आयु भी 20 वर्ष से अधिक है। बात संपत्ति के बटवारे की है, भाई ने संपत्ति को केवल अपने नाम पे कर लिया है। वह भी चुपके से,बिना हमें कोई जानकारी दिए। लेकिन मैं चाहती हूँ कि संपत्ति का समान बंटवारा कानून के अनुसार हो। उस के लिए मुझे क्या करना होगा?

समाधान-

प के भाई यदि आप के पिता ने उन के नाम वसीयत न कर दी हो तो किसी भी प्रकार से संपत्ति को केवल अपने नाम आप तीनों बहनों और माँ की सहमति के बिना नहीं करवा सकते। ऐसा केवल वे तभी कर सकते हैं जब कि फर्जी दस्तावेज बना कर प्रस्तुत कर दें।

पिता की संपत्ति किस प्रकार की है यह जानकारी आप ने नहीं दी है। आप के राज्य में कृषि भूमि पर उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश अधिनियम प्रभावी है और उस में विवाहित बहनों को कृषि भूमि में प्रथम श्रेणी का उत्तराधिकारी नहीं माना है लेकिन पत्नी, पुत्र व अविवाहित पुत्री को समान अधिकार प्राप्त हुआ है। यदि आप की संपत्ति कृषि भूमि है तो आप का हिस्सा उस में 1/3 तथा आप की माता जी का हिस्सा भी 1/3 है। यदि अन्य संपत्ति है तो उस में आप की दोनों विवाहित बहनों सहित सभी का 1/5-1/5 हिस्सा है।

ब किसी आश्रित को नौकरी दी जाती है तो यह वचन उसे देना होता है कि वह पिता के आश्रितों का भरण पोषण करेगा तथा उन के हितों की रक्षा करेगा। आप अपने भाई को कह सकती हैं कि यदि उस ने सारी संपत्ति का कानून के अनुसार बंटवारा नहीं किया तो आप उस के विभाग को शिकायत कर सकती हैं जिस से उस की नौकरी जा सकती है।

दि संपत्ति केवल कृषि भूमि है तो उस के बंटवारे के लिए आप राजस्व न्यायालय में बंटवारे का वाद संस्थित कर सकती हैं यदि आप के पिता की संपत्ति कृषि भूमि और दूसरी संपत्तियाँ मकान आदि हैं तो आप को बंटवारे का वाद दीवानी न्यायालय में प्रस्तुत करना होगा। वाद प्रस्तुत करने के साथ ही आप अस्थाई निषेधाज्ञा का आवेदन प्रस्तुत कर के पिता की संपत्ति को विक्रय करने, उसे खुर्द बुर्द करने, उस का स्वामित्व या कब्जा हस्तान्तरित करने पर रोक लगाने के लिए प्रार्थना कर सकती हैं जिस पर अस्थाई निषेधाज्ञा का आदेश पारित किया जा सकता है।

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