पत्नी कोई बन्धक नहीं जो उसे सताने पर फिरौती मिल जाए।
|समस्या-
लुधियाना, पंजाब से पद्मिनी डबराल ने पूछा है –
मेरे पति मेरे भाई से धन चाहते हैं और भाई नहीं दे रहा है इस लिए मेरे पति ने मुझे मारा और घर से बाहर निकाल दिया। यही नहीं उन्हों ने वहाँ स्थानीय पुलिस वालों को रुपए दे कर मेरे विरुद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट करवा दी कि मैं ने 10 तोला सोना चोरी किया है और अपने पति को मारा है। मेरी एक साल की बच्ची है। मैं अब क्या करूँ?
समाधान-
आप को चाहिए था कि आप को जब मारा और घर से निकाला तुरन्त पुलिस थाना में रिपोर्ट करातीं। पर संभवतः आप इस बात से डर गईं कि पुलिस आप के पति से मिली हुई है। आप को तुरंत पुलिस अधीक्षक से मिल कर अपनी रिपोर्ट देनी चाहिए और पुलिस थाना की शिकायत भी करनी चाहिए।
वैसे आप के साथ जो व्यवहार हुआ है वह भा.दंड संहिता की धारा 498-ए का अपराध है। भारत में अधिकांश पति पत्नी को बंधक मानते हैं और सोचते हैं कि उसे कष्ट देने या या कष्ट देने की धमकी से उस के मायके वाले फिरौती की रकम दे देंगे। इस मिथक को तोड़ना पड़ेगा और उस के लिए महिलाओँ को अपने मन के भय निकाल कर पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करानी होगी, थाना कार्यवाही नहीं करता है तो पुलिस अधीक्षक के पास जाना होगा और वहाँ भी कार्यवाही नहीं होती है तो न्यायालय में सीधे परिवाद प्रस्तुत करना होगा।
आप को भी चाहिए कि पुलिस अधीक्षक को शिकायत देने के बाद भी कार्यवाही नहीं होती है तो सीधे न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत करें। आप के पति ने जो रिपोर्ट कराई है उसे साबित करना आसान नहीं है वे झूठे सिद्ध होंगे।
आप को हिंसक व्यवहार के बाद घर से निकाल दिया है। आप को न्यायालय में महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा अधिनियम में कार्यवाही करनी चाहिए। जिस में आप अपने लिए तथा अपनी पुत्री के लिए भरण पोषण का नियमित खर्च तथा पति के हिंसक व्यवहार से सुरक्षा की मांग कर सकती हैं। भरण पोषण के लिए आप धारा 125 दंड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत भी कार्यवाही कर सकती हैं। यहाँ तक कि क्रूरता की इस घटना के लिए आप अपने पति से विवाह विच्छेद के लिए आवेदन भी कर सकती हैं।
आपके हिसाब से शो होता है की संस्कार कोई मायने नहीं रखते,
आपकी सलाह एक तरफा प्रतीत होती हैं………..
(19/06/13 के पोस्ट के संन्दर्भ मेँ) माफ कीजिएगा महोदयजी मै थोड़ा विलंब से पोस्ट को देखा।
धन्यवाद महोदयजी!
मुझ पर छ.ग. निवासी के आधारपर हिन्दु नियम जबकि म.प्र. निवासी के आधारपर अ.ज.जा. का नियमलागू है(कुम्हार जाति)।आज हमे 30वर्ष सेज्यादा छ.ग. मे रहते होगये।
महोदयजी क्या पत्नि द्वारा केस करने परमुझे सजा हो सकती है? यदि हाँ तो फिर ये वही हुआन कि मधुमक्खी के छत्ते को छेड़कर अपने पैर मे कुल्हाड़ी मारना! क्योँकि अभी वो कुछ भी नही कर रही और दूसरे लड़के से भी शादी करके फिर उस पर भी झुठा इल्जाम लगाकर मायके मे डेरा डाल रखी है, लेकिन जैसे ही मै तलाक का आवेदन दुँगा वो फिर से नया तिरिया चरित्र का चाल चलेगी और हो सकता है मुझे हवालात जाना पड़ जाए और मुझसे रकम ऐठने का केस करे, तब मै क्या करू? कानुन से इंसाफ का उम्मीद क्या करना,क्योँकि कानून तो सिर्फ महिलाओ के लिए ही बने हैँ कुछमहिला चाहे तोझुठा केस कर पुरूष को परेशान कर उनकेजीवन कोनरक बनासकती है,कानुनी लायसेँस जो मिला हैउनको।” जय हो हमारे हिन्दुस्तान के कानून का” ‘गेहू के साथ कीड़े कोतो पीसाना ही पड़ेगा’।जमाना बदल गयापर कानून नही।21 वीँ सदी मेँ भी न कानून बदला और न ही लोगो की गंदी सोच।
ये है” विधी के समझ समानता का अधिकार,कुछ अपराधी प्रवृत्ति की महिलाओ को खुलेआम कानून की आड़ मेँ अपराध करने काअधिकार।” मैँ ये नही कहता कि हर स्त्री मे ऐसी भावना होती है मै उनका सम्मान करता हूँ और पुरूष भी कम नही होते,जो औरतो को अपना गुलाम समझते हैँ।बिना किसी जाँच पड़ताल के औरत की मात्र मौखिक झूठे आरोप के आधार पर पहले तो उस पर मुकदमा चलेगा,हवालात की हवा खानी पड़ेगी फिर बाद मे भले ही वह केस जीत जाये पत्नि तो अपने मनसूबे पर कामयाब हो जाती है उस बेचारे का मान सम्मान,धन सब लुट चुका होता है।अब क्या खाक जीवन जियेगा वो उसकी तो जीवन प्रत्यासा खत्म हो चुकी होती है ऐसे नरकिय जीवन सेअच्छा तो मौत है। जय हिन्द!