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दूसरी पत्नी की पुत्री को भी संपत्ति में वही अधिकार है जो पहली पत्नी की पुत्री को है।

समस्या-

अंजू सिंह मैहर ने ग्राम कटिया थाना न्यू रामनगर, सतना मध्य प्रदेश से समस्या भेजी है कि-

मेरे पिता जी ने दो शादी किया था. मैं उनकी दूसरी पत्नी की बेटी हूँ!  मेरे पिताजी जब हम छोटे थे तभी गुजर गए। मेरी मां भी हमें छोड़कर कहीं और चली गयी। मेरी शादी परिवार के चाचा ने किया है। मेरा एक भाई था वह भी 2010 में कैंसर की बीमारी से गुजर गया। मेरी पहली माँ अभी है उनकी एक लड़की है। मेरे दादाजी भी पहले ही गुजर गए हैं। मेरे दादाजी के पास जमीन ज्यादा होने के कारण मेरी बड़ी माँ और बुआ के नाम जमीन पर चढ़वा दिए हैं।  मेरे पिता जी के न रहने के बाद बाकी सब जमीन पर मेरी बड़ी माँ का नाम आ गया है। एक नम्बर पर हम दोनो बहनों के नाम पर वारिसाना है। तो क्या जो हमारे बड़ी माता के नाम पर जमीन है उस पर हमें हिस्सा मिलेगा? सभी जमीन पर मेरी क्या हक है? मैंने मैहर तहसील में आवेदन किया है। क्या हमें न्याय मिलेगा? सर हमें सुझाव दिया जाए। सभी जमीन पुश्तैनी है।

समाधान-

कोई भी हिन्दू एक पत्नी के जीवित रहते दूसरा विवाह करता है तो वह विवाह अवैध है। इस प्रकार आप की माँ का आप के पिता के साथ विवाह वैध नहीं था। इस कारण से उन्हें तो इस पैतृक संपत्ति में कोई लाभ नहीं मिल सकता था। लेकिन संतानें तो पिता की हैं और उन्हें वही अधिकार प्राप्त है जो कि वैध पत्नी से उत्पन्न संतानों को प्राप्त है। यदि दादा जी ने अपने जीवनकाल में कोई वसीयत नहीं की है तो आप को भी वही अधिकार प्राप्त हैं जो कि बड़ी मां की पुत्री को प्राप्त हैं।

आप के दादाजी की संपत्ति में आप के पिता और बुआ का समान हिस्सा था। अब पिता के स्थान पर बड़ी माँ का नाम भूमि में आ गया है वह गलत है। वस्तुतः एक हिस्सा तो बुआ के नाम होना चाहिए था तथा दूसरे हिस्से में एक तिहाई आप की बड़ी माँ को, एक तिहाई बड़ी माँ की बेटी को और एक तिहाई आप के नाम मिलना चाहिए था।

यदि बडी माँ और बुआ के नाम नामान्तरण हो चुका हो तो आप को उस नामान्तरण आदेश के विरुद्ध अपील करना चाहिए और उस में देरी नहीं करनी चाहिए। आप किसी स्थानीय अच्छे वकील से मिलें और जल्दी से जल्दी अपील दाखिल कराएँ।

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