असंज्ञेय अपराधों के लिए सीधे मजिस्ट्रेट को परिवाद प्रस्तुत करें
|समीर मलहोत्रा ने जबलपुर मध्य प्रदेश से समस्या भेजी है कि-
एक व्यक्ति जो कि मेरा पड़ौसी होने के साथ-साथ परिवार का भी है वह आए दिन अकारण ही हमारे खिलाफ अपशब्दों का प्रयोग करता है और झगड़ा करने का प्रयास करता है। हम झगड़े से बचने का प्रयास करते हैं लेकिन उसको बिल्कुल भी शर्म नहीं आती है। वह बहुत ही बदतमीज किस्म का व्यक्ति है। अगर हम उस आदमी के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करना चाहे तो किन-किन धाराओं के अंतर्गत कानून हमारी मदद कर सकता है और उस पर कार्यवाही की जा सकती है जिस से कि वह आगे से किसी के खिलाफ झगड़ा करने का प्रयास न करें और न ही दूसरे व्यक्ति को परेशान करने का प्रयास करें।
समाधान-
आप ने जितना विवरण दिया है उस से हम इस नतीजे पर पहुँचे हैं कि वह व्यक्ति जो व्यवहार/ कृत्य आप के साथ कर रहा है वह सब भारतीय दंड संहिता की धारा 504 के अन्तर्गत दंडनीय अपराध है। धारा 504 निम्न प्रकार है-
- लोकशांति भंग कराने को प्रकोपित करने के आशय से साशय अपमान–जो कोई किसी व्यक्ति को साशय अपमानित करेगा और तद्द्वारा उस व्यक्ति को इस आशय से, या यह सम्भाव्य जानते हुए, प्रकोपित करेगा कि ऐसे प्रकोपन से वह लोक शान्ति भंग या कोई अन्य अपराध कारित करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
क्यों कि उक्त अपराध संज्ञेय अपराध नहीं है इस कारण पुलिस को रिपोर्ट करने पर भी वह कोई कार्यवाही स्वयं नहीं कर सकती। इस मामले में प्रसंज्ञान आप के क्षेत्र पर अधिकारिता रखने वाला न्यायिक मजिस्ट्रेट ही ले सकता है। इस कारण आप को इस धारा के अन्तर्गत स्वयं परिवाद न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करना पड़ेगा तथा आप को अपने बयान व गवाहों के बयान कराने होंगे। इस के उपरान्त ही मजिस्ट्रेट इस मामले पर प्रसंज्ञान ले कर अभियुक्त को समन से बुलाएगा और उस के विरुद्ध कार्यवाही करेगा। सभी असंज्ञेय अपराधों के लिए सीधे मजिस्ट्रेट को ही परिवाद प्रस्तुत करना चाहिए।
यदि आप की शिकायत पर उस व्यक्ति के विरुद्ध प्रसंज्ञान लिया जा कर कार्यवाही होती है और उस के दौरान वह दुबारा या तिबारा या कभी भी ऐसी हरकत करता है तो आप हर बार उस के विरुद्ध एक नया परिवाद प्रस्तुत करें। एकाधिक परिवादों में उस के विरुद्ध कार्यवाही होने पर निश्चित रूप से उस व्यक्ति को सबक प्राप्त होगा। वास्तविकता तो यह है कि अदालत में कार्यवाहियों पर जाने की परेशानी के कारण इस तरह के मामलों में अधिकांश लोग कार्यवाही करने से बचते हैं और इस कारण से ऐसे लोग अपनी मनमानी करते रहते हैं। यदि ऐसे लोगों की हर हरकत पर कार्यवाही होने लगे तो उस का सामान्य प्रभाव समाज पर यह हो सकता है कि कोई भी व्यक्ति ऐसी हरकत करने से डरने लगेगा।