दत्तक के सांपत्तिक अधिकार …
समस्या-
कृष्णगोपाल शर्मा ने देवगुढा बावडी, वाया जाहोता, तहसील आमेर, जिला जयपुर, राजस्थान से पूछा है-
मेरे दादाजी को उनके चाचाजी ने गोद ले रखा था। मेरे दादाजी की म़त्यु सऩ् 2003 में हो गई। हमने पंचायत से एक म़त्यु प्रमाण पत्र बनवाया जिसमें उनके दत्तक पिताजी का अंकन था, कुछ समय बाद पता चला कि इनके (दादाजी के चाचाजी) पास कोई पैत़ृक जमीन नहीं है सो हमने अपने निज पिताजी के नाम से दूसरा म़ृत्यु प्रमाण पत्र बनवा लिया तथा उसके आधार पर हमारा जमीन में से नामांतकरण खुल गया। क्या इस तरह से एक ही व्यक्ति का म़त्यु प्रमाण पत्र दो अलग अलग पिताओं के नाम से बनना कानून की नजर में अपराध है? और क्या मेरे दादाजी को अपने वास्तविक पिताजी व दत्तक पिताजी दोनों की सम्पत्ति मिल सकती है या कानून केवल एक पिता की सम्पत्ति ही लेने के लिए कहता है।
समाधान-
जिस ने भी दादाजी की मृत्यु का प्रमाण पत्र बनवाया वह प्रक्रिया के अधीन बनवाया। इस प्रक्रिया में मृतक के संबंधी कुछ सूचनाएँ जन्म-मृत्यु पंजीयक को देते हैं उस के आधार पर मृत्यु दर्ज हो जाती है। जब उस से लाभ न हुआ तो कुछ सूचनाएँ परिवर्तित कर दूसरा प्रमाण पत्र बनाया इस का अर्थ है आप ने एक ही व्यक्ति की मृत्यु को दो बार रिकार्ड में अंकित करवाया। यह दंडनीय अपराध है और शिकायत होने पर इस मामले में कार्रवाई हो सकती है।
यदि कोई व्यक्ति गोद चला जाए और किसी सहदायिक (पुश्तैनी) संपत्ति में उस का कोई हिस्सा हो तो वह उसी का बना रहता है। गोद जाने से उस के उस हिस्से के स्वामित्व में कोई अंतर नहीं आता। लेकिन गोद जाने के बाद अपने मूल पिता से उत्तराधिकार प्राप्त करने का अधिकार खो देता है। इस तरह यह कहा जा सकता है कि गोद जाने वाला व्यक्ति दोनों तरह की संपत्ति प्राप्त करने का अधिकारी होता है। लेकिन ऐसा नहीं है।
हर व्यक्ति को ऐसा अधिकार होता है। यदि कोई सहदायिक संपत्ति हो तो उस में तो किसी व्यक्ति का हिस्सा जन्म से ही मिल जाता है। जब कि उस के पिता, व माता की स्वअर्जित संपत्ति में उत्तराधिकार का उस का अधिकार उन की मृत्यु पर उत्पन्न होता है। इसी तरह गोद गए व्यक्ति को जिस सहदायिक संपत्ति में जन्म से अधिकार मिल गया है वह तो उसी तरह बना रहता है। लेकिन उसे अपने गोद पिता व माता की स्वअर्जित संपत्ति में उत्तराधिकार तो प्राप्त होता ही है लेकिन गोद पिता की सहदायिकी में भी हिस्सा प्राप्त करने का उस का अधिकार गोद लेते ही उत्पन्न हो जाता है।
सौतेली मॉ पर अधिकार
सही रास्ता