उत्तराधिकार में प्राप्त अविभाजित संपत्ति के बँटवारे के लिए दीवानी वाद प्रस्तुत करें।
समस्या –
सहारनपुर, उत्तर प्रदेश से कुमारी रेणु ने पूछा है –
मेरे बाबा जी कि मृत्यु सन 1984 में हो चुकी है उनके 2 पुत्र है एक मेरे पिताजी व दूसरे मेरे चाचा जी हैं। बाबा जी के पास अलग अलग दो मकान थे। एक मकान 100 वर्ग गज का व दूसरा मकान 300 वर्ग गज का है। बाबा जी के समय से ही हम 100 वर्ग गज व चाचा जी 300 वर्ग गज वाले मकान में रहते आ रहे हैं। कोई लिखित बँटवारा या कोई लेन देन नहीं हुआ है। कभी अगर बँटवारे की बात आती तो चाचा जी बोलते थे कि बाद में हो जायेगा, जो कि कभी नहीं हुआ। नगर पालिका में भी हाउस टेक्स जो जिस मकान में रहता है उसी के नाम पर है। अब चाचा जी 300 गज वाले मकान को तोड़कर दोबारा से बनवाना सोच रहे हैं। जब कि वो हमें हिस्सा बाँटकर नहीं दे रहे हैं और बोल रहे है कि बाबा जी के सामने जो हो गया वो ही ठीक है। अब हम बराबर बराबर हिस्सा चाहते हैं। क्या यह सम्भव है? अगर हाँ, तो हमे क्या करना होगा?
समाधान –
आप के बाबा जी की संपत्ति पर उन के सभी उत्तराधिकारियों का बराबर का अधिकार है। आप की दादी तो अब होंगी नहीं। फिर भी आप के पिता व चाचा के अतिरिक्त आप की बुआएँ हैं तो उन का भी उतना ही अधिकार है। इस कारण आप के पिताजी के कब्जे में जो मकान है और जो मकान चाचा जी के कब्जे में है दोनों तथा अन्य कोई संपत्ति बाबा जी की हो तो वह भी संयुक्त परिवार की संपत्ति है। इस का विभाजन अभी तक नहीं हुआ है तो अब हो सकता है। यदि सहमति से नहीं हो रहा है तो उस के लिए कोई भी हिस्सेदार विभाजन का दावा कर सकता है।
नगर पालिका में हाउस टैक्स किस के नाम से जमा हो रहा है वह संपत्ति के स्वामित्व पर कोई प्रभाव नहीं रखता है। आप के पिता जी उक्त संपत्ति के बँटवारे के लिए दीवानी न्यायालय में वाद प्रस्तुत कर सकते हैं। यदि आप के चाचा जी मकान को तुड़वाना चाहते हैं तो आप के पिता जी बँटवारे का वाद प्रस्तुत कर उसी में मकान को तुड़वाने, उस की स्थिति परिवर्तित करने किसी अन्य व्यक्ति को कब्जा देने और बेचने पर प्रतिबंध लगाने के लिए अस्थाई व्यादेश (निषेधाज्ञा) के लिए भी आवेदन कर सकते हैं और निषेधाज्ञा प्राप्त कर सकते हैं। इस से बँटवारे के दावे का अंतिम निर्णय होने तक के लिए आप के चाचा जी उन के कब्जे के मकान की स्थिति को नहीं बदल सकेंगे। आप के पिताजी को चाहिए कि वे दीवानी मामलों के किसी स्थानीय वकील से तुरन्त सलाह कर के उस से बँटवारे का वाद और मकान की स्थिति परिवर्तित करने से रोकने हेतु अस्थाई निषेधाज्ञा का आवेदन प्रस्तुत कराएँ।