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पिता की मृत्यु के बाद कृषि भूमि का अपने नाम नामान्तरण करवा कर विभाजन का वाद करना चाहिए।

agricultural-landसमस्या-
इन्दौर, मध्यप्रदेश से भैरूलाल जाट ने पूछा है –

मेरे दादाजी के पास पुश्तेनी ६० बीघा जमीन थी और ५ लड़के थे। १९६३ मे मेरे दादाजी का निधन हो गया और कुछ समय के बाद दादीजी का भी निधन हो गया. उनके ५ लड़को के नाम से नामांतरण राजसवा विभाग मे हो गया। उनमे से २ लड़को ने अपने हिस्से की जमीने दूसरे लोगो को बेच दी। एस जमीन का कभी बंटवारा नहीं हुआ। और उसी जमीन पर मेरे चाचा के २ लड़को का १२ बीघा जमीन पर नामंतरण हो गया। आज मेरे पास कोई जमीन नहीं है। मे जब छोटा था तभी मेरे पिताजी का देहांत हो गया था। मेरे चाचा कहते है की तेरे पिता ने मुझे जमीन बेच दी थी।वर्तमान मे आज भी २४ बीघा पर ५ भाइयो के नाम से राजस्व विभाग मे जमीन है। जिसमे मेरे पिता का भी नाम है। क्या मेरे पिता की जमीन मुझे वापस मिल सकती है?

समाधान-

मस्त राजस्व भूमि की स्वामी सरकार है। आप केवल खातेदार कृषक हैं। किसी भी खातेदार के देहान्त के उपरान्त उस के उत्तराधिकारी तहसील में आवेदन दे कर फौती इंतकाल (मृतक नामान्तरण) करवा सकते हैं। उस भूमि के राजस्व रिकार्ड में आप के पिता जी का नाम होने का अर्थ है कि आप के पिता के देहान्त के उपरान्त उन का कोई फौती इंतकाल नहीं खुला है। आप को उन के मृत्यु प्रमाण पत्र के साथ नामान्तरण करवाने के लिए आवेदन करना चाहिए। यदि किसी को आपत्ति होगी तो वह आपत्ति कर देगा। यदि आपत्ति नहीं आती है तो आप के नाम नामान्तरण खुल जाएगा।

दि आप के पिता ने जमीन बेच दी होती तो खरीदने वाला व्यक्ति अपने नाम नामान्तरण करवाता। वह अभी भी आपत्ति कर सकता है। लेकिन कोई भी भूमि केवल रजिस्टर्ड विक्रय पत्र या सहखातेदार होने पर रिलीज डीड के माध्यम से ही हस्तांतरित की जा सकती है। यदि कोई पंजीकृत दस्तावेज न हुआ तो बेचान की आपत्ति बेकार समझी जाएगी और आप के नाम नामांतरण हो जाएगा। फिर भी यदि नामांतरण आप के नाम न हो तो आप नामान्तरण आदेश की अपील कर सकते हैं।

प के नाम नामान्तरण हो जाने के बाद भी जमीन का कब्जा नहीं मिलेगा। उस के लिए आप को भूमि के सभी सहखातेदारों के विरुद्ध बँटवारे और भूमि पर कब्जा दिलाने का वाद प्रस्ततु करना होगा तथा उस के निर्णय से ही आप को भूमि का कब्जा प्राप्त हो सकेगा।

स मामले में सभी राज्यों के राजस्व कानून पृथक पृथक हैं इस कारण आप किसी स्थानीय वकील से जो कि राजस्व मामले देखता हो सलाह लें और उस की सलाह से कार्यवाही करें।

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