किन आजीविकाओं के साथ एक व्यक्ति एडवोकेट के रूप में वकालत कर सकता है?
समस्या-
बिलासपुर छत्तीसगढ़ से गिरीश अग्रवाल पूछते हैं –
मैं जनहित में निःशुल्क वकालत की सेवा करना चाहता हूँ। क्या आजीविका के लिए अन्य कार्य करते हुए यह संभव है? क्या यह व्यवसायिक दुराचरण होगा? कृपया मार्गदर्शन करें।
समाधान-
बार कौंसिल ऑफ इंडिया रूल्स के पार्ट IV के चैप्टर II के सैक्शन 7 नियम 47-52 में एक एडवोकेट पर अन्य व्यवसायिक गतिविधियाँ करने पर कुछ प्रतिबंध लगाए गए हैं, ये निम्न प्रकार हैं –
Section VII-Restriction on other Employments
47. An advocate shall not personally engage in any business; but he may be a sleeping partner in a firm doing business provided that in the opinion of the appropriate State Bar Council, the nature of the business is not inconsistent with the dignity of the profession.
48. An advocate may be Director or Chairman of the Board of Directors of a company with or without any ordinarily sitting fee, provided none of his duties are of an executive character. An advocate shall not be a Managing Director or a Secretary of any company.
49. An advocate shall not be a full-time salaried employee of any person, government, firm, corporation or concern, so long as he continues to practise, and shall, on taking up any such employment, intimate the fact to the Bar Council on whose roll his name appears and shall thereupon cease to practise as an advocate so long as he continues in such employment.
Nothing in this rule shall apply to a Law Officer of the Central Government of a State or of any Public Corporation or body constituted by statute who is entitled to be enrolled under the rules of his State Bar Council made under Section 28 (2) (d) read with Section 24 (1) (e) of the Act despite his being a full time salaried employee.
Law Officer for the purpose of these Rules means a person who is so designated by the terms of his appointment and who, by the said terms, is required to act and/or plead in Courts on behalf of his employer.
50. An advocate who has inherited, or succeeded by survivorship to a family business may continue it, but may not personally participate in the management thereof. He may continue to hold a share with others in any business which has decended to him by survivorship or inheritance or by will, provided he does not personally participate in the management thereof.
51. An advocate may review Parliamentary Bills for a remuneration, edit legal text books at a salary, do press-vetting for newspapers, coach pupils for legal examination, set and examine question papers; and subject to the rules against advertising and full-time employment, engage in broadcasting, journalism, lecturing and teaching subjects, both legal and non-legal.
52. Nothing in these rules shall prevent an advocate from accepting after obtaining the consent of the State Bar Council, part-time employment provided that in the opinion of the State Bar Council, the nature of the employment does not conflict with his professional work and is not inconsistent with the dignity of the profession. This rule shall be subject to such directives if any as may be issued by the Bar Council India from time to time.
नियम 47- के अनुसार एक एडवोकेट किसी व्यवसाय में सीधे स्वयं लिप्त नहीं हो सकता किन्तु वह ऐसे व्यवसाय में मौन साझीदार हो सकता है जो राज्य बार कौंसिल की राय में एडवोकेट के पेशे की गरिमा के प्रतिकूल न हो।
नियम 48- के अनुसार एक एडवोकेट एक सामान्य बैठक शुल्क सहित निःशुल्क कंपनी का निदेशक या निदेशक मंडल का प्रधान हो सकता है, किन्तु उस के कर्तव्य कार्यकारी प्रकार के नहीं होने चाहिए। वह किसी कंपनी का प्रबंध निदेशक अथवा सचिव नहीं हो सकता है।
नियम 49- के अनुसार कोई भी एडवोकेट किसी व्यक्ति, सरकार, फर्म, निगम या संस्थान का पूर्णकालिक वैतनिक कर्मचारी नहीं हो सकता। जब तक वह एडवोकेट का पेशा करे यदि वह इस तरह का कोई कार्य करना चाहता है तो उसे उस राज्य के बार कौंसिल जिस में उस का नाम दर्ज है सूचित करना चाहिए और तब तक एडवोकेट का पेशा रोक देना चहिए जब तक वह ऐसे नियोजन में रहे। लेकिन यह नियम केन्द्र सरकार, राज्य सरकार, सार्वजनिक निगमों और विधि द्वारा निर्मित निकायों के विधिक सलाहकारों पर प्रभावी नहीं है जिन्हें राज्य बार कौंसिल द्वारा उन के नियमों के तहत छूट प्रदान की गई है।
नियम 50- के अनुसार यदि किसी एडवोकेट को उत्तराधिकार में या उत्तरजीविता में कोई पारिवारिक व्यवसाय प्राप्त हुआ हो या किसी के अन्य के साथ व्यवसाय में भागीदारी प्राप्त हुई हो तो वह उसे जारी रख सकता है, लेकिन वह उस के प्रबंधन में व्यक्तिगत रूप से भाग नहीं लेगा।
नियम 51- के अनुसार एक एडवोकेट शुल्क के लिए संवैधानिक विधेयकों का पुनर्विलोकन कर सकता है, वेतन प्राप्त कर के कानूनी पाठ्य पुस्तकों का संपादन कर सकता है, समाचार पत्रों के लिए प्रेस पुनरीक्षण कर सकता है, विधिक परीक्षा के लिए छात्रों को कोचिंग दे सकता है, परीक्षा के प्रश्नपत्र बना सकता है और उत्तर पुस्तिकाएँ जाँच सकता है और विज्ञापन व पूर्णकालिक नियोजनों के लिए बनाए गए नियमों के अंतर्गत प्रसारण, पत्रकारिता तथा विधि व अन्य विषयों का अध्यापन कर सकता है।
नियम 52- के अनुसार बार कौंसिल की अनुमति से अंशकालिक नियोजन स्वीकार कर सकता है।
यदि आप के आजीविका हेतु किए गए अन्य कार्य उक्त प्रतिबंधित श्रेणी में नहीं हैं और अनुमत श्रेणी के अंतर्गत हैं तो आप एक एडवोकेट के रूप में वकालत का व्यवसाय कर सकते हैं।
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- अधिवक्ता बार कौंसिल की अनुमति से अंशकालिक नौकरी कर सकता है
- लंबे समय तक नौकरी से अनुपस्थिति नौकरी छोड़ देने के समान है।
- सेवाच्युत कर्मकार को पुनः नियोजन में लेने पर कोई रुकावट नहीं।
- किसी अपराध के लिए मुकदमा विचाराधीन हो या दंडित कर दिया गया हो तो नौकरी प्राप्त करते समय न छुपाएँ।
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- लायसेंस समाप्त कर मकान का कब्जा प्राप्त करने के लिए न्यायालय में दीवानी वाद प्रस्तुत करें।
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अच्छी जानकारी है ।
सर प्लीज बताए की अधिवक्ता हेतु कोई अपना नामांकन बार कौंसिल में कितनी उम्र तक करा सकता है
धन्यबाद
बहुत जरूरी और आवश्यक जानकारी
आदरणीय द्विवेदी जी ..!
आपके बहुमूल्य सुझाव के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद् ..!
गिरीश अग्रवाल
बिलासपुर, (छत्तीसगढ़)
VERY GOOD INFORMATION. THANKS