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गलत पंजीयन के विरुद्ध शिकायत प्रस्तुत करें . . .

Farm & houseसमस्या-
जयपुर, राजस्थान से निखिल सैनी ने पूछा है –

मेरे पिताजी ने 1970 के आस-पास जयपुर जिले में एक प्लॉट खरीदा था, जिस व्यक्ति से यह खरीदा गया वह उसका कब्जेशुदा प्लॉट था और कोई भी दस्तावेज उस व्यक्ति के पास नहीं थे, मेरे पिताजी ने केवल स्टॉम्प पेपर पर यह प्लॉट लिया था। जिस कॉलोनी में यह प्लॉट है उस में किसी के भी प्लॉट का नियमन या पंजीकरण नहीं है। फिर 1980 के आस-पास मेरे बड़े भाई ने इस में मकान का निर्माण कर लिया और 1991 में मेरे पिताजी का देहावसान हो गया। पिताजी के देहावसान के बाद मेरे बडे भाई ने इस प्लॉट के मेरे हिस्से के रूपये देने की बात कही।  इससे पहले की इस प्लॉट में मेरे हिस्से का कोई फैसला होता, मेरे बडे भाई भी 2003 में चल बसे और उन के बेटे उस मकान में रह रहे हैं, जो कि अब वयस्क और शादी-शुदा हैं। इस प्लॉट के जो स्टॉम्प पेपर हैं उनका कोई अता-पता नहीं कि वो किसके पास हैं? 2012 तक इस प्लॉट का जयपुर विकास प्राधिकरण अथवा किसी भी निकाय में कोई पंजीकरण नहीं था। इस मकान के सभी प्रकार के बिल जैसे-बिजली, पानी आदि पूर्व में मेरे पिताजी के नाम पर थे, फिर 1991 के बाद मेरे भाई के नाम पर हैं। इस आधार पर हाल ही में राजस्थान राज्य सरकार की एक योजना ’’प्रशासन शहरों के संग अभियान-2012 में मेरे भाई के बेटों ने इसका पंजीकरण अपने नाम करवा लिया है।  जब भी इस मकान या प्लॉट में मेरे हिस्से की कोई बात उन से करता हूँ तो वे जवाब देते हैं कि यह मकान हमारे पिताजी (मेरे भाई) का निर्मित है, और इसमें आप का कोई हिस्सा नहीं हैं। आप मुझे सुझाव दें कि मैं किस प्रकार से अपने पिताजी द्वारा क्रय किये गये प्लॉट में अपनी हिस्सेदारी प्रस्तुत कर सकता हूँ।

समाधान-

प के पिता जी ने उक्त मकान का कब्जा किसी अन्य व्यक्ति से खरीदा था। जब कि जमीन का स्वामित्व सरकार का है। जिस व्यक्ति से आप के पिता जी ने कब्जा खरीदा था उस समय कब्जा हस्तान्तरण के दस्तावेज गायब हैं। लेकिन उस मकान में नल बिजली के कनेक्शन लगे हैं। जिन के बिल पहले आप के पिता जी के नाम से आते थे, लेकिन अब आप के भाई के नाम से आते हैं। इन तथ्यों से यह स्पष्ट है कि पहले कब्जा आप के पिता जी का था और फिर आप के भाई साहब का हो गया। लेकिन वह कब्जा भाई साहब के पास कैसे आया इस का कोई प्रमाण नहीं है, इसलिए यह माना जाएगा कि वह उत्तराधिकार में आप के भाई को मिला। लेकिन उत्तराधिकार में प्राप्त संपत्ति पर एक भी उत्तराधिकारी का कब्जा कानूनी रूप से सभी उत्तराधिकारियों का माना जाता है। इस तरह उक्त प्लॉट मकान पर आप का भी उतना ही कब्जा है जितना कि आप के भाई का।

स समय तक केवल एक ही बाधा उत्पन्न हुई है कि उस का पंजीयन आप के दिवंगत भाई साहब के बेटों ने उस का पंजीयन अपने नाम करवा लिया है, जब कि संयुक्त कब्जे के आधार पर उस में आप का भी नाम दर्ज होना चाहिए था। इस तरह जो पंजीयन जयपुर विकास प्राधिकरण में हुआ है उस में त्रुटि है। इस त्रुटि को दूर स्वयं जयपुर विकास प्राधिकरण ही कर सकता है। ऐसी परिस्थिति में सब से पहले आप को यह करना चाहिए कि आप प्राधिकरण को आवेदन प्रस्तुत करें कि उस पंजीयन की त्रुटि को दूर करें तथा पंजीयन में आप का नाम भी दर्ज किया जाए।

प के इस आवेदन से उक्त पंजीयन विवादित हो जाएगा और आप के भाई के बेटे प्लॉट का पंजीयन का कोई लाभ नहीं उठा सकेंगे। इस परिस्थिति में आप के भाई के बेटों को अपने नाम पट्टा जारी कराने के लिए आप की अनापत्ति की जरूरत होगी। तब आप उन के सामने यह प्रस्ताव रख सकते हैं कि मकान तो आप के भाई ने बनाया है। लेकिन प्लॉट में आप का जो हिस्सा है उस की कीमत तय कर के उस की आधी राशि वे आप को दें दें तो आप प्रसन्नता पूर्वक अनापत्ति कर देंगे। अन्यथा स्थिति में भूखंड और आधे मकान के लिए आप कानूनी कार्यवाही करेंगे। इस प्रस्ताव से उत्पन्न परिस्थिति में आप के और आप के भतीजों के बीच समझौता हो सकता है और आप को अपना हिस्सा प्राप्त हो सकता है।

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