चल-अचल संपत्ति के बँटवारे के लिए एक ही दीवानी वाद प्रस्तुत करना होगा।
समस्या-
लखनऊ उत्तर प्रदेश से वंश बहादुर ने पूछा है –
मेरे पिताजी सरकारी कर्मचारी थे। उनका 80 वर्ष की उम्र में नवम्बर 2002 में देहान्त हो गया। पिताजी ने कोई भी वसीयत नहीं छोड़ी थी। हम 3 भाई 3 बहन हैं और सभी विवाहित हैं। मैं घर के 1/4 हिस्से में निचले भाग में रहता हूँ और मेरा मझला भाई मेरे वाले भाग के ऊपर के भाग में रहता है। छोटा भाई पिताजी के साथ रहता था। उनके देहान्त के बाद घर के 3/4 भाग में कब्जा कर के रहने लगा, बँटवारे के लिए राजी नही था है। इस कारण से मैं ने जनवरी 2013 में घर के बँटवारे हेतु सिविल कोर्ट में मुकदमा दायर कर दिया। जिसकी अलग अलग माह में तारीखें पड़ चुकी हैं। किन्तु कोर्ट ने अभी तक समन नहीं भेजा है। 9 अप्रैल 2013 को मैं ने समन का शुल्क भी कोर्ट में जमा कर दिया फिर भी कोर्ट से समन नहीं भेजा जा रहा है। अब मुझे प्रतिवादी को समन जारी कराने के लिए क्या करना चाहिए? कितने समन जारी होने के बाद उसे हाजिर होना पड़ेगा? मेरे पिताजी द्वारा पोस्टआफिस तथा बैंक में मेरे छोटे भाई को नामित किया है उस ने समस्त पैसा आहरित कर लिया है। क्या मुझे और मेरे मझले भाई को इसमें हिस्सा मिल सकता है? पिताजी का घरेलू सामान एवं जेवर आदि छोटे भाई के कब्जे में हैं उन में अपना हिस्सा लेने के लिए हमें क्या करना होगा?
समाधान-
मुख्य रूप से आप का मामला पिता जी की संपत्ति के बँटवारे का है। पिताजी का मकान, उन के द्वारा बैंक व पोस्ट ऑफिस में छोड़ा गया धन, जेवर और घरेलू सामान सभी आप के पिता जी की चल-अचल संपत्ति का हिस्सा हैं। इन का बँटवारा या तो आपसी सहमति से हो सकता है या फिर बँटवारे का दीवानी वाद प्रस्तुत कर न्यायालय के निर्णय से।
आप के पिता जी का जो धन पोस्टऑफिस और बैंक में था उस के लिए उन्हों ने अपना नामिती भले ही आप के छोटे भाई को बना दिया हो। लेकिन वह नामितिकरण केवल उस धन को बैंक से प्राप्त करने के लिए ही था। नामिति की जिम्मेदारी एक ट्रस्टी की तरह होती है। वह जो धन प्राप्त कर लिया गया है उस का ट्रस्टी होता है उसे उस धन को उस के हकदार जो कि आप के पिता जी के उत्तराधिकारी हैं में कानुन के अनुसार बाँट देना चाहिए। इसी तरह पिताजी के घरेलू सामान और जेवर आदि का बँटवारा भी उत्तराधिकार के कानून के अनुसार होना चाहिए।
इस बँटवारे के लिए भी वही तरीका है जो आपने मकान के बँटवारे के लिए अपनाया है। अर्थात आप ने जो दीवानी वाद प्रस्तुत किया है उसी में मकान के साथ ही बैंक व पोस्टऑफिस से प्राप्त धन, घरेलू सामान और जेवर आदि का भी विवरण अंकित करते हुए उन सब का बँटवारा करने की प्रार्थना की जानी चाहिए थी। मेरे विचार में यदि आप का वकील समझदार हुआ तो उस ने ऐसा अवश्य किया होगा। यदि ऐसा नहीं किया गया है तो आप को चाहिए कि आप अपने दीवानी वादपत्र में संशोधन करवा कर इस सारी चल संपत्ति को भी उसी में सम्मिलित करवाएँ। आप 3 भाई और 3 बहनें हैं इस प्रकार कुल 6 हिस्से होंगे जिन में एक हिस्से अर्थात पिता जी की कुल संपत्ति का 1/6 हिस्सा आप प्राप्त करने के अधिकारी हैं।
एक बार वाद पंजीकृत हो जाने और वादी द्वारा समन का खर्च दाखिल कर देने के उपरान्त न्यायालय समन स्वयं ही जारी करती है। आप ने खर्च अदा कर दिया है तो समन जारी हो चुका होगा। यदि समन जारी नहीं हुआ है तो आप अगली पेशी पर न्यायालय के न्यायाधीश से निवेदन कर सकते हैं कि समन जारी किया जाए। न्यायाधीश तुरंत समन जारी करने की हिदायत अपने कार्यालय को कर देंगे जिस से समन जारी हो जाएगा। जब तक सभी प्रतिवादियों पर समन की तामील नहीं हो जाती है समन जारी होते रहेंगे। एक बार सभी प्रतिवादियों को समन मिल जाने पर फिर समन जारी करने की जरूरत नहीं है। यदि प्रतिवादी उपस्थित नहीं होंगे तो उन के विरुद्ध एक तरफा कार्यवाही की जा कर मुकदमे की सुनवाई की जाएगी।