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उत्तर प्रदेश में कृषिभूमि में अविवाहित पुरुष का उत्तराधिकार

समस्या

विपिन शुक्ला, ने ग्राम -ललितपुर, जिला-उन्नाव, उत्तर प्रदेश से पूछा है-

मेरे मित्र राजकिशोर के पिता लोग तीन भाई थे सबसे बड़े भाई की मृत्यु सबसे पहले 2014 में हुई, जिनकी एक विवाहित पुत्री है। इसके बाद सबसे छोटे भाई की मृत्यु सड़क दुर्घटना में 2016 में हुई, जो कि अविवाहित थे। सबसे बाद राजकिशोर के पिता कि मृत्यु हुई। राजकिशोर के दादा जी और दादी की मृत्यु बहुत पहले हो चुकी है। छोटे चाचा ने किसी को कोई वसीयत नहीं लिखी थी।  राजकिशोर के छोटे चाचा जो कि अविवाहित हैं, उनके हिस्से की जमीन का वारिस कौन होगा?

समाधान-

प का मामला यदि उत्तर प्रदेश में स्थित खेती की जमीन के संबंध में है तो हमारा कहना है कि उस पर उत्तर प्रदेश जमींदारी अधिनियम 1950 के उपबंधों के अनुसार उत्तराधिकार तय होगा। इस अधिनयम की धारा 171 के अनुसार किसी पुरुष की पत्नी और किसी पुत्र के जीवित न होने पर माता-पिता को, उन के भी जीवित न होने पर विवाहित पुत्री को, विवाहित पुत्री के भी जीवित न होने पर जीवित भाई-बहिन को तथा पूर्व मृत भाई के पुत्र को समान भाग प्राप्त होंगे।

प के मामले में सब से छोटे भाई की मृत्यु के समय उन के बड़े भाई अर्थात राजकिशोर के पिता जीवित थे और वही राजकिशोर के छोटे चाचा की मृत्यु के उपरान्त उन के एक मात्र उत्तराधिकारी थे। इस प्रकार छोटे चाचा की जमीन का अधिकार राजकिशोर के पिता को प्राप्त हुआ है।

ब क्यों कि राजकिशोर के पिता का भी देहान्त हो चुका है, इस कारण उन की जमीन के वारिस राजकिशोर के पिता के उत्तराधिकारी होंगे और छोटे चाचा की जमीन के उत्तराधिकारी भी राजकिशोर के पिता के उत्तराधिकारी होंगे। यदि राजकिशोर की माता तथा उन का कोई और भाई है या फिर किसी पूर्व मृत भाई की संतानें हैं तो सभी को बराबर हिस्सा प्राप्त होगा। पूर्व मृत भाई की संतानों को कुल एक हिस्सा प्राप्त होगा। यदि राजकिशोर की माँ जीवित नहीं हैं और कोई भाई भी नहीं है तो पिता की समूची जमीन का उत्तराधिकारी राजकिशोर होगा और छोटे चाचा की जमीन का उत्तराधिकारी होकर वह भी उसी को प्राप्त होगी।