धोखे के आधार पर पंजीकृत कराए गए विक्रय पत्र को निरस्त कराने हेतु दीवानी वाद प्रस्तुत करें
|समस्या-
ग्राम लाटबसेपुरा, थाना मुसरीघरारी, समस्तीपुर, बिहार से सिया देवी पत्नी श्री प्रेमचंद दास ने पूछा है –
मेरे पति ने दिनांक 27.03.1998 को कामेश्वर चौधरी से मेरे नाम से दो कट्ठा जमीन के विक्रय पत्र की रजिस्ट्री करवाई थी। लेकिन जमीन का दाखिल-खारिज (mutation) मेरे नाम से 22.12.2009 तक नहीं हुआ था। इसी बीच मेरी बेटी किरण कुमारी ने हमसे यह दो कट्ठा जमीन के विक्रय पत्र की रजिस्ट्री दिनांक 23.12.2009 को अपने नाम से करा ली। लेकिन इसका भी दाखिल-खारिज किरण कुमारी के नाम से दिनांक 26.10.2010 तक नहीं हुआ। किरण कुमारी ने एक कट्ठा जमीन शांति देवी को दिनांक 27.10.2010 को बेच दी। मैं यह जानना चाहती हूँ कि बिहार सरकार समस्तीपुर जिला की जमीन के खरीद एवं बिक्री के नियम के अनुसार जमीन का दाखिल-ख़ारिज शांति देवी के नाम से होगा या नहीं? मेरी बेटी किरण कुमारी ने जमीन के विक्रय पत्र की जो रजिस्ट्री हम से अपने नाम कराई है वह धोखा देकर कराई है। मैं क्या कानूनी कार्यवाही उस के विरुद्ध कर सकती हूँ? कृपया हमें उचित सलाह दें।
समाधान-
आप की मूल समस्या यह है कि आप से जो विक्रय पत्र आप की बेटी ने आप से कराई है वह धोखा दे कर कराई है। यह धोखा किस प्रकार दिया गया है? इस का कोई विवरण आप ने अपने प्रश्न में नहीं दिया है। इस कारण यह अनुमान करना संभव नहीं है कि आप वह धोखा न्यायालय के समक्ष साक्ष्यों से साबित कर सकेंगी या नहीं।
यदि आप को पूरा विश्वास है कि आप अपनी बेटी द्वारा आप से किए गए धोखे को साक्ष्य से साबित कर सकती हैं तो आप को चाहिए कि आप धोखा दे कर विक्रय पत्र निष्पादित कराने के आधार पर इस विक्रय पत्र और उस के पंजीयन को निरस्त कराने के लिए दीवानी वाद प्रस्तुत करें। लेकिन आप को पहले यह तय करना होगा कि आप के पास इस धोखे को साबित करने के लिए पर्याप्त साक्ष्य हैं या नहीं हैं। यह तय करना आसान नहीं है। इस के लिए आप को अपने जिला मुख्यालय के किसी अनुभवी दीवानी मामलों के वकील से मिलना चाहिए और उस से सलाह करनी चाहिए। वह आप से पूछताछ कर के यह बता सकेगा कि आप को यह वाद प्रस्तुत करना चाहिए या नहीं?
