पति दूसरी स्त्री के साथ रहने लगे तो पत्नी को तुरंत कानूनी कार्यवाहियाँ करनी चाहिए।
समस्या-
गौहाटी, असम से कामाख्या नारायण प्रसाद सिंह ने पूछा है-
एक व्यक्ति ने बिना तलाक के दूसरी शादी कर लीहै। पहली पत्नी को भगा दिया, उसकी पिटाई भी होती थी, जिससे दो बच्चे एक लड़का और एक लड़की भी हैं जो अब बाल बच्चेदार है, दूसरी पत्नी से मात्र पांच लड़कियाँ ही हैं, अब रिटायर्ड होकर वह आदमी अपनी दूसरी पत्नी के साथ अपने पैत्रृक गाँव से दूर अपने दूसरे ससुराल के पास घर बना कर रह रहा है, दूसरी पत्नी किसी को वहाँ फटकने नहीं देती, सब संपत्ति पर कुंडली मार बैठी है, पहली पत्नी का लड़का गाँव वाली संपत्ति पर है जो बाप की पैत्रृक सम्पत्ति है। जबकि उसे पिता द्वारा अर्जित सम्पत्ति में से मिलना चाहिए। बेटा कोर्ट नहीं जाना चाहता। पिता रेलवे कर्मचारी था ,जो जीवित है। आप से सलाह से उसकी मदद की जाय।
समाधान-
आप ने जिस परिवार का उल्लेख किया है वैसे हर नगर, तहसील में कुछ परिवार मिल जाएंगे। आप का खलनायक पहली पत्नी को अरक्षित छोड़ कर दूसरा विवाह रचा कर एक परिवार बना कर बैठा है। उस ने सब से पहला अपराध तो पहली पत्नी की पिटाई कर के क्रूरतापूर्ण व्यवहार कर के किया जो कि धारा 498-ए, 323, 324 भा.दंड संहिता के अन्तर्गत अपराध थे। उस ने पहली पत्नी से विवाह विच्छेद न कर के दूसरा विवाह किया। उसी समय उस की रिपोर्ट पुलिस को या न्यायालय को शिकायत होनी चाहिए थी।
यदि यह साबित किया जा सकता हो कि दूसरी स्त्री से दूसरा विवाह किया गया है और लिव इन रिलेशन नहीं है तो उसे अभी भी सजा दिलाई जा सकती है। जहाँ तक संपत्ति का प्रश्न है तो हो सकता है अभी उस परिवार की गाँव में पैतृक संपत्ति बची हो, हालाँकि अब तक पैतृक संपत्ति का लगभग अन्त हो चुका है।
हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम के अनुसार किसी भी व्यक्ति की स्वअर्जित संपत्ति उस की स्वयं की है जिसे वह वसीयत कर सकता है। यदि व्यक्ति की मृत्यु के बाद कोई संपत्ति निर्वसीयती रहे तो उस में उत्तराधिकारियों को समान रूप से हिस्सा होता है। इस मामले में भी उस व्यक्ति की मृत्यु के उपरान्त उस की स्वअर्जित संपत्ति में उस की पहली पत्नी और दोनों पत्नियों से उत्पन्न संताने बराबर की हिस्सेदार होंगी। इस तरह आठ हिस्से होंगे जिस में तीन हिस्से पहली पत्नी और उस की संतानों के होंगे और पाँच हिस्से दूसरी पत्नी की संतानों के होंगे। दूसरी पत्नी का कोई हिस्सा नहीं होगा। क्यों कि उस के साथ उस व्यक्ति का विवाह अवैध है। पैतृक संपत्ति में दूसरी पत्नी और उस से उत्पन्न संतानों का कोई अधिकार नहीं होगा। वैसे भी उस व्यक्ति की स्वअर्जित संपत्ति के बारे में पता करेंगे तो हो सकता है कि यह पता लगे कि संपत्ति पहले ही दूसरी स्त्री के नाम से बनाई गई है।
हमें नहीं लगता कि आप के पास पहली पत्नी और उस के बच्चों के लिए मदद करने को कुछ है। हाँ यदि उस के पिता देहान्त हो जाए और वह निर्वसीयती संपत्ति छोड़ दे तो लड़का उस संपत्ति के विभाजन और कब्जे के लिए वाद प्रस्तुत कर सकता है। किन्तु पिता के जीवित रहते नहीं। हाँ पहली पत्नी अपने पति के विरुद्ध भरण पोषण का आवेदन न्यायालय में कर सकती है जो जहाँ वह निवास करती है किया जा सकता है।