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दिवंगत पिता की संपत्ति में विवाहित और अविवाहित पुत्रियों का अधिकार है

तनु पूछती हैं …….

क्या दादालाई संपत्ती और पिता की संपती में विवाहित और अविवाहित पुत्री का हक या हिस्सा होता है?

उत्तर —

तनु जी, 

किसी भी व्यक्ति के पास दो प्रकार की संपत्ति हो सकती है। एक वह संपत्ति जो उस ने स्वयं अर्जित की है और दूसरी वह जो उसे उत्तराधिकार में मिली है। वसीयत से प्राप्त संपत्ति स्वअर्जित संपत्ति है। उत्तराधिकार में मिली संपत्ति में उस व्यक्ति की संतानों का अधिकार भी निहीत होता है। किसी भी हिन्दू व्यक्ति की संपत्ति यदि वह व्यक्ति कोई वसीयत नहीं करता है तो उस की मृत्यु होते ही उस की संपत्ति में उस के उत्तराधिकारियों का हित निहीत हो जाता है और उस के द्वारा छोड़ी गई संपत्ति संयुक्त सम्पत्ति में परिणत हो जाती है। यह संपत्ति तब तक संयुक्त बनी रहती है जब तक कि उस का कोई भी हिस्सेदार विभाजन नहीं करा लेता है।
र्तमान हिन्दू उत्तराधिकार कानून के अनुसार दादालाई संपत्ति में विवाहित और अविवाहित पुत्रियों का अधिकार है। पिता की मृत्यु के उपरांत उन की निर्वसीयती संपत्ति में भी विवाहित और अविवाहित पुत्रियों का अधिकार बना हुआ है।
लेकिन खेती की भूमि के सम्बन्ध में प्रत्येक प्रांत का कानून पृथक हो सकता है। इस का कारण यह है कि कृषि भूमि पर स्वामित्व सदैव राज्य का ही होता है। कृषक केवल उस का खातेदार और कब्जेदार होता है। यदि प्रान्तीय कानून में यह कहा गया है कि खातेदारी अधिकारों के उत्तराधिकार के मामले में भी व्यक्तिगत उत्तराधिकार की विधि प्रभावी होगी तो वहाँ भी हिन्दू उत्तराधिकार का नियम लागू होने के कारण अविवाहित और विवाहित पुत्रियों का अधिकार होगा। यदि किसी प्रांत में यह नियम न हो कर कोई और नियम है तो कृषि भूमि के मामले में वह नियम प्रभावी होगा। इस की जानकारी प्रांतीय कानूनों से ही की जा सकती है।
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