अभी तक आप के नाम जमीन को खरीद का जो विक्रय पत्र निष्पादित किया गया है उस के आधार पर नामान्तरण (दाखिल-खारिज) नहीं हुआ है। वह आप के नाम और आगे जमीन के अन्य खरीददारों के नाम हो सकेगा या नहीं यह कहना आसान नहीं है। क्यों कि प्रत्येक राज्य के राजस्व नियम पृथक पृथक हैं। तीसरा खंबा को वर्तमान में प्रभावी बिहार राज्य के राजस्व कानून और नियमों की जानकारी उपलब्ध नहीं है। लेकिन आप यदि आप से धोखे से निष्पादित कराया गया विक्रय पत्र निरस्त कराने के लिए दीवानी वाद प्रस्तुत करती हैं तो इस वाद के साथ ही उक्त जमीन का दाखिल-खारिज करने को रोके जाने के लिए अस्थाई निषेधाज्ञा का प्रार्थना पत्र दिया जा सकता है और वह तथा उस के बाद के विक्रय पत्रों के आधार पर होने वाले जमीन के सारे दाखिल-खारिज किए जाने से रुकवाए जा सकते हैं।
किसी भूमाफिया को एक परिवार ने अपनी सामलाती जमीन मेसे एक खेत के टुकडे को बेच दिया लेकिन यह परिवार अनपढ़ होने से रजिस्ट्री के वक्त सारी ज़मीन की रजिस्ट्री करवाली है और उनके अंगूठे के निशान ले कर फर्जी तरीके से रजिस्ट्री करवा ली है इस परिवार के आठ सदस्य है जो आठो अनपढ़ है क्या रजिस्ट्री ख़ारिज हो सकती है कृपया जानकारी देवे रजिस्ट्री एक साल से पुरानी है रजिस्ट्री पर आठो के अंगूठे के निशान है
किसी भूमाफिया ने एक परिवार की सामलाती जमीन मेसे एक खेत के टुकडे को बेच दिया लेकिन यह परिवार अनपढ़ होने से रजिस्ट्री के वक्त सारी ज़मीन की रजिस्ट्री करवाली है और उनके अंगूठे के निशान ले कर फर्जी तरीके से रजिस्ट्री करवा ली है इस परिवार के आठ सदस्य है जो आठो अनपढ़ है क्या रजिस्ट्री ख़ारिज हो सकती है कृपया जानकारी देवे रजिस्ट्री एक साल से पुरानी है
महोदय ,
सविनय निवेदन इस प्रकार हैं की
मेरी माता जि का गाँव बाहरी जिला करनाल हरियाणा
पड़ता हैं। उनकी अपने गाँव मे अपने हिस्से की जमीन
पड़ी थी। जसमे से कुछ विवाद होने के कारण मेरे पिता
जी ने १९९२ मे उसका कुछ हिस्सा विक्रय कर दिया था।
और कुछ रह गया था। तो अब विवाद यह है की मेरे मामौ
ने उस भुमि का बचा हुआ हिस्सा धोके से किसी ओर को
खड़ा कर मेरी माता जि के नाम से जमीन अपने नाम करा
ली हैं। और हमे बताया भी नहीं।
क्या अब मैं अपनी माता जि को लेकर उनपर कोई मुकदमा
दर्ज करा सकता हूँ, या वह भूमि अपनी माता जि के नाम
वापस करा सकता हूँ ?
अतः आप मुझे दिशा निर्देष देने का कष्ट करें।
धन्यवाद !
कुँवर शुभम पुण्डीर
सोना अर्जुनपुर जिला सहारनपुर U.P.
भाई ने अनपढ़ चार बहनोंमें 3 से ये कह कर अंगूठा लगवाया की pita की फौती उठ रहे हैं और एक बहन की जगह फर्जी अंगूठा लगाया ,जबकि उस दस्तावेज में ये लिखा था की पिता की संपत्ति भाई को दे दी जाये हमे आपत्ति नहीं .तहसीलदार ने आदेश किया भाई के नाम करने. साथ ही ये भी की बहने जब चाहे आवेदन दे नाम जुड़ा सकती है.धोके का पता चलने चलने पर बहनों ने आवेदन दिया, नए तहसीलदार ने केस पुनर्विलोकन के लिए बिना दोनों पक्छो के आवेदन के sdm के पास bheja उन्होंने कहा की मेरे यह अपील करो.क्यों? बहनों का नाम खाते में जुड़ेगा?इधर भाई ने इसी बिच जमीं अपने बेटे के नाम रजिस्ट्री कर दी .वो रद्द होगा?
गायत्री जी आप अपनी समस्या कानूनी सलाह फार्म में प्रस्तुत करें, यहाँ नहीं। ऊपर ‘मेरे बारे में’ बटन के पास ही ‘कानूनी सलाह’ बटन है। आप उसे क्लिक करें फार्म खुल जाएगा।
दिनेशराय द्विवेदी का पिछला आलेख है:–.नियोजक ने वेतन नहीं दिया, मुझे क्या करना चाहिए …?
गुरुदेव जी, आपके क़ानूनी सलाह वाले फार्म में इस कालम “समस्या भारत के किस प्रांत के न्याय क्षेत्र से है? * जैसे कि आंध्र प्रदेश, मिजोरम, दिल्ली” में दिल्ली का नाम ही नहीं है और न लिखने का विकल्प है.
रमेश कुमार जैन उर्फ सिरफिरा का पिछला आलेख है:–.दहेज न लेने पर भी सजा मिलती है (टिप्पणियाँ)